कानपुर आईआईटी में आत्महत्या के मामले बढ़े।
जागरण संवाददाता, कानपुर। IIT Kanpur Suicide Case: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) पढ़ाई की ख्वाहिश लेकर छात्र दाखिला लेते हैं। यहां पहुंचने के लिए बच्चे कड़ी मेहनत करते हैं। माता-पिता के सपने को पूरा करने के लिए आगे बढ़ते हैं। लेकिन उस समय दिल दहल जाता है जब सूचना मिलती है कि छात्र ने आत्महत्या कर ली। ऐसा ही मामला एक बार फिर आईआईटी कानपुर में आया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह कोई पहला मामला नहीं है जबकि आईआईटी कानपुर के किसी छात्र ने जान दी हो। इससे पहले भी कई छात्र आत्महत्या कर चुके हैं। अब यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आखिर इसकी स्टडी प्रेशर है या कुछ और? इस पर कोई बोलने को तैयार नहीं।
हर साल कितने लोग आत्महत्या करते हैं?
दरअसल, पिछले कुछ समय से IIT Kanpur में छात्र छात्राओं के आत्महत्या का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। साल 2024 में भी कई मामले सामने आए थे। अब साल 2025 में भी एक के बाद एक छात्र जिंदगी छोड़ मौत को गले लगा रहे हैं। इस साल की शुरुआत में ही पीएचडी कर रहे एक छात्र ने अपने कमरे में एक सुसाइड नोट लिखकर फंदा लगा जान दे दी थी। अब बंद कमरे में एक छात्र का शव तीन दिन से फंदे से लटका था लेकिन इसकी जानकारी आईआईटी प्रशासन को हुई न छात्रों को। बदबू आने पर कमरा खोलकर देखा गया तो छात्र का शव फंदे से लटक रहा था।
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जान गवां रही प्रतिभाएं, काउंसिलिंग सेल केवल नाम की
आइआइटी कानपुर में बीते 18 सालों में नौ छात्र और एक प्रोफेसर आत्महत्या कर चुके हैं। पिछले एक साल में तीन छात्रों ने मौत की राह चुनी जो किसी भी तरह से सामान्य नहीं है। पढ़ाई का दबाव या घर परिवार से दूर रहने का अकेलापन, छात्र मन ही मन अपनी बात भी किसी को नहीं बताते हैं और आत्महत्या का कदम उठा लेते हैं। आत्महत्या के बाद छात्रों की मनोदशा को सुधारने के लिए काउंसिलिंग कराने की बड़ी-बड़ी बातें की जाती है लेकिन जिस तरह से आए दिन आत्महत्या की घटनाएं हो रही हैं उससे लगता है कि छात्रों को काउंसिलिंग का कोई फायदा नहीं मिलता। केवल नाम के लिए काउंसिलिंग कराई जाती है।
विकास के सुसाइड में ये थे सवाल
11 जनवरी 2024 को मेरठ निवासी एमटेक छात्र विकास मीणा ने आत्महत्या की थी। विकास के कमरे से पुलिस को जो सुसाइड नोट मिला था, जिसमें लिखा था कि उसका अकादमिक प्रदर्शन बेहतर न होने के चलते उसने यह कदम उठाया था। उस समय आइआइटी के प्रशासनिक अफसरों ने दावा किया था कि वह कैंपस का माहौल बेहतर बनाएंगे। लेकिन घटना के एक सप्ताह बाद ही 18 जनवरी 2024 को झारखंड निवासी पीएचडी छात्रा प्रियंका जायसवाल ने आत्महत्या कर ली। इससे साफ है कि आइआइटी छात्रों को वह बेहतर माहौल नहीं दे सका जितने की छात्रों को जरूरत है।
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