प्रधानमंत्री मोदी के आदि कर्मयोगी अभियान को नया विस्तार मिला है। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से 17 सितंबर को शुरू किए गए आदि कर्मयोगी अभियान को अब नया आयाम मिला है। जनजातीय गौरव वर्ष (15 नवंबर 2024 से 15 नवंबर 2025) के अंतर्गत देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों आइआइटी, आइआइएम, एम्स, एनआइटी और अन्य प्रमुख विश्वविद्यालयों में आदि कर्मयोगी छात्र अध्याय स्थापित किए गए हैं। यह कदम आदिवासी युवाओं को भविष्य के नेता, उद्यमी और समाज परिवर्तन के वाहक बनाने की दिशा में उठाया गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
आइआइटी दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 22 सितंबर को इन अध्यायों का औपचारिक शुभारंभ किया। इस अवसर पर मंत्रालय के सचिव विभू नायर और आइआइटी दिल्ली के निदेशक प्रो. रंगन बनर्जी ने कहा कि यह पहल आदिवासी युवाओं को नई ऊर्जा और अवसर प्रदान करेगी। आइआइटी दिल्ली स्थित भगवान बिरसा मुंडा प्रकोष्ठ इस अभियान का राष्ट्रीय केंद्र रहेगा।
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नायर ने कहा, “देश के प्रमुख संस्थानों के छात्र जब जनजातीय समुदायों और विकास कार्यक्रमों से जुड़ेंगे तो वे शिक्षा, समाज और उद्यमिता के भविष्य को दिशा देंगे। आदि कर्मयोगी छात्र अध्याय, भारत के 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के संकल्प का आधार हैं।
प्रो. बनर्जी ने कहा, आइआइटी दिल्ली को गर्व है कि उसने इस आंदोलन की मेजबानी की। यह मंच छात्रों को नवाचार और मेंटरशिप के माध्यम से वास्तविक बदलाव लाने का अवसर देगा। इसके तहत नवाचार कार्यशालाएं व हैकाथान, मेंटरशिप प्रोग्राम, उद्यमिता सहयोग, गांवों का गोद लेना, प्रेरक अभियान, सरकारी परियोजनाओं में इंटर्नशिप व फेलोशिप तथा राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार वितरण जैसे गतिविधियां होंगी।
प्रथम चरण में शामिल संस्थान
आइआइ दिल्ली, खड़गपुर, धारवाड़, हैदराबाद, आइआइएम सिरमौर, आइआइएम नागपुर, एम्स नागपुर, एम्स गोरखपुर, एम्स भटिंडा, वर्धमान महावीर मेडिकल कालेज-सफदरजंग अस्पताल, आइआइएसईआर मोहाली, आइआइएसटी तिरुवनंतपुरम, डीटीयू दिल्ली, एनआइटी दिल्ली, एनआइटी पटना, एनआइटी रायपुर, एनआइटी पुडुचेरी, एनआइटी मेघालय, बीआइटी मेसरा, एनईआरआइएसटी अरुणाचल प्रदेश, स्री चित्रा तिरुनाल इंस्टीट्यूट, आरजीएनयूएल पटियाला सहित होटल मैनेजमेंट संस्थान (आइएचएम) शिमला, चेन्नई, पुसा, भोपाल व भुवनेश्वर आदि।
क्या है उद्देश्य
- आदिवासी युवाओं को नेतृत्व, नवाचार और सामाजिक बदलाव की दिशा में सशक्त बनाना।
- उद्यमिता को बढ़ावा देना और 50 करोड़ रुपये के वेंचर कैपिटल फंड तक पहुंच।
- शिक्षा सशक्तीकरण- ईएमआरएस और आश्रम स्कूलों में मेंटरशिप, ड्रापआउट कम करना।
- गांव गोद लेने और विकास योजना- एसडब्ल्यूओटी विश्लेषण व विजन 2030 दस्तावेज़ तैयार करना।
- तकनीक आधारित समाधान- जीआइएस, एनालिटिक्स, सामाजिक नवाचार को बढ़ावा।
- कौशल विकास- आइआइएससी बेंगलुरु के सहयोग से सेमीकंडक्टर निर्माण एवं नई तकनीकों का प्रशिक्षण।
- मान्यता व पुरस्कार- उत्कृष्ट छात्र अध्याय, मेंटर्स और छात्र नेताओं को सम्मान।
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