फाइल फोटो।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। डिमना चौक स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल का नए भवन में Shift हुए एक वर्ष भी पूरा नहीं हुआ है, लेकिन अस्पताल की स्थिति तेजी से बिगड़ती जा रही है। गुरुवार को एनईपी के डायरेक्टर और एमजीएम के नोडल पदाधिकारी संतोष गर्ग ने अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान जो तस्वीर सामने आई, उसने अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही को उजागर कर दिया। कई विभागों में अव्यवस्था देखकर डायरेक्टर भड़क उठे और कहा कि अब लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जल्द ही सख्त कार्रवाई होगी।
ओपीडी में नहीं थे डॉक्टरों के नाम, टोकन सिस्टम भी ठप
डायरेक्टर ने जब ओपीडी का निरीक्षण किया तो पाया कि सामने बोर्ड पर किसी भी चिकित्सक का नाम प्रदर्शित नहीं था। इससे मरीजों को सही काउंटर तक पहुंचने में परेशानी हो रही थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि अस्पताल में महीनों पहले लागू किया गया टोकन सिस्टम पूरी तरह बंद पड़ा था। सिर्फ ईएनटी विभाग में यह सिस्टम चालू मिला। बाकी विभागों में मरीजों को लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ रहा था। डायरेक्टर ने कहा कि उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने मरीजों की सुविधा के लिए कई निर्देश दिए थे, लेकिन अस्पताल प्रबंधन की उदासीनता ने स्थिति बदतर कर दी है।
80% शौचालय बंद, कर्मचारियों का अवैध कब्जा
अस्पताल में स्वच्छता व्यवस्था की वास्तविक स्थिति बेहद खराब मिली। निरीक्षण के दौरान सामने आया कि अस्पताल के लगभग 80% शौचालय बंद थे। एनईपी डायरेक्टर ने उपाधीक्षक डॉ. जुझार मांझी से पूछा कि आखिर मरीजों और उनके परिजनों के लिए शौचालय बंद क्यों रखे गए हैं। कई शौचालयों पर एमजीएम स्टाफ लिखकर ताले जड़े हुए थे।
मेडिसिन विभाग में 16 शौचालयों में से 11 शौचालय बंद मिले, जिससे मरीजों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। उपाधीक्षक ने भी नाराजगी जताते हुए कहा कि जितने कर्मचारी हैं, उससे अधिक शौचालयों पर कब्जा है। यह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
44 वाटर कूलर खराब, पीने के पानी के लिए भटक रहे मरीज
अस्पताल के विभिन्न तलों पर लगे लगभग 44 वाटर कूलर भी बंद पड़े मिले। ये सभी कूलर मरीजों को सामान्य, गर्म और ठंडा पानी उपलब्ध कराने के लिए लगाए गए थे, लेकिन अब इनसे पानी नहीं मिल पा रहा है।
निरीक्षण के दौरान ड्यूटी पर मौजूद होमगार्ड जवानों ने बताया कि अस्पताल की लिफ्ट में मरीजों के फंसने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। लिफ्ट ऑपरेटर नहीं होने के कारण मरीज खुद ही लिफ्ट चला रहे हैं। कई बार लिफ्ट बीच में रुक जाती है और मरीजों को 1-2 घंटे तक फंसा रहना पड़ता है। डायरेक्टर ने इसे गंभीर खतरा बताते हुए तुरंत ऑपरेटर की व्यवस्था करने और लिफ्टों की तकनीकी जांच कराने का निर्देश दिया।
सिर्फ ईएनटी विभाग में काम कर रहा टोकन सिस्टम
पूरे निरीक्षण में केवल ईएनटी विभाग ही ऐसा मिला, जहां टोकन सिस्टम सक्रिय था। बाकी सभी विभागों में यह सुविधा पूरी तरह ठप थी, जबकि इससे भीड़ प्रबंधन और मरीजों को राहत मिल सकती थी।
एनईपी डायरेक्टर संतोष गर्ग ने कहा कि अस्पताल की अव्यवस्था अब किसी भी परिस्थिति में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी विभागों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इसके बाद दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी और मरीजों की सुविधाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। |