पंचायत चुनाव में सभी आरक्षित पदों में होगा फेरबदल
राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य निर्वाचन आयोग को अब त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने के लिए निर्धारित प्रविधान के तहत सभी आरक्षित कोटि के पदों के चक्र में बदलाव करना होगा। दरअसल, पिछले दो चुनावों में जिन पदों पर जिस कोटि के प्रत्याशियों को आरक्षण का लाभ दिया गया था अब वहां पर आरक्षण का चक्र बदल जाएगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
त्रिस्तरीय पंचायत आम चुनाव में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग एवं महिलाओं को अधिकतम 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रविधान है। ऐसे में राज्य में होने वाले पंचायत चुनाव में तीसरी बार आरक्षण के चक्र में बदलाव होगा।
पंचायती राज अधिनियम में व्यवस्था है कि लगातार दो आम चुनावों के उपरांत आरक्षण का चक्र बदल जाएगा। विदित हो कि नीतीश सरकार ने वर्ष 2006 में पहली बार सभी पदों का आरक्षण लागू किया गया था जिसका चक्र 2011 में समाप्त हो गया।
वर्ष 2016 एवं वर्ष 2021 का पंचायत आम चुनाव में एक पद पर लगातार दो बार जिस कोटि के प्रत्याशियों लिए आरक्षित किया गया था। अब वर्ष 2026 में पंचायत आम चुनाव वह चक्र बदल जाएगा।
अब जिस कोटि के प्रत्याशियों के लिए 2021 में पद आरक्षित थे उसे समाप्त कर जनगणना के आधार पर नए सिरे से आरक्षण का लाभ दिया जाएगा।
आरक्षण का क्या प्रविधान?
त्रिस्तरीय पंचायतों में पदों का आरक्षण अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को उसकी जनसंख्या के अनुपात में दिया जाता है। अगर किसी निर्वाचन क्षेत्र में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की आबादी 25 प्रतिशत है तो वहां उस कोटि के पदों का आरक्षण भी 25 प्रतिशत होगा। शेष पदों में अत्यंत पिछड़ा वर्ग के प्रत्याशियों को 20 प्रतिशत के निकट होगी।
पदों का आरक्षण जिला दंडाधिकारी द्वारा विहित रीति से तैयार किया जाएगा। आरक्षण के दिशा-निर्देश के अनुसार पंचायत सदस्यों का आरक्षण ग्राम पंचायत के कुल पदों के आधार पर तैयार किया जाएगा, जबकि मुखिया के पदों का आरक्षण एक पंचायत समिति के अंदर आने वाले ग्राम पंचायतों के आधार पर तैयार किया जाएगा।
इसी प्रकार से पंचायत समिति के सदस्यों का आरक्षण उस पंचायत समिति के कुल सदस्यों के आधार पर तैयार किया जाएगा। प्रखंड प्रमुख का आरक्षण प्रत्येक जिला के कुल पदों का 50 प्रतिशत होगा।
इसी प्रकार से जिला परिषद सदस्यों का आरक्षण हर जिले के कुल सदस्यों की संख्या का 50 प्रतिशत होगा। जिला परिषद अध्यक्ष के पदों का आरक्षण राज्य में जिला अध्यक्षों के कुल पदों का 50 प्रतिशत होगा। |
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