प्रयागराज में रामबाग दुर्गा पूजा पंडाल में ऐसे बिखरे हैं बिजली के तार। जागरण
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। शहर के मुट्ठीगंज स्थित काशीराज नगर मुहल्ले में 11 वर्षीय बालिका शिवानी की सोमवार रात पूजा पंडाल के सजावटी गेट में लगी बल्ली में करंट उतरने से हुई दर्दनाक मौत के बाद सुरक्षा को लेकर तमाम प्रश्न खड़े हो गए हैं। यह हादसा प्रशासन और विद्युत सुरक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मंगलवार को इसे लेकर पड़ताल की गई तो शहर में लगे कई पूजा पंडालों में खुले तार, कटिया से जुड़ा अस्थाई कनेक्शन और सुरक्षा मानकों की खुलेआम धज्जियां उड़ती दिखाई दीं। कई पंडालों में प्राइवेट इलेक्ट्रीशियन ने हाईलोजन लाइट लगाते समय काटे गए तार को सीधे बांस या बल्लियों में बांध दिया था। कहीं-कहीं तो खुले तार लटकते हुए नजर आए। ऐसे में कोई भी दुर्घटना कभी भी हो सकती है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि विद्युत सुरक्षा निदेशालय ने कई पंडालों को अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी भी कर रखी है। एनओसी मिलने के बाद अस्थाई बिजली का कनेक्शन भी दे दिया गया, लेकिन मौके की तस्वीर बताती है कि सुरक्षा मानकों का अनुपालन नहीं हुआ है।
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कर्नलगंज में टीनशेड के बगल खुले तारों का जाल
कर्नलगंज दुर्गा पूजा पंडाल के पीछे जहां टीनशेड का घेरा बनाया गया है, उसके बगल तारों का जबरदस्त जाल है। यहां खुले तार साफ नजर आते हैं। इसमें दौड़ रहा हाईवोल्टेज करंट किसी के लिए भी काल बन सकता है। जबकि यह स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि खुला तार कहीं भी नजर नहीं आना चाहिए। तार को अगर टीनशेड के बगल व ऊपर से ले जाना है, उसमें प्लास्टिक की लाइन का उपयोग किया जाए। तारों में जहां भी कटिंग करें, वहां टेपिंग जरूर हो।
...यहां भी मानकों की अनदेखी
रामबाग रेलवे स्टेशन पूजा पंडाल में भी मानकों की अनदेखी साफ नजर आई। पूजा पंडाल के बाहर तारों का हर तरफ बिजली के तारों का जाल दिखा। बिना किसी सुरक्षा कवच के तारों को खींचा गया था। जगह-जगह इसे ‘जहां जगह मिली की’ तर्ज पर बांध दिया गया था। यह किसी के लिए भी खतरनाक साबित हो सकते हैं। जबकि इसे व्यवस्थित करने के लिए अधिक परिश्रम व खर्च की आवश्यकता नहीं होती।
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50 प्रतिशत कमेटियों ने भी नहीं लिया अस्थायी कनेक्शन
शहर में सात डिवीजन हैं। इसमें म्योहाल, टैगाेर टाउन, करैलाबाग, रामबाग, नैनी, बमरौली, कल्याणी देवी शामिल हैं। इन सात डिवीजन में छोटे-बड़े 120 से अधिक दुर्गा पूजा पंडाल बनाए जाते हैं। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि करीब 50 समितियों ने ही अस्थाई कनेक्शन लिया है। शेष पंडाल में कटियामारी की जा रही है। बिजली विभाग के अधिकारियों का दावा है कि बिना अस्थाई कनेक्शन वाले पंडालों को नोटिस जारी किया गया है। लेकिन हकीकत यह है कि ज्यादातर आयोजकों ने आवेदन नहीं किया। विभाग भी जानता है कि त्योहार के दौरान सख्त कार्रवाई करना आसान नहीं। यही वजह है कि अब तक कटियामारी करने वाले पंडालों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
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पंडालों की लापरवाही, ‘सुरक्षा’ से ज्यादा दिखावा
शहर में भव्य पंडाल सजाने की होड़ मची है। बड़े-बड़े लाइटें, हाईलोजन, रंग-बिरंगे झालर से पंडाल सजाए गए हैं। लेकिन सुरक्षा पर किसी का ध्यान नहीं। आयोजक बिजली की वायरिंग पर खर्च बचाने के लिए प्राइवेट इलेक्ट्रीशियन को बुलाते हैं, जो बिना किसी मानक के तार जोड़ देते हैं। जबकि पूजा पंडालों में अस्थाई कनेक्शन लेने के लिए ‘अर्थिंग’, सुरक्षित वायरिंग, एमसीबी और इंसुलेटेड तारों का इस्तेमाल जरूरी है। लेकिन हकीकत में ये नियम सिर्फ कागजों तक सिमटकर रह जाते हैं।
यह आया नजर
-जगह-जगह खुले तारों का जाल।
-बल्ली और बांस से बांधे गए तार।
-गीली जमीन पर पड़े बिजली के तार।
-प्लग बोर्ड और स्विच खुले में लटकते हुए।
-लोहे की राड और टीनशेड से टकराते तार।
हादसे रोकने को ये कदम उठाने जरूरी
-सभी पंडालों को अनिवार्य रूप से अस्थाई कनेक्शन लेना होगा।
-किसी भी तरह की कटिया कनेक्शन पर पूर्ण रोक हो।
-वायरिंग सिर्फ कुशल इलेक्ट्रीशियन से कराई जाए।
-तारों को कभी भी बल्ली या बांस से न बांधा जाए।
-पंडालों में ‘फायर सेफ्टी’ और ‘इलेक्ट्रिकल सेफ्टी’ टीम की जांच अनिवार्य हो।
क्या कहते हैं बिजली विभाग के अधिकारी
उप्र पावर कारपोरेशन लिमिटेड के मुख्य अभियंता प्रथम राजेश कुमार का कहना है कि दुर्गा पूजा शुरू होने से पहले ही कमेटियों के पदाधिकारियों संग उपखंड के अधिकारियों ने चरणबद्ध तरीके से बैठकें कीं। पुलिस-प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद थे। कमेटियों के पदाधिकारियों से स्पष्ट कहा गया था कि वह पूजा शुरू होने से पहले अस्थाई कनेक्शन ले लें। लेकिन अस्थाई कनेक्शन लेने में कुछ ने आनाकानी की है। जिन कमेटियों ने अस्थाई कनेक्शन नहीं लिया है, उन सभी को नाेटिस दिया जा चुका है।
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