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क्या दर्शाता है ग्रह का अस्त होना और कैसे पड़ता है आपके जीवन पर इसका प्रभाव?

LHC0088 2025-9-25 18:02:55 views 582

  Grah Ast (Picture Credit: Freepik) (AI Image)





दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। वैदिक ज्योतिष में हर ग्रह एक विशिष्ट ऊर्जा लेकर आता है कोई विचारों, कोई संबंधों, कोई आत्मबल को दर्शाता है। लेकिन जब कोई ग्रह सूर्य देव के अत्यधिक पास आकर अस्त (Combust) हो जाता है, तो उसकी ऊर्जा बाहर नहीं दिखती, बल्कि भीतर सिमट जाती है। इसका अर्थ यह नहीं कि वह ग्रह दुर्बल हो गया, बल्कि अब वह अपनी शक्ति को आंतरिक रूप से काम में लाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जन्म कुंडली में अस्त ग्रह

जब कोई ग्रह सूर्य के अत्यधिक समीप आ जाता है, तो वह आकाश में चमकना बंद कर देता है जैसे उसकी रोशनी सूर्यदेव के तेज में लुप्त हो गई हो। वैदिक ज्योतिष में इस स्थिति को कहते हैं ग्रह का अस्त होना या Combust होना। ये ग्रह बाहर से कमजोर दिख सकते हैं, लेकिन अंदर से वे एक अनोखी साधना और तपस्या का अनुभव कराते हैं।


कौन-कौन से ग्रह अस्त हो सकते हैं?

चंद्रमा को छोड़कर सभी ग्रह अस्त (astrological effects in life) हो सकते हैं। जैसे - मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु।

  
अस्त ग्रहों का असर क्या होता है?

आत्म-अभिव्यक्ति में अवरोध



जिस भाव का ग्रह कारक है, वहां व्यक्ति को खुद को सहजता से प्रकट करने में झिझक या बाधा महसूस हो सकती है।

भीतरी दबाव और परिपक्वताMixboard, Google, Mixboard Features, Google AI, AI Features

अस्त ग्रह बाहरी की बजाय आंतरिक स्तर पर सक्रिय होता है यह भीतर संघर्ष कराकर आत्मिक परिपक्वता लाता है।

सूर्य संग तपस्वी ऊर्जा

सूर्य के निकट यह ग्रह तप की तरह कार्य करता है बाहरी नहीं, बल्कि भीतर की सफलता और गहराई का मार्ग दिखाता है।



  
कुंडली में असर कैसे दिखता है?

  • अस्त बुध देव: विचारों को व्यक्त करने में संकोच, संवाद में भ्रम
  • अस्त शुक्र देव: प्रेम, कला, सौंदर्य या संबंधों में झिझक
  • अस्त मंगल देव: क्रोध को दबाना, ऊर्जा को भीतर रोकना
  • अस्त बृहस्पति गुरु: विश्वास, ज्ञान या आध्यात्मिकता को भीतर जीना
  • अस्त शनि देव: कर्म, जिम्मेदारी और धैर्य को चुपचाप निभाना
  • अस्त राहु देव: इच्छाओं की अभिव्यक्ति में बाधा, असमंजस और अनजाना डर।
  • अस्त केतु देव: वैराग्य की भावना भीतर सिमट जाती है, आत्मज्ञान मौन रूप में पनपता है।

क्या अस्त ग्रह हमेशा अशुभ होता है?

अस्त ग्रह को देखकर घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि \“अस्त\“ का अर्थ केवल सूर्य के निकट होने से उसकी चमक का दब जाना होता है, न कि उसकी शक्ति खत्म हो जाना। यह ग्रह बाहरी रूप से भले ही कमजोर लगे, लेकिन भीतर ही भीतर व्यक्ति को गहराई से प्रभावित करता है। ऐसे ग्रह आंतरिक संघर्ष, तपस्या और आत्मिक परिपक्वता का कारण बनते हैं।



अस्त ग्रह अक्सर व्यक्ति को सामान्य राह से हटाकर एकांत, मनन और भीतर की यात्रा पर ले जाते हैं। यह यात्रा आसान नहीं होती, लेकिन यही वह मार्ग है जहां आत्मिक ऊंचाइयां मिलती हैं। अगर यह ग्रह किसी मूल त्रिकोण, उच्च राशि में हो, या शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो ये ग्रह धीरे-धीरे लेकिन बेहद प्रभावशाली फल देते हैं। यानी, फल देर से मिलते हैं, लेकिन भीतर से मजबूत और स्थायी होते हैं।

लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।
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