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सोनीपत में यमुना में डाला जा रहा फैक्ट्रियों का बिना शोधित पानी, दो सैंपल फेल मिले

deltin33 2025-11-17 04:36:32 views 332

  

सरकारी एजेंसियों की उदासीनता से यमुना लगातार मैली हो रही है।  



नंदकिशोर भारद्वाज, सोनीपत। सरकारी एजेंसियों की उदासीनता से यमुना लगातार मैली हो रही है। फैक्ट्रियों से निकले केमिकल युक्त पानी को बिना शोधित किए ही यमुना में डाला जा रहा है। बड़ी औद्योगिक क्षेत्र के सीईटीपी से लिए शोधित पानी के दो नमूने फेल पाए गए हैं। इनमें प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों की मात्रा तय मानकों से कई गुना अधिक मिली है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इससे साफ हो जाता है कि फैक्ट्रियोंं के पानी को शोधित करने के लिए लगाए गए सीईटीपी सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इन सीईटीपी के संचालन के लिए जिम्मेदार एचएसआइआइडीसी को कारण बताओ नोटिस जारी करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए विभाग पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।

पिछले दिनों आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के हरियाणा सरकार पर यमुना में जहर मिलाने का आरोप लगाया था। इसके बाद हड़कंप मच गया था। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने उनके बयान का विरोध करते हुए दिल्ली की सीमा पर स्थित दहिसरा गांव के घाट पर जाकर यमुना जल का आचमन किया था।

इसके बाद सीएम ने यमुना के किनारे वाले जिलों के डीसी को सख्त आदेश जारी करते हुए कहा था कि बिना शोधन के एक बूंद पानी भी यमुना में नहीं गिरना चाहिए, लेकिन नगर निगम के राठधना स्थित एसटीपी से रोजाना 20 एमएलडी दूषित पानी बिना शोधन के सीधे यमुना में जा रहा था।

इस कारण हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एसडीओ रविंद्र कुमार को सही से निगरानी न करने पर निलंबित कर दिया था। इसके बाद निगरानी की प्रक्रिया को सख्त कर दिया गया। वहीं निगम ने भी राठधना में 30 एमएलडी का अतिरिक्त एसटीपी लगाने की प्रक्रिया शुरू की।

इसी निगरानी के तहत 24 अक्टूबर को हरियाणा राज्य प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों ने बड़ी औद्योगिक क्षेत्र का औचक निरीक्षक किया। वहां पर सीईटीपी (कामन ईफल्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट) के इनलेट पर पानी का स्तर कम पाया गया, जबकि गांव भोगीपुर में सीईटीपी के निकास बिंदु पर पानी पूरे प्रेशर से ड्रेन नंबर छह में गिर रहा था।

इससे अधिकारियों को शक हुआ कि कोई भूमिगत पाइप लाइन दबाकर फैक्ट्रियों से आने वाले पानी को बाईपास किया जा रहा है और उसे बिना शोधित किए ही ड्रेन नंबर छह व आठ के जरिये सीधे यमुना में डाला जा रहा है। अधिकारियों ने बड़ी औद्योगिक क्षेत्र स्थित 10 और 16 एमएलडी के सीईटीपी से एक-एक और इनके निकास बिंदु गांव भोगीपुर में जहां पर शोधित पानी ड्रेन छह में गिर रहा था, से एक सैंपल लेकर जांच के लिए लैब में भेजा।

चार नंबर को आई रिपोर्ट में 16 एमएलडी के सीईटीपी और गांव भाेगीपुर में ड्रेन छह से लिए गए सैंपलों में प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों की मात्रा कई गुना अधिक मिली। इससे यही निष्कर्ष निकला कि पानी को बिना शोधित किए यमुना में भेजा जा रहा है।
बीमा ने अधिकारियों को पत्र लिखा, सीईटीपी सही से चलवाने की मांग

बड़ी औद्योगिक मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने एचएसपीसीबी (हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) और एचएसआइआइडीसी (हरियाणा राज्य आधारभूत संरचना विकास निगम) के अधिकारियों को पत्र लिखकर बताया कि बड़ी औद्योगिक क्षेत्र में सीईटीपी सही से काम नहीं कर रहे। एसोसिएशन के अध्यक्ष अमित गोयल ने बताया कि उद्योगपतियों से सीईटीपी के संचालन के लिए हर महीने करीब 70 लाख रुपये शुल्क के रूप में लिए जाते हैं, लेकिन पानी का शोधन नहीं किया जाता।

इसका खामियाजा उद्योगपतियों को भुगतना पड़ता है। उद्योगपति जल्द ही बैठक बुलाकर इस संबंध में रणनीति बनाएंगे। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार के बुलाने पर ही बड़ी में डाइंग यूनिटें लगाई गई थी, लेकिन अब उन्हें परेशानी हो रही है। पांच उद्योगपति अपनी फैक्ट्रियां बंद कर दूसरे राज्यों में चले गए हैं। अगर समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो उद्योगपति यूनिटों को बंद कर चाबी सरकार को सौंप कर पलायन कर जाएंगे।

सरकारी विभाग ही प्रदूषण रोकने में नाकाम

जिले में बढ़ रहा प्रदूषण सरकारी विभागों की उदासीनता की देन है। पिछले दिनों नगर निगम पर 20 एमएलडी पानी बिना शोधित किए यमुना में डालने के आरोप लगे थे। अब एचएसआइआइडीसी की ओर से संचालित सीईटीपी के पानी के सैंपल फेल मिले हैं। यहां भी पानी बिना शोधित किए यमुना में भेजा जा रहा था। अब नगर निगम ने राठधना में 30 एमएलडी का एक अतिरिक्त एसटीपी लगाने की घोषण की है लेकिन इसे बनने में डेढ़ से दो वर्ष लगेंगे, तब तक पानी को यमुना में छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
एक्यूआई के आंकड़ों में खेला, सैकड़ों का अंतर

वायु गुणवत्ता सूचकांक के आंकड़ों में भारी खेला हो रहा है। सीपीसीबी और आइक्यू एयर की साइट में जारी एक्यूआइ के आंकड़ों में सैकड़ाें का अंतर होता है। अब लोगों के सामने यही असमंजस होती है कि किस आंकड़े को सच माने या दूसरी साइट के आंकड़े को। आइक्यू एयर की साइट के अनुसार रविवार को जिले का एक्यूआइ 461 दर्ज किया गया, जबकि सीपीसीबी की वेबसाइट के अनुसार एक्यूआइ 371 बताया गया। दोनों ही साइट के आंकड़ों के अनुसार जिले की हवा बेहद खराब श्रेणी में है।


24 अक्टूबर को बड़ी औद्योगिक क्षेत्र के सीईटीपी व भोगीपुर में ड्रेन नंबर छह से लिए गए दूषित पानी के सैंपलों की रिपोर्ट आ गई है। तीन में से दो सैंपल फेल मिले हैं। अब सीईटीपी के संचालन के लिए जिम्मेदार विभागों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। - अजय मलिक, क्षेत्रीय अधिकारी, एचएसपीसीबी, सोनीपत
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