Agrovision 2025: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को कहा कि विदर्भ में किसानों की आत्महत्या का युग समाप्त होना चाहिए और इस क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर कृषि संकट के लिए नहीं बल्कि नवाचार, समृद्धि और विश्व स्तरीय कृषि उत्पादन के लिए पहचाना जाना चाहिए। चार दिवसीय एग्रोविजन 2025 के समापन सत्र में बोलते हुए गडकरी ने बताया की इस बार 3 से 4 लाख किसानों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
उन्होंने इस साल हुए स्पेन दौरे का जिक्र किया, जिसमें विदर्भ के किसान भी गए थे। गडकरी ने कहा कि AI आधारित प्रिसीजन एग्रीकल्चर से संतरे का उत्पादन 5 टन प्रति एकड़ से बढ़कर 30 टन तक हो सकता है। साथ ही इसमें 50% कम पानी और 40% कम खाद लगती है। यानी कम खर्च में 40% ज्यादा और बेहतर क्वालिटी का उत्पादन मिल सकता है।
गडकरी ने स्पेन दौरे का किया जिक्र
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इस साल की शुरुआत में विदर्भ के किसानों के स्पेन दौरे का जिक्र करते हुए, गडकरी ने कहा कि AI आधारित प्रिसीजन एग्रीकल्चर 50% कम पानी और 40% कम उर्वरक का उपयोग करते हुए संतरे का उत्पादन 5 टन प्रति एकड़ से बढ़ाकर 30 टन कर सकती है, जिससे बेहतर फल गुणवत्ता के साथ 40% अधिक उत्पादन प्राप्त हो सकता है।
इस कार्यक्रम में “Spain to Israel via Vidarbha“ नाम की एक किसान-केंद्रित किताब भी लॉन्च की गई, जिसमें दुनिया की बेहतरीन कृषि तकनीकों और तरीकों को शामिल किया गया है।
एग्रोविजन के तहत सरकारी एजेंसियों और गैर-सरकारी संगठनों के बीच बीज संशोधन, जल के कुशल उपयोग और फसल-वार प्रोत्साहनों के माध्यम से अनुसंधान और नवाचारों के लिए कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए, साथ ही उच्च-मानक संतरा नर्सरी के विकास के लिए भी, जिसके लिए महाराष्ट्र सरकार एक नई नीति तैयार कर रही है।
विज्ञान केंद्र की हुई घोषणा
इसके अलावा, किसानों को डिजिटल टूल्स, AI तकनीक और प्रिसीजन फार्मिंग (सटीक खेती) में मदद देने के लिए विज्ञान केंद्र (Vigyan Kendra) की भी घोषणा की गई, ताकि किसान आधुनिक तकनीक के साथ बेहतर खेती कर सकें।
उन्होंने कहा कि ये पहल केवल खट्टे फलों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि कपास, गन्ना, जैविक फल, सब्जियां, और रेशम उत्पादन (सेरिकल्चर) में लगे किसानों को भी सहायता मिलेगी। लाभ सुनिश्चित करने के लिए कपास बाजार-लिंकेज मॉडल पर काम किया जा रहा है, जबकि सेरिकल्चर विभाग के निदेशक ने कहा कि रेशम की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा, खासकर महिलाओं और युवाओं के बीच।
गडकरी ने कहा कि विदर्भ में हजारों मालगुजारी तालाब हैं, जो सिंचाई, जलीय कृषि और आजीविका को गति प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र के झींगे (prawns) विश्व स्तरीय गुणवत्ता के हैं, जिसके प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) और निर्यात की आवश्यकता है।
15 वर्षों से जैव ईंधन की वकालत की- गडकरी
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लागत में कमी किसानों की समृद्धि की रीढ़ है। उन्होंने सीएनजी ट्रैक्टरों और जैव ईंधन आधारित कृषि मशीनरी के आगमन पर प्रकाश डाला और याद दिलाया कि वे पिछले 15 वर्षों से जैव ईंधन की वकालत करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई किसान पहले से ही सोलर पंपों का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि यदि वैकल्पिक ईंधन की ओर रुझान व्यापक हो जाता है, तो डीजल पर खर्च भी काफी कम हो जाएगा।
गडकरी ने बताया कि PDKV कैंपस में अंतरराष्ट्रीय स्तर का सात मंज़िला किसान सम्मेलन केंद्र बनकर तैयार हो गया है, जहाँ सालभर ट्रेनिंग, कॉन्फ्रेंस और रिसर्च के कार्यक्रम होंगे। उन्होंने कहा कि एक स्मार्ट विलेज मॉडल पर भी काम चल रहा है, जिसमें 500 वर्ग फीट के 1,000 घर सिर्फ 5 लाख रुपये में बनाए जाएंगे।
गडकरी ने यह भी बताया कि संतरा, कपास और गन्ने के किसानों के लिए क्लस्टर सिस्टम या “गट” बनाए जाएंगे, ताकि किसान मिलकर अपनी फसल के बेहतर दाम हासिल कर सकें और एक मजबूत वैल्यू चेन तैयार हो सके।
गडकरी ने बताया कि एग्रोविजन के दौरान सेमिनारों और कार्यशालाओं में 30,000 से ज्यादा लोग शामिल हुए, जिनमें युवाओं की अभूतपूर्व भागीदारी रही। उन्होंने आगे बताया कि सभी दिनों में प्रतिदिन 1 लाख से ज्यादा लोगों की उपस्थिति देखी गई।
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