गर्मी और उमस झेल रहे लोगों मिली राहत (प्रतीकात्मक तस्वीर)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चार महीने से पूरे देश को झमाझम बारिश से भिगोकर राहत देने वाले मानसून ने अंतत: विदा ले ली। मौसम विभाग ने मानसून की विदाई की आधिकारिक घोषणा की। हालांकि, बीते कुछ दिनों से गर्मी और उमस झेल रहे लोगों को सोमवार को हुई झमाझम बारिश से फिर राहत मिली। मौसम विभाग के मुताबिक इस साल सामान्य से आठ प्रतिशत अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
देश में 868.6 एमएम बारिश को सामान्य माना जाता है, जबकि इस साल 937.2 एमएम बारिश रिकार्ड की गई। इस वजह से बीच-बीच में लोगों को बाढ़ और भूस्खलन के चलते आफत भी झेलनी पड़ी। मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि इस साल देश ने बेहद सफल मानसून देखा। हालांकि, इस दौरान बादल फटने, भूस्खलन और कीचड़ की बाढ़ जैसी आपदाएं भी देखने को मिलीं।
पूर्व और उत्तरपूर्व में कम बारिश
पूर्व और उत्तरपूर्व में सामान्य से 20 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई। इन इलाकों में 1367.3 एमएम बारिश को सामान्य माना जाता है, जबकि इस बार 1089.9 एमएम बारिश ही रिकार्ड की गई। बिहार, अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय में काफी कम बारिश हुई। महापात्रा ने बताया कि 1901 के बाद से ये दूसरी बार है जब इस इलाके में कम बारिश दर्ज की गई है।
इससे पहले 2013 के मानसून सीजन में 1065.7 एमएम बारिश दर्ज की गई थी। उन्होंने कहा कि पिछले 20 साल से पूर्वी और उत्तरपूर्वी राज्यों में बारिश की मात्रा कम देखी जा रही है, लेकिन साल 2020 के बाद से ही इस क्षेत्र में गिरावट तेज हुई है। उन्होंने बताया कि साल 2001 में इस इलाके में सबसे ज्यादा बारिश हुई थी, जो 1901 के बाद से छठवीं बार था। उन्होंने उत्तरपश्चिम भारत में मानसून के असर पर बात करते हुए बताया कि जून, अगस्त और सितंबर में इस क्षेत्र में सामान्य से अधिक बारिश हुई।
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अक्टूबर में ज्यादा बारिश, लेकिन गर्मी भी
मध्य भारत में सामान्य से 15.1 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई। यहां सामान्य 978 एमएम की तुलना में 1125.3 एमएम बारिश दर्ज की गई। वहीं दक्षिण भारत की बात करें तो सामान्य 716.2 एमएम से 9.9 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई।
मौसम विभाग के मुताबिक अक्टूबर में सामान्य से 15 प्रतिशत अधिक बारिश हो सकती है। साथ ही इस दौरान पूर्वी, उत्तरपूर्वी और उत्तरपश्चिमी भारत में अधिकतम तापमान भी सामान्य से अधिक रह सकता है। बारिश का क्रम मानसून सीजन के उपरांत दिसंबर तक बना रह सकता है। उत्तरपश्चिम हिस्से को छोड़कर अन्य राज्यों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है।
दक्षिण भारत के तमिलनाडु, तटीय आंध्र प्रदेश, रायलसीमा, केरल और दक्षिण आंतरिक कर्नाटक में दीर्घावधि औसत (एलपीए) 112 प्रतिशत से अधिक बारिश होने की संभावना है। 1971 से 2020 के दौरान अक्टूबर से दिसंबर अवधि में बारिश का एलपीए 334.13 एमएम है। वहीं पूरे देश में इस अवधि में एलपीए 75.4 की तुलना में 115 प्रतिशत अधिक बारिश होने की संभावना है।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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