भभुआ विस में जीत का स्वाद चखने को सभी पार्टी लगा रही जोर
जागरण संवाददाता, भभुआ(कैमूर)। कैमूर जिले की भभुआ विधानसभा सीट हमेशा चर्चित रही है। यहां पार्टियों में सीट शेयरिंग से लेकर टिकट कंफर्म होने तक ऊहापोह की स्थिति बनी रहती है और नामांकन से दो-तीन दिन पूर्व टिकट कंफर्म होता है। नामांकन के बाद मतदान से 48 घंटा पूर्व तक प्रचार प्रसार करने का मौका मिलता है। जनता से संपर्क कर जीतने के लिए सभी पार्टियां पूरी ताकत झोंक देती हैं, लेकिन यहां की जनता विकास के लिए वोट करती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यही वजह है कि यहां से कुछ पार्टी को लगातार दो या इससे अधिक बार भी जीत मिली है। भभुआ विधानसभा सीट से सबसे अधिक प्रतिनिधित्व कांग्रेस को करने का मौका मिला है। इसके बाद राजद को तीन बार, कम्यूनिस्ट पार्टी आफ इंडिया को दो बार, भाजपा को दो बार व बसपा के अलावे जनता पार्टी व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी को भी एक-एक बार मौका मिला है। इसके अलावे जनसंघ को भी एक बार मौका मिला है।
भभुआ विधानसभा सीट पर कुछ चुनाव में ऐसा भी हुआ है कि चुनाव से महज कुछ दिन पहले दल बदलने वाले को टिकट मिला और उन्हें जीत भी मिली। इसमें डा. प्रमोद सिंह व भरत बिंद शामिल हैं। 2010 में लोजपा से चुनाव लड़ कर जीतने वाले डा. प्रमोद पूर्व में राजद से दो बार विधायक रह चुके थे। जबकि लगातार कई वर्षों तक बसपा में रहे भरत बिंद 2020 में चुनाव से पूर्व ही अचानक राजद में शामिल हुए और उन्हें टिकट मिला।
चुनाव में उन्होंने भाजपा को हरा दिया। फिर दो वर्ष पूर्व भरत बिंद भाजपा में शामिल हो गए। पूर्व के चुनाव पर गौर करे तो यहां छह बार कांग्रेस को जीत मिली है। इसमें स्व. श्याम नारायण पांडेय चार बार विधायक बने, जबकि 1990 में स्व. विजय शंकर पांडेय भी कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़े और जीत हासिल की। जबकि 1952 में कांग्रेस के स्व. रामनगीना सिंह विधायक बने थे।rohtas-general,Rohtas news,Nokha assembly election,Bihar politics,Rohtas district,Indian elections,Political history,Nokha constituency,Bihar election analysis,Bihar news
भभुआ विस सीट पर बसपा का भी एक बार दबदबा बना है। वर्ष 2005 के अक्टूबर में हुए चुनाव में रामचंद्र सिंह यादव बसपा के टिकट से चुनाव जीते। जबकि भभुआ की जनता ने दो बार कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया के स्व. रामलाल सिंह को भी मौका दिया है। जबकि 2015 में भाजपा के आनंद भूषण पांडेय ने जीत दर्ज की। लेकिन चुनाव जीतने के बाद लगातार अस्वस्थ रहने के कारण 2017 में उनका निधन हो गया।
इसके बाद भाजपा ने उनकी पत्नी रिंकी रानी पांडेय को उपचुनाव में टिकट दिया और उन्हें जीत मिली। इस तरह भभुआ विधानसभा सीट पर लगभग सभी पार्टियों को जीत मिली है। पुन: जीत का स्वाद चखने के लिए सभी पार्टी के लोग जोर लगा रहे हैं। हालांकि अभी किसी के टिकट पर मुहर नहीं लगने से दावेदारों की संख्या अधिक है और जनता के बीच सभी दावेदार पहुंच रहे हैं। लेकिन जनता अभी प्रत्याशियों के नाम पर अंतिम मुहर का इंतजार कर रही है।
इस बार यहां सीट के लिए भाजपा व महागठबंधन दोनों के बीच ऊहापोह की स्थिति है। चूंकि वर्ष 2020 के चुनाव में यहां से राजद की जीत हुई थी, ऐसे में राजद इसे अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती। इसके चलते छह बार प्रतिनिधित्व करने वाली कांग्रेस को अब भभुआ विस सीट से टिकट के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। जबकि राजद से चुनाव जीते भरत बिंद भाजपा में शामिल हो गए हैं, ऐसे में भाजपा के लिए लंबे समय से समर्पित नेताओं के मन में यह प्रश्न है कि दल बदलने वालों को पार्टी महत्व देती हैं या उन्हें। |