फाजिल्का के अबोहर रोड पर सड़क के किनारे बिना किसी संकेत खड़े वाहन (फोटो: जागरण)
जागरण संवाददाता, फाजिल्का। सर्दियों की दस्तक के साथ ही धुंध ने हाईवे पर अपनी पकड़ मजबूत करनी शुरू कर दी है, और इसी के साथ सड़क सुरक्षा को लेकर हाईवे किनारे अवैध रूप से खड़े भारी वाहन का बड़ा खतरा फिर से सिर उठाने लगा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
रात के समय विजिबिलिटी तेजी से गिरती है और धुंध की मोटी परत में बिना इंडिकेटर, बिना रिफ्लेक्टर और बिना चेतावनी संकेतों के खड़े ट्रक अचानक सड़क का हिस्सा बन जाते हैं, जिनसे टकराकर हर साल कई लोग अपनी जान गंवाते हैं। लेकिन इसके बावजूद सबक नहीं लिया जा रहा।
फाजिल्का जिले की बात करें तो यहां से गुजरते नेशनल व स्टेट हाईवे पर इन दिनों दोहरी अव्यवस्था है। जहां एक ओर अवैध पार्किंग हादसों का बड़ा कारण बन रही है, वहीं दूसरी ओर हाईवे किनारे बनी दुकानों ने अपना सामान इतना दूर तक फैला रखा है कि सड़क का किनारा लगातार संकरा होता जा रहा है।
धुंध के दिनों में यह दोनों स्थितियां मिलकर हाईवे को मौत के गलियारे में बदल देती हैं। तेज रफ्तार वाहन जैसे ही धुंध की परत में प्रवेश करते हैं, सड़क के किनारे खड़े ट्रक और फैला हुआ सामान अचानक सामने आ जाता है, जिससे हादसा टालना लगभग असंभव हो जाता है।
फाजिल्का-फिरोजपुर हाईवे पर ट्रक यूनियन, बाधा टी-प्वाइंट और पेट्रोल पंपों के आसपास जहां चाहे वहां वाहन खड़े दिखाई दे जाते हैं।
कई चालक चाय, खाना या छोटी-मोटी मरम्मत के लिए ही सही, लेकिन वाहन सड़क किनारे छोड़ देते हैं। रात में बिना इंडिकेटर और बिना रिफ्लेक्टर खड़े ये वाहन पहचान में नहीं आते और सीधे टक्कर का कारण बनते हैं।
दूसरी बड़ी समस्या हाईवे किनारे मौजूद दुकानों से पैदा होती है। ये दुकानें अवैध नहीं हैं, लेकिन दुकानदारों ने अपना सामान-लोहे के पाटों, टायरों के ढेर, गैस सिलेंडर, सर्विस स्टेशन के उपकरण, लकड़ी के गट्ठर और रख-रखाव का माल-काफी दूर तक सड़क की तरफ फैला रखा है।
सामान बाहर रखने से दुकान का दायरा इतना बढ़ जाता है कि वाहन और दुकान के बीच बची जगह हाईवे के लिए खतरनाक मोड़ बन जाती है। यदि कोई ट्रक या कार उनके सामने आकर रुकती है, तो वह सड़क पर अचानक उभरी बाधा में बदल जाती है।
फाजिल्का-अबोहर हाईवे पर खुईखेड़ा, घुबाया और अन्य स्थानों पर यह स्थिति और गंभीर हो जाती है। सर्दियों की रातों में ये ट्रालियां सबसे घातक साबित होती हैं, क्योंकि ये बिना रिफ्लेक्टर पूरी तरह अदृश्य रहती हैं।
सबसे बड़ी चिंता यह है कि कार्रवाई किसकी जिम्मेदारी है। परिवहन विभाग, ट्रैफिक पुलिस और हाईवे अथॉरिटी तीनों के पास नियम तो हैं, लेकिन ज्यादातर सिर्फ कागजों पर। न अवैध पार्किंग हटाई जाती है, न दुकानों को अपना सामान सीमित दायरे में रखने को बाध्य किया जाता है।
सड़कों के किनारे खड़े होने वालों का चालान लगातार किया जा रहा है। साथ ही ढाबों पर जाकर भी जरूरी हिदायतें की जाती हैं।
इस संबंधी ढाबों, मैकेनिक व अन्य जगहों की जांच करेंगे और अगर वहां कोई भी वाहन सड़कों पर पार्क हुआ नजर आया तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही ढाबों को हिदायत की जाएगी कि वह खाली जगहों पर ही वाहनों को पार्क करवाएं। |