क्रोसिन या पैरासिटामोल का अनियमित सेवन भ्रूण के विकास पर नकारात्मक प्रभाव। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। गर्भावस्था के दौरान क्रोसिन या पैरासिटामोल का अत्यधिक या अनियमित उपयोग भ्रूण के विकास को प्रभावित कर सकता है। कई समूहों पर किए गए अध्ययनों से तंत्रिका विकास पर नकारात्मक प्रभाव सामने आए हैं।
हालांकि, अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि अमेरिका में टाइलेनॉल के रूप में बेचा जाने वाला एसिटामिनोफेन या भारत में क्रोसिन या डोलो के रूप में बेचा जाने वाला क्रोसिन (पैरासिटामोल) ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार (तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाला एक विकार) का कारण बनता है या नहीं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
डॉक्टर आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान या गर्भावस्था के 20 सप्ताह बाद डाइक्लोफेनाक, आइबुप्रोफेन और इंडोमेथेसिन जैसी दवाओं से बचने की सलाह देते हैं। हालांकि, क्रोसिन और पैरासिटामोल गर्भवती महिला और भ्रूण दोनों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित माने जाते हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञों और बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार, मां में बुखार या दर्द का इलाज न किया जाना गर्भावस्था और बच्चे के विकास के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
इसलिए, बुखार या दर्द पैदा करने वाली स्थितियों का इलाज करना आवश्यक हो जाता है। यदि दर्द से राहत आवश्यक है, तो क्रोसिन या पैरासिटामोल का उपयोग सबसे कम प्रभावी खुराक पर और यथासंभव कम समय के लिए करने पर विचार करें। नियामक और नैदानिक एजेंसियों ने भी गर्भावस्था के दौरान क्रोसिन या पैरासिटामोल के उपयोग को सुरक्षित माना है।
वर्तमान में, क्रोसिन या पैरासिटामोल के कोई समतुल्य विकल्प उपलब्ध नहीं हैं, क्योंकि डाइक्लोफेनाक, आइबुप्रोफेन और इंडोमेथेसिन जैसी ओवर-द-काउंटर दवाएं आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान, खासकर गर्भावस्था के 20 सप्ताह के बाद, प्रतिबंधित या वर्जित होती हैं। इसलिए, हम इस समय क्रोसिन के अलावा किसी अन्य दवा के उपयोग की अनुशंसा नहीं करते हैं।
- डॉ. आभा मजूमदार, वरिष्ठ सलाहकार, प्रसूति एवं स्त्री रोग, सर गंगा राम अस्पताल।kyunki saas bhi kabhi bahu thi, kyunki saas bhi kabhi bahu thi 2,kyunki saas bhi kabhi bahu thi 2 trolled,kyunki saas bhi kabhi bahu thi trp,kyunki saas bhi kabhi bahu thi new track, kyunki saas bhi kabhi bahu thi update, kyunki saas bhi kabhi bahu thi 2
गर्भावस्था के दौरान बुखार और दर्द के लिए पैरासिटामोल एक सुरक्षित और स्वीकृत विकल्प है, बशर्ते इसे केवल आवश्यकता पड़ने पर और सबसे कम प्रभावी खुराक में लिया जाए। दवा केवल डॉक्टर की सलाह पर ही लें। स्वास्थ्य संबंधी जानकारी के लिए, इंटरनेट मीडिया या राजनीतिक बयानों पर निर्भर रहने के बजाय विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह को प्राथमिकता दें।
- डॉ. रमेश मीणा, बाल रोग विशेषज्ञ, आरएमएल अस्पताल।
उपचार संबंधी दिशानिर्देश कभी भी व्यक्तिगत राय पर आधारित नहीं होते, बल्कि व्यापक शोध और अध्ययन पर आधारित होते हैं। चिकित्सा विज्ञान व्यापक अध्ययन के बाद दवाओं की श्रेणियाँ निर्धारित करता है। पैरासिटामोल “ए“ श्रेणी में आता है, जो सबसे सुरक्षित है। गर्भावस्था के दौरान, रोगियों को थोड़े समय के लिए पैरासिटामोल दिया जाता है। यदि दर्द से पीड़ित रोगियों को पैरासिटामोल नहीं दिया जाता है, तो अन्य दर्द निवारक दवाएँ अधिक जोखिम पैदा करती हैं।
-डॉ. ममता त्यागी, स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, मैक्स अस्पताल।
हाल ही में, कुछ दावे सामने आए हैं कि गर्भावस्था के दौरान पैरासिटामोल (एसिटामिनोफेन/टाइलेनॉल) के सेवन से बच्चों में ऑटिज़्म हो सकता है। इस दावे का समर्थन करने के लिए वर्तमान में कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। कुछ अध्ययनों ने एक संभावित संबंध का सुझाव दिया है, लेकिन वे यह साबित करने के लिए पर्याप्त मजबूत नहीं हैं कि पैरासिटामोल इसका सीधा कारण है।
-डॉ. दीप्ति शर्मा, स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, अमृता अस्पताल, फरीदाबाद। |