deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

वाराणसी में पर‍िवार ने बनाई दूरी तो मां ने हरिश्चंद्र घाट पर 30 वर्षीय बेटे का किया अंतिम संस्कार

cy520520 2025-12-5 18:39:35 views 654

  

औरंगाबाद निवासिनी कुसुम चौरसिया हरिश्चंद्र घाट पर अपने 30 वर्षीय बेटे की चिता में अग्नि प्रज्ज्वलित कर रही थी।



जागरण, संवाददाता, वाराणासी। यह विरल से विरलतम पल है जब कोई मां श्मशान घाट पर आकर अपने बेटे को मुखाग्नि दे और मोक्ष नगरी में उसकी आत्मा की मुक्ति की कामना करें। बुधवार की देर रात को ऐसा ही हुआ जब औरंगाबाद निवासिनी कुसुम चौरसिया हरिश्चंद्र घाट पर अपने 30 वर्षीय बेटे की चिता में अग्नि प्रज्ज्वलित कर रही थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

उसकी आंसुओं के बीच बाबा विश्वनाथ से बेटे की मुक्ति की कामना छिपी थी। औरंगाबाद निवासिनी कुसुम का पति नंदलाल चौरसिया उसे 15 वर्ष पूर्व छोड़ चुका था। उसका कोई पता ठिकाना न था। बर्तन माज- धोकर गुजारा करती थी। उसने अपनी बेटी का विवाह भी 200 मीटर की दूरी पर ही कर दिया था। बेटी अक्सर मां से कुछ न कुछ मदद लेने आती रहती थी।

पुत्र राहुल की मौत लंबी बीमारी के कारण हो गई थी। पिता का पता न था। मां ने पास की बेटी को बुलाया तो उसने भी ससुराल में गमी होने की बात कह कर पल्ला झाड़ लिया। बेचारी कुसुम रोती- बिलखती रही कि पैसे के अभाव में जवान बेटे का अंतिम संस्कार कैसे करेगी।

मोहल्ले के ही रोहित चौरसिया ने समाजसेवी अमन कबीर से सम्पर्क साधा। अमन लाश लेकर श्मशान घाट पहुंचे और अमन कबीर सेवा न्यास के फेसबुक एकाउंट पर लोगों से मदद की गुहार लगाई। आनन- फानन में देशभर से एक रुपये से लगायत 500 रुपये की मदद से 10 से 12 हजार रुपये आ गए। मां ने अपने बेटे का अंतिम दर्शन कर अपनी कांपती हाथों से उसके चेहरे को स्पर्श किया और रोती - बिलखती मुखाग्नि दी।

पहली बार मां ने दी बेटे को मुखाग्नि
अमन कबीर ने बताया कि वे लगभग 100 पारिवारिक लोगों का संस्कार कर चुके हैं लेकिन ऐसा पहली बार हुआ कि किसी मां ने बेटे को मुखाग्नि दी हो। गौर तलब है कि दारा नगर निवासी अमन कुमार यादव (अमन कबीर) कई लावारिश लोगों का दाह संस्कार करा चुके हैं। उनकी संस्था के फेसबुक एकाउंट के सवा लाख लोग फालोवर हैं।

वे ऐसी स्थित में फेसबुक पर मदद की गुहार लगाते हैं। लोग एक रुपये से लेकर एक हजार या ज्यादा रुपये संस्था के एकाउंट में डाल देते हैं। विशेषता यह कि जब मदद लायक धनराशि आ जाती है तो वे फेसबुक पर मदद की आवश्यक राशि जुटने का संदेश डालकर मना भी कर देते हैं कि अब पैसे न दें। लोग इसी के कायल रहते हैं और जरूरत पड़ने पर मदद को तैयार हो जाते हैं।
like (0)
cy520520Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments