कक्षा-छह में प्रवेश के लिए हुई परीक्षा की वैधता को दिल्ली हाई कोर्ट ने सही ठहराया।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सीएम श्री स्कूलों की कक्षा-छह में प्रवेश के लिए हुई परीक्षा की वैधता को सही ठहराते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि यह प्रक्रिया बच्चों के नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम का उल्लंघन नहीं करता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने मास्टर जनमेश सागर की याचिका पर खारिज करते हुए उक्त टिप्पणी की। याचिका में कहा गया था कि छात्रों को प्रवेश परीक्षा देना एक गैर-कानूनी स्क्रीनिंग प्रक्रिया है जो आरटीई अधिनियम की धारा-13 के तहत मना है और यह संविधान के अनुच्छेद- 21-ए के तहत शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।
सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला
मामले पर सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने माना कि धारा-13 के तहत स्क्रीनिंग प्रक्रिया पर रोक सिर्फ प्रवेश स्तर यानी नर्सरी या कक्षा-एक पर प्रवेश पर लागू होती है। कोर्ट ने कहा कि कक्षा-छह के स्तर पर इस प्रक्रिया को प्रवेश स्तर पर नए प्रवेश के बजाय स्थानांतरण माना जाता है। क्योंकि प्रवेश चाहने वाले बच्चे पहले से ही ऐसे स्कूलों में पंजीकृत हैं जो पूरी एलिमेंट्री एजुकेशन देते हैं।
ऐसे में आरटीई अधिनियम सीएम श्री स्कूलों जैसे खास श्रेणी के स्कूलों में प्रवेश या स्थानांतरण की मांग करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं देता है। कोर्ट ने कहा कि जो छात्र काबिलियत दिखाते हैं, उन्हें बेहतर शैक्षिक मौके देना भेदभाव वाला नहीं माना जा सकता, खासकर तब जब बेहतर संस्थानों की संख्या सीमित हो, और मांग मौजूद सीटों से कहीं ज्यादा हो।
याचिकाकर्ता छात्र ने अपने पिता के माध्यम से दिल्ली सरकार के 23 जुलाई 2025 के आदेश को चुनौती दी थी। इसमें 2025-2026 प्रवेश सत्र के लिए सीएम श्री स्कूलों में कक्षा-छह से तीन में प्रवेश के लिए दिशानिर्देश तय की गई थीं।
परीक्षा देने के लिए किया गया मजबूर
उन्होंने दावा किया कि उन्हें 13 सितंबर 2025 को प्रवेश परीक्षा देने के लिए मजबूर किया गया था और बाद में 29 सितंबर 2025 को जब परिणाम घोषित हुआ तो उन्हें \“फेल\“ घोषित कर दिया गया। वहीं, दिल्ली सरकार ने कहा कि इस मामले पर हाई कोर्ट ने 2012 में एक निर्णय दिया था। जिसमें कक्षा छह में राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालयों में चयन आधारित प्रवेश को सही ठहराया था। |