बिजनौर के पकड़े गुलदारों से भरे हैं दूसरे जिलों के चिड़ियाघर। (प्रतीकात्मक फोटो)
जागरण संवाददाता, बिजनौर। खेतों में मिलने वाले गुलदार वन में रहने के लिए मिसफिट हो जाते हैं। ये गुलदार मोटे और आलसी होते हैं। अब जिले में पकड़े जा रहे गुलदारों को वन के छोड़ने के बजाए चिड़ियाघर भेजा जा रहा है। वहां पर ये गुलदार बाड़ों में ही रहते हैं। वन विभाग द्वारा गुलदारों को रखने के लिए रेस्क्यू सेंटर की भी मांग शासन से की है। यहां पर भी गुलदारों को रखा जा सकता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अमानगढ़ के बाघों के डर से गुलदार खेतों में आए और आते ही शिकार शुरू कर दिया। पहले वन्यजीवों को मारा और फिर मनुष्यों पर भी हमला शुरू कर दिया। अमानगढ़ के बाद अब नजीबाबाद डिवीजन की भी सभी रेंज में बाघों की मूवमेंट देखने को मिल रही है। वहां भी वनों के आसपास गुलदार बाहर आ रहे हैं और हमले कर रहे हैं। पिछले लगभग पौने तीन वर्ष में गुलदार जिले में 35 लोगों को मार रहे हैं।
गुलदारों को पकड़ने के लिए चलाए जा रहे अभियान में लगातार सफलता भी मिल रही है। लगभग तीन वर्षों में 110 गुलदार पिंजरों में पकड़े जा चुके हैं। पहले गुलदारों को वनों में ही छोड़ दिया जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं किया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि खेतों में पैदा हुए गुलदार वन में नहीं रह पाते और देर सवेर बाहर आ ही जाते हैं। इस कारण इन गुलदारों को अब चिड़ियाघरों में ही भेजा जा रहा है। हाल ही में नजीबाबाद क्षेत्र में दो बच्चों और एक बालिका को मारने वाले गुलदार को भी कानपुर चिडियाघर भेजा गया था। गुलदारों को इटावा लायन सफारी, कानपुर चिड़ियाघर, लखनऊ चिड़ियाघर, गोरखपुर चिड़ियाघर में भेजा जाता है।
अभिनव राज, डीएफओ का कहना है कि गुलदारों को वन में नहीं छोड़ा जा रहा है। उन्हें दूसरे जिलों में चिड़ियाघर में ही भिजवाया जा रहा है। किसानों को गुलदारों से सुरक्षा के लिए लगातार सतर्क किया जा रहा है। |