प्रतीकात्मक तस्वीर।
स्टेट ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली के लाल किले परिसर के पास 10 नवंबर को हुए आतंकी हमले के बाद पुराने वाहनों की खरीद-बिक्री को लेकर कई तरह के सवाल पूछे जा रहे हैं। आम आदमी यह नहीं समझ पा रहा है कि ऐसे खरीदार जो असामाजिक गतिविधियों में संलिप्त रहते हों, उनसे बचने के लिए कार बेचते या खरीदते समय क्या कदम उठाये। यदि ऐसे ही सवाल आपके मन में भी उइ रहे हैं तो यह खबर आपके काम की है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अपनी पुरानी कार बेचते समय क्या करें और क्या न करें
- बिक्री प्रक्रिया शुरू करने से पहले ये आवश्यक दस्तावेज़ इकट्ठा कर लें
- पंजीकरण प्रमाणपत्र (आरसी) जो मूल और वैध होना चाहिए
- प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) प्रमाणपत्र
- अगर किसी दूसरे राज्य में कार बेचना चाहते हैं तो परिवहन विभाग का अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी )
- अगर आप ने कार के लिए कोई ऋण लिया है और उसे चुका दिया है तो परिवहन विभाग के माध्यम से वाहन की आरसी से उसे हटवा दें
- बीमा प्रमाणपत्र: सुनिश्चित करें कि बिक्री के समय बीमा पालिसी चालू है
- पता प्रमाण: कोई भी वैध दस्तावेज़ जैसे आधार, पासपोर्ट या बिजली बिल
- वाहन चेसिस छाप: सत्यापन के लिए चेसिस नंबर का एक भौतिक नंबर जिसे पेंसिल की मदद से किसी कागज पर उतारा गया हो
फार्म 29 और 30
- फार्म 29- स्वामित्व हस्तांतरण की सूचना (विक्रेता और खरीदार दोनों द्वारा हस्ताक्षरित दो प्रतियां)
- फार्म 30- स्वामित्व हस्तांतरण की सूचना और आवेदन
कार बेचने की यह है प्रक्रिया
- सुचारू और कानूनी रूप से वैध हस्तांतरण सुनिश्चित करने के लिए इन चरणों का पालन करें
- बकाया राशि का भुगतान करें: हस्तांतरण से पहले सभी लंबित चालान या जुर्माने का भुगतान करें
- वाहन सत्यापन: खरीदार को चेसिस नंबर सत्यापन के लिए कार लाने की आवश्यकता हो सकती है
- फार्म 29 और 30 भरें: इन्हें परिवहन वेबसाइट से डाउनलोड करें और दोनों पक्षों से हस्ताक्षर करवाएं
- आरटीओ में जमा करें: उस आरटीओ में जाएं जहां कार पंजीकृत है और सभी फार्म और दस्तावेज़ जमा करें
- नई आरसी जारी करना: सत्यापन के बाद, आरटीओ खरीदार के नाम पर वाहन की नई आरसी जारी करता है
- फार्म 29 और 30 भरने के बाद अगर 14 दिन तक क्रेता परिवहन विभाग के संबंधित कार्यालय में वाहन के दस्तावेज नहीं जमा कराता है तो प्रत्येक माह 100 रुपये जुर्माने का प्रविधान है। हालांकि यह जुर्माना बहुत कम है।
वास्तव में गड़बड़ी कब हाेती है
- स्पष्ट नियमों के बावजूद लोग यह प्रक्रिया पूरी नहीं करते हैं
- स्वामित्व हस्तांतरण में देरी: डीलर या खरीदार कभी-कभी स्वामित्व परिवर्तन में देरी करते हैं, खासकर यदि वाहन बिचौलियों के माध्यम से बेचा जाता है
- उपेक्षित औपचारिकताएं: कई बार डीलर स्वयं वाहन खरीद लेते हैं मगर उसे अपने नाम नहीं कराते, नए खरीदार मिलने तक कागजी कार्रवाई नहीं करते हैं या फिर कई बार इस प्रक्रिया को पूरा नहीं करते हैं या इसे अनदेखा करते हैं।
- कई बार एक वाहन कई बिक चुका होता है मगर लोग उसे बार बार पंजीकृत इसलिए भी नहीं कराते, इससे वाहन की कीमत कम हो जाने का भी उन्हें डर रहता है। क्योंकि वाहन की आरसी में वाहन के बार बार पंजीकरण की जानकारी दर्ज हो जाती है।
वाहन खरीदते-बेचते समय यह न करें
- समझौते: कुछ बिक्री बिना आधिकारिक हस्तांतरण के सादे कागज़ पर होती है, जो एक गंभीर कानूनी जोखिम है।
- विक्रेताओं को अक्सर नए मालिक द्वारा उल्लंघनों के लिए एसएमएस अलर्ट या ई-चालान नोटिस मिलते रहते हैं, क्योंकि ऐसे में वाहन उसी के नाम रहता है।
- यदि नया मालिक कोई यातायात उल्लंघन करता है या किसी दुर्घटना में शामिल होता है, तो विक्रेता को भी ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है क्योंकि पंजीकरण संख्या (आरसी) में अभी भी उनका नाम दर्ज है। ऐसे में कई बार वे लोग भी फंस जाते हैं, जिनके नाम वाहन है।
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