लोगों का कहना है कि गलियों में कुत्तों की संख्या बहुत ज्यादा है और वे असुरक्षित महसूस कर रहे हैं
अंचल सिंह, जागरण, जम्मू। मंदिरों के शहर जम्मू में बेजुबान लावारिस कुत्तों का आतंक इस कदर बढ़ चुका है कि लोग घरों से बाहर निकलते कतराने लगे हैं। शहर की शायद ही कोई गली होगी, जहां इन लावारिस कुत्ताें की टोलियां न हों। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
खाली गलियों पर कब्जा कर मस्ती में घूमते यह कुत्ते बच्चों और बुजुर्गाें को सबसे ज्यादा डराते हैं। शहर में कुत्तों के काटने के 60-70 मामले हर महीने सामने आ रहे हैं। स्थिति यह है कि सुबह-शाम सैर अथवा जरूरी काम के लिए घरों से निकलने वाले अधिकतर लोग हाथों में डंडे लेने को मजबूर हैं।
उन्हें डर रहता है कि जाने कौन सी नुक्कड़ से काेई लावारिस कुत्ता उन पर झपट पड़े। नागरिक परेशान हैं। हालात की गंभीरता का अंदाजा शहर के मुख्य अस्पतालाें में बढ़ती कुत्तों के काटे मरीजों की संख्या से लग जाता है।
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गवर्नमेंट मेडिकल कालेज अस्पताल में रोजाना 50 के करीब जम्मू शहर के मामले आ रहे हैं। यहां चौबीस घंटे सुविधा उपलब्ध हैं। इनमें जम्मू शहर के 20-25 के आसपास मामले रहते हैं। वहीं गवर्नमेंट गांधीनगर अस्पताल में सुबह 10 बजे से शाम तक रोजाना 25 से 30 मामले आ रहे हैं जिनमें 15 से 20 शहर की गलियों में आवारा कुत्तों द्वारा काटने के ही होते हैं।
गवर्नमेंट सरवाल अस्पताल में 15 के करीब तथा गंग्याल स्थित राजीव गांधी अस्पताल में रोजाना 2-5 मामले आ रहे हैं। चूंकि प्राइमरी हेल्थ सेंटरों में सिर्फ एक डोज दी जाती है। लिहाजा वहां के मामले भी बाद में अस्पतालों में पहुंचते हैं। कुल मिलाकर जम्मू शहर में प्रति माह 1800 से 2000 के करीब कुत्तों के काटने के मामले अस्पतालों में भी पहुंच रहे हैैं।
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जम्मू शहर में 48 हजार कुत्ते
जम्मू नगर निगम अधीनस्थ आने वाले शहर के 75 वार्डों में मौजूदा समय में 48 हजार के करीब लावारिस कुत्ते हैं। वर्ष 2023 में निगम द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसान करीब 43 हजार कुत्ते शहर में थे जिनकी संख्या मौजूदा समय में लगभग 48 हजार है। हालांकि निगम ने एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) प्रोग्राम चलाकर इन कुत्तों की आबादी रोकने के प्रयास जारी रखे हुए हैं।
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क्या कहते हैं लोग
‘बड़े कुत्ते हो गए हैं। गलियों में निकलना मुश्किल होता है। शाम और रात के समय इन कुत्तों के डर से गलियों में निकलना खतरे से खाली नहीं रह गया। किसी को भी काट देते हैं। हमारे मुहल्लों में दर्जनों कुत्ते गलियों में देखे जा सकते हैं।’ -गुरजोत सिंह, निवासी नानक नगर
‘बुजुर्गों, बच्चों का घरों से निकलना दुभर हो चुका है। हर गली में कुत्ते घात लगाए बैठे दिखते हैं। बच्चो, बुजुर्गाें पर तो पक्का झपट पड़ते हैं। इन्हें कहीं शिफ्ट किया जाना चाहिए। कुत्तों ने जीना हराम किया हुआ है। सभी परेशान हैं।’ -अनिल अहिरवार, निवासी शास्त्री नगर
‘करीब एक माह पहले मुझे एक कुत्ते ने काट दिया। पांच इंजेक्शन लगवाने पड़े। तब से डर गया हूं। गली में कुत्ता देखते ही भयभीत हो जाता हूं। बहुत कुत्ते हैं। इनका कोई पक्का इंतजाम होना चाहिए। शहर भर में कुत्तों का आतंक बना हुआ है।’ -समर्थ सिह चस्याल, निवासी त्रिकुटा नगर
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क्या कहते हैं अधिकारी
‘शहर में एबीसी प्रोग्राम जारी है। रोजाना 40 के करीब कुत्तों की नसबंदी करने के साथ टीकाकरण किया जाता है। आबादी पर रोक लगी है। आने वाले कुछ वर्षों में इस प्रोग्राम का प्रभाव नजर आएगा। फिलहाल कुत्तों को जहां से उठाया जाता है, टीकाकरण व नसबंदी की प्रक्रिया के बाद दोबारा वहीं छोड़ा जाता है। हमारी टीमें रूटीन में लावारिस कुत्तों को उठा रही हैं।’ -डॉ गौरव चौधरी, पशु कल्याण अधिकारी, जम्मू नगर निगम |