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HR रूपशा मुखर्जी की कहानियां छू लेंगी दिल, 500 से ज्यादा जख्मी और विकलांग कुत्तों की बचा चुकी जान

deltin33 2025-10-4 23:36:37 views 1250

  नोएडा की एचआर ने विदेशी दिलों में बसाए देश के जख्मी जानवर





चेतना राठौर, नोएडा। विश्व पशु कल्याण दिवस (वर्ल्ड एनिमल वेलफेयर डे) पर आज दुनिया भर में पशु प्रेमियों की आवाज गूंजेगी। नोएडा शहर में एक हकीकत यह भी है कि जख्मी और विकलांग जानवरों को गोद लेने की दौड़ में विदेशी नागरिक भारतीयों से कहीं आगे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सड़कों पर तड़पते कुत्ते, घायल बिल्लियां और लाचार गोवंश इनकी कहानियां सोशल मीडिस से सीमाओं पार पहुंच रही हैं, और कनाडा, अमेरिका जैसे देशों से लोग इन्हें अपनाने को बेताब हैं। नोएडा की रूपशा मुखर्जी जैसी \“\“एनिमल एंजेल\“\“ इस क्रांति की अगुआई कर रही हैं, जिन्होंने 15 सालों में 500 से ज्यादा रेस्क्यू के साथ 300 से अधिक कुत्तों को नया जीवन दिया।



पेशे से आईटी कंपनी में एचआर रूपशा ग्रेटर नोएडा वेस्ट में रहतीं हैं। सड़क के इन \“\“अनसुने हीरोज\“\“ के लिए अपना सब कुछ देने के लिए तैयार हैं।

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद 12 कुत्तों को विदेशी लोगों ने गोद लिया। यह सभी सड़क से बचाए गए थे या बेहद गंभीर अवस्था में घायल मिले थे। रेस्क्यू के बाद बैकग्राउंड जांच, कानूनी प्रक्रिया और दस्तावेजों की सख्त जांच के बाद विदेशी लोगों को कुत्ते दिए जाते हैं। रोज अपडेट्स के साथ फोटोज भेजना भी उनकी प्राथमिकता है, ताकि नया परिवार हमेशा जुड़ा रहे। रूपशा की कहानियां दिल छू लेती हैं।



2022 में केरल की सड़कों पर बुरी तरह पीटे गए एक कुत्ते को विदेशी एनिमल लवर की सूचना पर रेस्क्यू किया। हफ्तों की मरहम-पट्टी के बाद कनाडा की सुशान मार्टिन ने इसे \“\“जैली\“\“ नाम देकर अपनाया। ठीक वैसी ही जज्बाती यात्रा थी स्नो की रही।

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फरवरी 2025 में जयपुर के कचरे में घायल मिले इस छोटे कुत्ते को अमेरिकी पर्यटक यूमी ने सोशल मीडिया पर रूपशा तक पहुंचाया। दिल्ली में इलाज, फिर कनाडा के रे-राकेट नाम के व्यक्ति ने इंटरनेट मीडिया पर स्नो को प्यार दिया। 12 लाख रुपये खर्च कर हवाई जहाज से स्नो को नया घर मिला। आज स्नो वहां खुशी से दौड़ रहा है।
कई प्रमाण पत्र होने पर जाते हैं विदेश

भारत से कुत्तों को विदेश ले जाने के लिए एयरलाइंस की मंजूरी लेनी होती है। इसके लिए अतिरिक्त खर्च देना होता है। कुत्ते का ट्रेवलिंग, रेबीज, सभी टीकाकरण समेत जरूरी प्रमाण-पत्र जरूरी होते हैं। विदेश के एनजीओ के माध्यम से कुत्तों को वहां भेजा जाता है।
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