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Deepawali 2025 : काशी के ज्‍योत‍िष‍ियों की गणना के अनुसार इस द‍िन है दीपावली, 20 या 21 की त‍िथ‍ि का दूर कर लें भ्रम

deltin33 2025-10-3 22:06:25 views 906

  लोगों में भ्रम की स्‍थ‍ित‍ि है क‍ि आख‍िर दीपावली कब है?





जागरण संवाददाता, वाराणसी। इस बार की दीपावली को लेकर लोगों में काफी भ्रम की स्‍थ‍ित‍ि है। एक ओर 20 की त‍िथ‍ि उत्‍तर भारत में ज्‍योत‍िषी मान रहे हैं तो दूसरे प्रदेशों के ज्‍योत‍िषाचार्य 21 अक्‍टूबर की त‍िथि‍ मान रहे हैं। इससे इतर सेबी ने भी 21 अक्‍टूबर को दीपावली का मु‍हूर्त ट्रेड‍िंंग सत्र रखकर लोगों के सामने चुनौती खड़ी कर दी है। ऐसे में लोगों में भ्रम की स्‍थ‍ित‍ि है क‍ि आख‍िर दीपावली कब है?   विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



सनातन धर्म में कार्तिक अमावस्या पर श्री-समृद्धि का पर्व दीपावली मनाया जाता है। इस वर्ष कार्तिक अमावस्या का पर्व दो दिन मनाया जाएगा। हालांक‍ि काशी के ज्‍योत‍िषाचार्यों के अनुसार पहले दिन 20 अक्टूबर को ही दीप ज्योति पर्व दीपावली का आयोजन होगा, जबकि दूसरे दिन 21 अक्टूबर को स्नान-दान की अमावस्या होगी। इस संबंध में काशी के ज्योतिषियों ने तिथि की गणना प्रस्तुत की है।

कार्तिक अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को दिन में 2.56 बजे प्रारंभ होगी और 21 अक्टूबर को शाम 4.26 बजे तक रहेगी। निर्णय सिंधुकार के अनुसार, ‘पूर्वत्रैव प्रदोषव्याप्तो लक्ष्मीपूजनादौ पूर्वा’ का उल्लेख है। धर्म सिंधु के अनुसार, कार्तिक कृष्ण अमावस्या के प्रदोष काल में दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इस प्रकार, दीपावली की तिथि 20 अक्टूबर ही होगी। उत्तर भारत में इस दिन प्रभु राम के अयोध्या आगमन का समय होगा, जिससे अयोध्यावासियों समेत अन्य लोग दीपोत्सव मनाएंगे।



प्रदोष काल में दीपदान, लक्ष्मी पूजन आदि करने का आदेश है। अतः 20 अक्टूबर को प्रदोष काल में अमावस्या का मिलन दीपावली मनाने के लिए शास्त्र सम्मत होगा। पर्व विशेष पर प्रदोष काल से लेकर रात्रि तक दीपोत्सव और पूजन का शास्त्रीय विधान है। वहीं, 21 अक्टूबर को स्नान-दान, सहस्त्र सूर्यग्रहण समान पुण्यदायी भौमवती अमावस्या का महत्व है।

अमावस्या के दो दिन होने से तिथि-पर्व भ्रम को दूर करते हुए ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी ने बताया कि 20 अक्टूबर को प्रदोष और निशीथ काल (मध्य रात्रि) दोनों में कार्तिक अमावस्या तिथि का मिलन दीपावली को मनाने के लिए शास्त्र सम्मत है। 21 अक्टूबर को सूर्यास्त शाम 5.40 बजे होगा, जिससे अमावस्या 21 अक्टूबर को सूर्यास्त से पूर्व समाप्त हो जाएगी और शाम 4.26 के बाद कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि प्रारंभ होगी।



प्रदोष और रात्रि व्यापिनि कार्तिक अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को ही प्राप्त होगी। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद दो घटी रहता है, जिसमें एक घटी 24 मिनट की होती है। इस प्रकार, सूर्यास्त से 48 मिनट का समय प्रदोष काल होगा, जो 20 अक्टूबर को ही मिलेगा। वहीं, 21 अक्टूबर को कार्तिक अमावस्या स्नान-दान श्राद्ध की होगी। इस बार कार्तिक अमावस्या पर भौमवती अमावस्या होने से गंगा स्नान सहस्त्र सूर्य ग्रहण का फल देने वाला होगा।



दीपावली पूजन का मुख्य काल प्रदोष काल है, जिसमें स्थिर लग्न की प्रधानता आवश्यक है। स्थिर लग्न वृष शाम 7.10 बजे से रात 9.06 बजे तक रहेगा। इस वर्ष दिन का स्थिर लग्न कुंभ दिन में 2.34 बजे से शाम 4.05 बजे तक होगा। सिंह लग्न मध्य रात्रि के बाद आने से निशीथ काल में महाकाली पूजन होगा।
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