कुंडली के इस योग से जानें, कब बनेंगे आप धनवान और कब होगा आपका भाग्योदय?

Chikheang 2025-9-25 18:04:39 views 1275
  इंदु लग्न को धन लग्न या वैल्थ एसेन्डेंट कहा जाता है





आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। इंदु लग्न को धन लग्न या वैल्थ एसेन्डेंट (kundli yoga wealth prediction) भी कहा जाता है। यह कुंडली का एक विशेष धन-सूचक बिंदु होता है, जिसे जन्म लग्न और चंद्रमा दोनों की नवम भाव स्थितियों के आधार पर गणना कर स्थापित किया जाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इसका उपयोग विशेष रूप से यह जानने के लिए किया जाता है कि व्यक्ति को जीवन में धन, ऐश्वर्य और वित्तीय समृद्धि किन स्रोतों या ग्रह-स्थिति से प्राप्त होगी।



सबसे पहले, हमें ग्रहों को दिए गए कुछ मान (वैल्यू) जानने होंगे, जो इस गणना में उपयोग किए जाते हैं-

  • सूर्य- 30
  • चंद्रमा- 16
  • मंगल- 6
  • बुध- 8
  • बृहस्पति- 10
  • शुक्र- 12
  • शनि- 1

अब निम्नलिखित चरणों का पालन करें

सबसे पहले, लग्न कुंडली में नवम भाव में आने वाली राशि (राशि चिन्ह) को देखें और उस राशि के स्वामी ग्रह का उपरोक्त सूची के अनुसार मान लिखें।



फिर, चंद्र कुंडली में नवम भाव में आने वाली राशि को देखें, और उस राशि के स्वामी ग्रह का मान भी लिखें।akal bodhan and navratri, akal bodhan vidhi, akal bodhan significance, akal bodhan tradition, akal bodhan story, akal bodhan importance, akal bodhan puja,

इन दोनों ग्रहों के मानों को जोड़ें।

इस योग को 12 से भाग दें और शेष (REMAINDER) देखें।

शेष को चंद्रमा की स्थिति से गिनें, और जो भाव प्राप्त हो वह इंदु लग्न या धन लग्न कहलाता है।

यदि शेष “0” हो, तो चंद्रमा से बारहवें भाव में स्थित राशि/भाव को इंदु लग्न माना जाएगा। यदि शेष “1” हो, तो स्वयं चंद्रमा की राशि/भाव को ही इंदु लग्न या धन लग्न माना जाएगा।


इंदु लग्न या धन लग्न का विश्लेषण

  • इंदु लग्न या धन लग्न से पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में स्थित ग्रह जातक को धन और आर्थिक लाभ देने वाले माने जाते हैं।
  • जो ग्रह इंदु लग्न या धन लग्न पर दृष्टि डालते हैं, वे भी जातक को आर्थिक लाभ देने वाले माने जाते हैं।
  • यदि उपरोक्त स्थिति में कोई ग्रह नीच का, कमजोर या पापी हो, तो वह धन का नाशक होता है। हालांकि, यदि ऐसा पाप ग्रह उच्च का हो, बलवान हो, या शुभ ग्रहों की दृष्टि/संयोग में हो, तो वह भी आर्थिक लाभ दे सकता है।
  • इंदु लग्न या धन लग्न से छठे, आठवें और बारहवें भाव में स्थित ग्रह आर्थिक दृष्टि से अशुभ माने जाते हैं।
  • इन ग्रहों के फल जातक को उनकी महादशा या अंतर्दशा में प्राप्त होते हैं, और ये उनके बल तथा स्थिति के अनुसार अनुभव में आते हैं।

समापन

इंदु लग्न को धन लग्न या वैल्थ एसेन्डेंट कहा जाता है। यह जन्म कुंडली का एक विशेष धन-सूचक बिंदु है, जो जन्म लग्न और चंद्रमा की नवम भाव स्थितियों के आधार पर गणना से प्राप्त होता है। इसका उद्देश्य यह जानना होता है कि जातक को जीवन में धन, ऐश्वर्य और आर्थिक समृद्धि किस स्रोत या ग्रह-स्थिति से प्राप्त होगी।



लेखक: आनंद सागर पाठक, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए  hello@astropatri.com पर संपर्क करें।
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