LHC0088 • 2025-10-10 23:14:00 • views 105
मनोज मिश्र, बेतिया। पश्चिमी चंपारण की नौ विधानसभा सीटों में आठ पर एनडीए का कब्जा है, लेकिन सिकटा विधानसभा सीट हमेशा से अलग राजनीतिक राह पर रही है। वर्तमान विधायक वीरेंद्र गुप्ता माले के हैं। सिकटा में पिछले चुनावों का इतिहास काफी दिलचस्प रहा है। जदयू और भाजपा दोनों ही इस सीट पर पहले जीत चुके हैं। इस बार दोनों दलों के दावेदार पटना में लगातार बैठकें और टिकट को लेकर पैरवी कर रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वर्ष 1995 में दिलीप वर्मा ने खुद की चंपारण विकास पार्टी से इस सीट से विजय हासिल की। वर्ष 2000 में वे बीजेपी का दामन थाम लिए और दोबारा विधायक चुने गए। 2005 में खुर्शीद आलम कांग्रेस पार्टी के टिकट पर यहां से विधायक बने, लेकिन 2010 में दिलीप वर्मा ने निर्दलीय चुनाव जीतकर अपना दबदबा दिखाया।
वर्ष 2015 में जदयू के खुर्शीद आलम ने चुनाव जीतकर मंत्री पद संभाला था। पूर्व में यहां से भाजपा और जदयू के प्रत्याशी जीत चुके हैं, इस कारण इस बार भी एनडीए के दोनों घटक दलों के बीच टिकट को लेकर गहरी सियासी जंग चल रही है। दोनों दलों के करीब एक दर्जन नेता टिकट के लिए पटना का चक्कर लगा रहे हैं। कुछ नेता तो स्थायी रूप से पटना में डेरा डाल दिया हैं।
भाजपा और जदयू दोनों के नेताओं की सक्रियता ने यह साफ कर दिया है कि सीट पर उम्मीदवार का चुनाव आसान नहीं होगा। स्थानीय लोगों का कहना है कि सिकटा सीट पर सही उम्मीदवार का चयन सिर्फ पार्टी के लिए ही नहीं, वरन जिले की राजनीति पर असर डालेगा।
आने वाले हफ्ते में फैसला होने की उम्मीद
चुनावी पंडितों का मानना है कि सीट पर उम्मीदवार का फैसला आने वाले हफ्तों में होगा और दोनों दलों के नेताओं की दावेदारी इसे और रोचक बना रही है। एनडीए के लिए संतुलित रणनीति अपनाना जरूरी है, ताकि सीट का लाभ विपक्ष के हाथ न जाए। हालांकि, इस सीट पर कब्जा बरकरार रखने के लिए महागठबंधन भी पूरी तरह सतर्क है। अभी तक किसी पार्टी ने आधिकारिक रूप से उम्मीदवार का एलान नहीं किया है। इससे राजनीतिक माहौल और भी गर्म हो गया है।
स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की सक्रियता को देखते हुए यह माना जा रहा है कि आने वाले हफ्तों में सीट पर अंतिम उम्मीदवार का निर्णय होगा। सिकटा विधानसभा सीट पर भाजपा और जदयू दोनों की बराबर दावेदारी ने इसे इस चुनाव का सबसे रोमांचक केंद्र बना दिया है। आने वाला समय तय करेगा कि एनडीए की यह रणनीति कितनी कारगर साबित होती है और कौन बनेगा इस सीट का अगला प्रतिनिधि।
सिकटा विधानसभा सीट से अब तक जीते प्रत्याशी
वर्ष प्रत्याशी दल
1952
फैयाजुल रहमान
कांग्रेस
1957
रैफुल आजम
कांग्रेस
1962
रैफुल आजम
स्वतंत्र
1967
उमाशंकर शुक्ल
सीपीआईएम
1969
रैफुल आजम
कांग्रेस
1972
फैयाजुल आजम
कांग्रेस
1977
फैयाजुल आजम
कांग्रेस
1980
धर्मेश प्रसाद वर्मा
जनता पार्टी
1985
धर्मेश प्रसाद वर्मा
जनता पार्टी
1990
फैयाजुल आजम
स्वतंत्र
1995
दिलीप वर्मा
चंपारण विकास पार्टी
2000
दिलीप वर्मा
भाजपा
2005
खुर्शेद आलम
कांग्रेस
2010
दिलीप वर्मा
स्वतंत्र
2015
खुर्शेद आलम
जदयू
2020
वीरेंद्र गुप्ता
भाकपा माले
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