वीरों देवल में चल रही चंडिका की बन्याथ में उमड़े श्रद्धालु। जागरण
संवाद सहयोगी, जागरण, रुद्रप्रयाग: गढ़वाल की सांस्कृतिक आस्था और पारंपरिक शक्ति उपासना को नई ऊर्जा देते हुए चंडिका देवी महा बन्याथ वीरों देवल में इस वर्ष अभूतपूर्व उत्साह और श्रद्धा का सैलाब उमड़ा रहा है।
वीरों देवल, संगुड, नैनी पोंडार और क्यार्क बरसूडी समेत कई गांवों की कुलदेवी चंडिका माता को समर्पित यह लोकपर्व क्षेत्र की सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक परंपराओं में से एक है। सुबह से ही आयोजन स्थल पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ढोल-दमाऊ की पारंपरिक थाप, मंत्रोच्चार और देवी आराधना के साथ पूरा क्षेत्र भक्तिमय वातावरण में डूबा हुआ है। सभी वैदिक अनुष्ठान कुल पुरोहित डिमरी और कांडपाल ब्राह्मणों द्वारा पारंपरिक विधि-विधान से संपन्न किए जा रहे हैं।
बन्याथ में होगी विशेष पूजा
बन्याथ के आयोजन का सबसे पवित्र क्षण ब्रह्मोदय तीन दिसंबर को होगा। ब्रह्मोदय को महाबन्याथ का हृदय माना जाता है, जहां हजारों श्रद्धालु देवी महाशक्ति के आशीर्वाद के लिए एकत्रित होते हैं।
इस अवसर पर क्षेत्र के सभी गांवों से भारी भीड़ पहुंचने की संभावना है। स्थानीय लोगों के साथ-साथ प्रवासी ग्रामीण भी इस पारंपरिक अनुष्ठान का हिस्सा बनने लौट रहे हैं।
समिति के अध्यक्ष डा. आशुतोष भंडारी, सचिव मदन मोहन डिमरी, कोषाध्यक्ष राजेश विष्ट ने श्रद्धालुओं से आग्रह किया है कि वे इस प्राचीन धार्मिक परंपरा में सहभागिता कर इसे और अधिक भव्य एवं सफल बनाने में सहयोग दें।
सांस्कृतिक पहचान का उत्सव
पंडित देवी प्रसाद काण्डपाल, दीपक डिमरी, पीयूष डिमरी, सनातन व शुसील डिमरी ने बताया कि यह बनियान 21 वर्ष बाद हो रही है। उन्होंने बताया कि चंडिका देवी महा बन्याथ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान भर नहीं है, यह पीढ़ियों से चली आ रही सांस्कृतिक जड़ों, सामुदायिक एकजुटता और लोक-गौरव का उत्सव है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह आयोजन आस्था, परंपरा और सामाजिक सौहार्द का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।
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