प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)
जागरण संवाददाता, मेरठ। नगर निगम में कर्मचारी शिकायतों के निस्तारण में रुचि नहीं ले रहे हैं। फर्जी निस्तारण दिखाने के लिए एक लिपिक ने स्वयं को अधिकारी मानकर हस्ताक्षर कर दिए।
एक सहायक अभियंता ने अपने मन से ही रिपोर्ट लगा दी कि-‘शिकायतकर्ता संतुष्ट है’। नगर आयुक्त ने मंगलवार को कैंप कार्यालय पर आईजीआरएस से संबंधित प्रकरणों की समीक्षा की।
इस दौरान कई विभागों की लापरवाही सामने आई। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने व वेतन रोकने के निर्देश प्रभारी अधिकारी को दिए।
समीक्षा में पाया गया कि मार्ग प्रकाश विभाग की शिकायतों का तरीके से निस्तारण नहीं किया जा रहा है। इस पर प्रभारी मार्ग प्रकाश को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
लिपिक हरेन्द्र कुमार द्वारा बिना उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाए बिना प्रतिहस्ताक्षर करने की शिकायत पर उनका वेतन रोकने के निर्देश दिए गए। उन्होंने कॉपी को खुद ही प्रमाणित कर दिया, जबकि यह अधिकार उच्च अधिकारी के पास था।
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जलकल अनुभाग की समीक्षा के दौरान नगर आयुक्त ने शिकायतकर्ता से स्वयं वार्ता की। शिकायतकर्ता ने निस्तारण से असंतोष जताया, जबकि सहायक अभियंता लक्ष्मण सिंह ने अपने स्तर से संतुष्ट होने की आख्या लगा दी थी।
सीवर समस्याओं के समाधान में लापरवाही मिलने पर नगर आयुक्त ने लक्ष्मण सिंह का वेतन रोकने और अनुशासनात्मक कार्रवाई हेतु शासन को पत्र भेजने के निर्देश दिए। गृहकर से जुड़े तीन प्रकरण छह माह से अधिक समय से लंबित मिले। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कारण बताओ नोटिस
इस पर मुख्य कर निर्धारण अधिकारी शिवकुमार गौतम को कारण बताओ नोटिस जारी करने के आदेश दिए गए।
संपत्ति अनुभाग की समीक्षा के दौरान प्रभारी भोलानाथ पर आरोप पाया गया कि अतिक्रमण और अवैध कब्जों की शिकायतों का उचित निस्तारण नहीं किया जा रहा।
रिपोर्ट में शिकायतकर्ता का बयान व जीपीएस फोटो तक संलग्न नहीं किया गया। बिना अनुमति मुख्यालय से अनुपस्थित रहने के कारण उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर अग्रिम आदेशों तक वेतन रोकने के निर्देश दिए गए।
अपर नगर आयुक्त पंकज कुमार, लवी त्रिपाठी, मुख्य अभियंता प्रमोद कुमार, अधिशासी अभियंता शिरीष सिंह, सहायक अभियंता दुष्यंत कुमार, मुख्य कर निर्धारण अधिकारी शिवकुमार गौतम, प्रभारी संपत्ति भोलानाथ समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे। |