डरा रहे लगातार बढ़ते सड़क हादसे। प्रतीकात्मक तस्वीर
जागरण संवाददाता, हरिद्वार। कनखल-लक्सर मार्ग पर दुर्घटनाओं के आंकड़े लगातार डरा रहे हैं। राहगीरों के खून से लाल हो रहे इस मार्ग पर हर महीने औसतन पांच लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवा रहे हैं, लेकिन हालात सुधारने को ठोस कदम कागजों से आगे नहीं बढ़ पाए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पिछले दिनों दो सगे भाइयों सहित 24 घंटे में तीन राहगीरों की मौत के बाद सिस्टम ने अंगड़ाई जरूर ली, मौका मुआयना हुआ, कागजों में ठोस कदम उठाने पर विचार हुआ, इसके बाद फिर राहगीरों की जिंदगी भगवान भरोसे छोड़ दी गई।
सड़क के दोनों तरफ घनी आबादी
लक्सर मार्ग पर कनखल से ही दोनों तरफ स्कूल, हॉस्पिटल और घनी आबादी शुरू हो जाती है। जगजीतपुर, अजीतपुर, मिस्सरपुर, जियापोता से फेरुपुर, धनपुरा, पदार्था, बादशाहपुर, सुल्तानपुर तक हर पांच किलोमीटर के दायरे में सड़क किनारे कोई न कोई गांव है। लेकिन मार्ग की चौड़ाई सीमित है।
उस पर समस्या यह है कि इस मार्ग पर भारी वाहनों की आवाजाही लगातार बढ़ रही है। यही वजह है कि खनन व ्क्रशरों से जुड़े वाहन अक्सर दुपहिया वाहन सवारों के लिए काल साबित हो रहे हैं। दुर्घटना के आंकड़ों पर गौर करें तो कनखल-लक्सर मार्ग पर हर महीने कम से कम पांच लोग हादसों में अकाल मौत का शिकार हो रहे हैं।
दो सगे भाइयों की मौत से बिगड़े हालात
एक सप्ताह पहले स्थिति तब और भयावह हो गई, जब एक ही दिन में कटारपुर के दो सगे भाइयों और ज्वालापुर के टैंट कारोबारी की मौत हो गई। जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर पुलिस, प्रशासन और लोक निर्माण विभाग की संयुक्त टीम ने लक्सर रोड का स्थलीय निरीक्षण किया और हादसों के कारणों की पड़ताल की।
मौका मुआयना के दौरान पाया गया कि सड़क संकरी होने के साथ ही भारी वाहनों का दबाव, अंधे मोड़, अवैध कट, अपर्याप्त संकेतक, स्ट्रीट लाइटों की कमी और बेतरतीब अतिक्रमण हादसों की प्रमुख वजह बने हुए हैं। निरीक्षण के दौरान दिन के समय भारी वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध लगाने, मार्ग के दोनों ओर चौड़ीकरण, अवैध कट बंद करने, स्पीड ब्रेकर और संकेतक लगाने जैसे कई उपायों पर विचार किया गया।
हालांकि इन सभी सुझावों पर अंतिम निर्णय जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली सड़क सुरक्षा समिति को लेना है। समिति की बैठक और ठोस फैसले का इंतजार अब भी बना हुआ है। यही वजह है कि रोजाना हजारों वाहन जिस मार्ग से गुजरते हैं, वहां हालात जस के तस हैं और हर दिन किसी नए हादसे का खतरा मंडरा रहा है।
लोग बोले, कब टलेगा हादसों का खतरा
मिस्सरपुर निवासी डा. शिव कुमार चौहान, फेरुपुर निवासी सुनील कश्यप, धनपुरा के इलियास मलिक का कहना है कि हर बाद कोई बड़ा हादसा होने पर निरीक्षण और बैठक होती हैं। कुछ दिन बाद सब ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
इतने हादसे होने के बावजूद लक्सर मार्ग पर यात्री, स्कूली बच्चे और दोपहिया सवार जोखिम उठा रहे हैं। हादसों की बढ़ती संख्या के बावजूद सुधार कार्य शुरू न होना प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है। |