जागरण संवाददाता, औरैया। नए वर्ष के स्वागत को लेकर घर का रंगरोगन करने के लिए पीली मिट्टी खोदने गई महिला टीला ढहने से मलबे में दब गई। लोगों ने उसे बाहर निकाला लेकिन तब तक उसकी सांसें थम चुकी थीं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
हादसा सोमवार सुबह करीब नौ बजे अयाना थाना क्षेत्र के कोठी दासपुर गांव से करीब एक किलोमीटर दूर हुआ। पुलिस ने पहुंचकर घटना की जानकारी ली। महिला की ससुराल कानपुर देहात जनपद के मंगलपुर थाना क्षेत्र अलियापुर गांव में है। 20 वर्षों से वह पति से अलग अपने पिता के साथ रह रही थी।
कोठी दासपुर गांव निवासी बहादुर सिंह ने बताया कि करीब 40 वर्षीय बेटी मिथलेश कुमारी की शादी कानपुर देहात के मंगलपुर थाना क्षेत्र के अलियापुर निवासी संजय कुमार के साथ हुई थी। 20 साल से बेटी अपने पुत्र अश्वनी व शांतनु के साथ पति से अलग मायके में ही रह रही थी।
नए वर्ष के स्वागत में घर का रंगरोगन करने के लिए वह सोमवार सुबह आठ बजे के करीब छोटे नाती तनु व पड़ोसी चरण सिंह की बेटी वंदना के साथ गांव से एक किलोमीटर दूर पीली मिट्टी खोदने गई थी।
एक बोरी मिट्टी खोदने के बाद शांतनु को मिट्टी रखने के लिए घर भेज दिया। करीब नौ बजे मिट्टी खोदने के दौरान टीला ढह गया। इससे वह मलबे में दब गई।
पास मौजूद वंदना के शोर मचाने पर खेतों में मौजूद किसान दौड़कर पहुंचे। आधे घंटे की मशक्कत कर उसे बाहर निकाला लेकिन तब तक उसकी जान जा चुकी थी। अयाना थानाध्यक्ष अजय कुमार ने घटना की जानकारी तहसील प्रशासन को दी।
लेखपाल अभिषेक कुमार ने घटनास्थल पर जांच की। रिपोर्ट तहसील प्रशासन को सौंप कर स्वजन को मदद का आश्वासन दिया। थानाध्यक्ष ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत के पीछे की सही वजह पता चल सकेगी।
दो माह में अनाथ हो गए अश्वनी व शांतनु
मिथलेश कुमारी की मौत पर उसके बेटे अश्वनी व शांतनु रो-रो कर बेहाल हैं। बहादुर सिंह ने बताया कि बेटी पति को छोड़कर मायके आ गई थी। दामाद संजय कुमार दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करते थे।
कुछ माह पहले गंभीर बीमारी से ग्रसित हो जाने पर वह भी कोठी दासपुर में आकर रहने लगे थे। दो माह पहले उनकी बीमारी के चलते मौत हो गई थी। अब बेटी की मौत से दोनों नाती अनाथ हो गए हैं। बुढ़ापे में वह नातियों का भरण पोषण कैसे करेंगे।
गहराई तक मिट्टी खोदने के दौरान हो जाते हादसे
बीहड़ पट्टी के गांवों में आज भी कई लोग कच्चे मकानों में निवास कर रहे हैं। वहीं कुछ लोगों के मकानों का कुछ हिस्सा कच्चा है।
कच्चे घरों की रंगाई में लोग बीहड़ क्षेत्र में मिलने वाली पीली मिट्टी का इस्तेमाल करते हैं। अच्छी मिट्टी की तलाश में लोग टीले के नीचे गहराई तक खोदाई कर मिट्टी निकालते हैं। ऐसा करने में टीला धंसने से हादसे का खतरा रहता है। |