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जम्मू-कश्मीर में स्नोफॉल... आज भारी बारिश के साथ बढ़ेगी ठंड, कई इलाकों में भूस्खलन का खतरा

deltin33 2025-10-7 16:06:26 views 414

  मैदानी क्षेत्र में वर्षा ने बढ़ाई परेशानी, पहाड़ों पर बिछी सफेद चादर। फाइल फोटो





जागरण टीम, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में रविवार देर रात से ही मौसम बदल गया। मौसम के बदले तेवर से पहाड़ी क्षेत्र बनी में बारिश के साथ बर्फबारी शुरू हो गई है, जबकि मैदानी क्षेत्र में बारिश होने से जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित रहा। दिनभर आसमान में बादल छाए रहने से मौसम में ठंडक रही। तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई है। उधर, मौसम विभाग ने 7 अक्टूबर को भी भारी बारिश व भूस्खलन होने की चेतावनी जारी की है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



इसे लेकर प्रशासन भी सतर्क है। जिले के पहाड़ी क्षेत्र में रविवार देर रात से ही जहां बारिश हो रही है, वहीं मैदानी क्षेत्र में सोमवार अहले सुबह बारिश ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। हालांकि, मौसम विभाग ने पहले सोमवार व मंगलवार को भारी बारिश व भूस्खलन की चेतावनी दी थी। मैदानी क्षेत्र में बारिश होते ही जहां जम्मू-पठानकोट हाईवे पर जगह-जगह वाहन चालकों को जाम से जूझना पड़ा, वहीं बाजार में भी रौनक गायब रही।



कठुआ के हटली मोड़ व शहीदी चौक पर लोग घंटों में जाम में फंसे रहे। सन्याल नाले के पुल धंस जाने के कारण दयाला चक-बिलावर मार्ग पर वाहनों की आवाजाही बंद कर दी गई है, जिससे लोगों की परेशान बढ़ गई है। हालांकि, छोटे वाहन गुजर रही हैं, लेकिन पुल तक बसें बंद रहने से यात्रियों को पैदल पुल पार कर आगे की बसें पकड़नी पड़ रही है।

उधर, पहाड़ी क्षेत्र बनी में रविवार रात से ही मौसम का मिजाज बदला हुआ था। सोमवार को दिनभर मूसलधार बारिश होते रही, जिससे तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई। सोमवार सुबह से ही ठंडा हवाएं लोगों की स्वागत कर रही थी। इस दौरान सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। अधिकांश लोग गर्म कपड़ों में घरों के अंदर ही दुबके नजर आए। बनी की ऊंची पहाड़ियों पर मौसम की पहली बड़ी बर्फबारी भी हुई।



छत्रगला, नुकनाली माता मंदिर, मंदीधार और आस-पास के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बर्फबारी हुई, जिससे पहाड़ों ने सफेद चादर ओढ़ ली। बनी के स्थानीय निवासी कमल सिंह व महेंद्र सिंह का कहना है कि अक्टूबर महीने के शुरुआती हफ्ते में बर्फबारी कई वर्षों बाद हुई है। आमतौर पर बर्फबारी नवंबर या दिसंबर में ही देखने को मिलता था, लेकिन इस बार समय से पहले हुई बर्फबारी ने लोगों को हैरान कर दिया है।



हालांकि, बर्फबारी देख देख बच्चे खुश नजर आए। वहीं, बुजुर्गों ने इसे \“पुराने समय की ठंडी यादें\“ बताया। स्थानीय निवासी 80 वर्षीय कमलु राम, नंदलाल ने बताया कि कई वर्षों बाद ऐसा हुआ है कि अक्टूबर के पहले पखवाड़े में ही पहाड़ों पर बर्फ गिरी हो। भले ही गांव में बर्फ नहीं पड़ी, लेकिन ठंडी हवाएं इतनी तेज हैं कि ऐसा लग रहा है जैसे कभी भी गांवों में भी बर्फ गिर सकती है। बर्फबारी और बारिश के चलते ठंड भी बढ़ गई है।



बाजारों में ऊनी कपड़ों की मांग अचानक बढ़ गई है। दुकानदारों का कहना है कि पिछले कई दिनों से गर्मी का असर था, लेकिन अब लोग स्वेटर, शाल और मफलर खरीदने पहुंचे हैं। भारी बारिश के कारण बिजली व्यवस्था भी प्रभावित हुई। बनी कस्बे के कई इलाकों में बिजली सप्लाई सुबह से दोपहर तक पूरी तरह ठप रही। कस्बे को छोड़कर कई गांव में बिजली गुल है। हालांकि, दुरुस्त करने का कार्य चल रहा है। बहरहाल, प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे अनावश्यक यात्रा से बचें और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में सतर्क रहें।



मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे तक हल्की से मध्यम बारिश और ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी जारी रहने की संभावना जताई है। बनी कस्बा शाम के समय पूरी तरह से सर्द हवाओं की गिरफ्त में रही। गलियों में रौनक गायब थी। आलम यह था कि जगह-जगह लोग अलाव जलाकर ठंड से राहत पाने की कोशिश करते दिखे। लंबे समय बाद पहाड़ी क्षेत्र के लोगों ने अक्टूबर में इतनी सर्दी महसूस की है। लोगों का कहना है कि अगर बारिश का यह दौर जारी रहा, तो आने वाले दिनों में पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी और भी बढ़ सकती है, जिससे ठंड का प्रकोप और तेज हो जाएगा।


द्रमणी नाले के पास भूस्खलन, यातायात रहा ठप

बारिश के दौरान द्रमणी नाले के पास भूस्खलन होने से बनी-बसोहली मार्ग पर यातायात करीब चार घंटे तक ठप रही। भूस्खलन होने की सूचना मिलते ही ग्रेफ की मशीनरी ने मौके पर पहुंचकर मलबा हटाने में जुट गई और यातायात को बहाल किया। वहीं, बनी-डग्गर मार्ग पर भी यातायात ठप रहा है, जिससे कई वाहन बीच रास्ते फंसे रहे।

प्रशासन के साथ-साथ स्थानीय लोगों का कहना है कि बारिश के कारण कई स्थानों पर भूस्खलन की आशंका बढ़ गई है। प्रशासन की ओर से संवेदनशील इलाकों पर निगरानी रखी जा रही है। फिलहाल किसी प्रकार के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं है, लेकिन जिन गांवों में पहले भूस्खलन हुआ था, वहां के लोग चिंतित हैं।
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