H-1B वीजा फीस बढ़ने से भारत से ज्यादा अमेरिका पर होगा असर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम (यूएसआइएसपीएफ) के अध्यक्ष और सीईओ मुकेश अघी ने कहा कि अमेरिका की ओर से घोषित एच-1बी वीजा शुल्क वृद्धि भारत के आइटी सेवा निर्यात की तुलना में अमेरिकी स्टार्टअप और नवाचार को अधिक प्रभावित करेगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
उन्होंने कहा कि यह कदम वास्तव में भारत के पक्ष में काम कर सकता है। गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन ने एच1बी वीजा शुल्क को एक लाख डॉलर कर दिया है। उन्होंने कहा, \“\“यह भारत के पक्ष में है, क्योंकि अमेरिकी दृष्टिकोण से एच-1बी का किसी न किसी रूप में दुरुपयोग हो रहा था और वे उच्च-गुणवत्ता वाले लोगों को अमेरिका लाना चाहेंगे।
भारत की अर्थव्यवस्था पर न्यूनतम प्रभाव होगा
इसका मतलब है कि एच-1बी पर अमेरिका आने वाले भारतीय कर्मचारियों को कहीं अधिक बेहतर पैकेज मिलेगा। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि कम महत्व वाले कार्य भारत स्थानांतरित हो जाएंगे। हालांकि, एच1बी को लेकर काफी चर्चा है, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था और उसके आइटी सेवा निर्यात पर इसका प्रभाव न्यूनतम होगा। इसका अमेरिका में नवाचारों और स्टार्टअप पर प्रभाव पड़ेगा।
US-India energy cooperation,Russia-Ukraine war impact,Russian oil imports India,Chris Wright energy secretary,India foreign policy,US pressure on Russia,India-US trade relations,Global oil market,Energy security,International diplomacy
चुनौतियों के बावजूद संबंध आगे बढ़ते रहेंगे
भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ पर अघी ने कहा कि व्यापार चुनौतियों के बावजूद दोनों देशों के बीच व्यापक संबंध आगे बढ़ते रहेंगे। वहीं, आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) अमेरिका के कार्यकारी निदेशक ध्रुव जयशंकर ने कहा कि वीजा शुल्क में बढ़ोतरी के बाद भारतीय और अमेरिकी दोनों कंपनियों ने कुशल प्रतिभाओं की पर्याप्त उपलब्धता पर चिंता व्यक्त की है।
इमिग्रेशन व्यवस्था एक संप्रभु मामला
उन्होंने कहा, \“\“भारत इस तथ्य से अवगत है कि किसी भी देश के लिए इमिग्रेशन व्यवस्था एक संप्रभु मामला है, जिसमें भारत भी शामिल है। इस लिहाज से अपनी वीजा नीतियों को तैयार करना वास्तव में प्रत्येक सरकार पर निर्भर है।\“\“ उद्योग जगत ने इस बारे में कुछ चिंताएं जताई हैं कि क्या उन्हें नौकरियों के लिए पर्याप्त प्रतिभाएं मिल पा रही हैं, जिनमें भारत स्थित बहुराष्ट्रीय कंपनियां और अमेरिकी कंपनियां भी शामिल हैं।
(समाचार एजेंसी एएनआइ के इनपुट के साथ)
यह भी पढ़ें- H-1B वीजा पर ट्रंप के नए नियम क्या हैं, सिर्फ भारतीयों पर ही होगा असर; रिन्यू कराने पर भी देनी होगी फीस? |