जागरण संवाददाता/निर्लोष कुमार, आगरा। ताजमहल के सैकड़ों वर्षों तक संरक्षण को तैयार किए गए विजन डाक्यूमेंट पर सेंट्रल इम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है। इसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा संरक्षित ताजमहल समेत सभी स्मारकों की कैरिंग कैपेसिटी (वहन क्षमता) तय करने और उसे कड़ाई से लागू करने का सुझाव दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ताजमहल पर पर्यटकों के दबाव को कम करने के लिए द्वितीय श्रेणी के विरासत स्थलाें के विकास और वहां सुविधाएं विकसित करने पर रिपोर्ट में जोर दिया गया है। स्मारकों की कैरिंग कैपेसिटी तय होने से पर्यटकों का रात्रि प्रवास आगरा में बढ़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में सीईसी ने विजन डाक्यूमेंट पर 11 नवंबर को रिपोर्ट जमा कर ताजमहल के वर्षों तक संरक्षण के लिए व्यापक कार्य योजना उपलब्ध कराई है। इसमें एएसआइ द्वारा संरक्षित सभी स्मारकों, विशेषकर ताजमहल, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी के लिए कैरिंग कैपेसिटी का आकलन कराने पर जोर दिया गया है।
कैरिंग कैपेसिटी में स्मारक में एक समय में पर्यटकों की अधिकतम संख्या निर्धारित करनी होगी। ताजमहल की कैरिंग कैपेसिटी का अध्ययन एक दशक पूर्व कराया जा चुका है। रिपोर्ट में स्मारकों में पर्यटकों के प्रवेश को कड़ाई से विनियमित करने को कहा गया है, जिससे कि यह सुनिश्चित हो सके कि किसी भी समय पर्यटकों की संख्या निर्धारित क्षमता से अधिक नहीं हो। स्मारक में पर्यटकों के रुकने की समयावधि तय करने और इससे अधिक समय तक रुकने वाले पर्यटकों पर अतिरिक्त जुर्माना लगाने की सिफारिश रिपोर्ट में की गई है।
ताजमहल पर पर्यटकों के दबाव को कम करने के लिए द्वितीय श्रेणी के विरासत स्थलों व केंद्रों का विकास कर पर्यटन में विविधता लाने पर जोर दिया गया है। रिपोर्ट में कम से कम पांच द्वितीय श्रेणी के विरासत स्थलों, जैसे मरियम टाम्ब, राम बाग, बटेश्वर, सिकंदरा, चीनी का रोजा आदि के विकास का सुझाव दिया गया है। यहां साइनेज, शौचालय, कियोस्क व इंटरप्रिटेशन सेंटर की सुविधाएं विकसित करने को कहा है।
तीन इको-टूरिज्म सर्किट बनाए जाएं
तीन नए इको-टूरिज्म सर्किट के विकास के साथ इको-टूरिजम, रिवरफ्रंट टूरिज्म और हेरिटेज ट्रेल्स को बढ़ावा देने का सुझाव सीईसी ने दिया है। आगरा में इको-टूरिज्म के दो बड़े केंद्र रामसर साइट सूर सरोवर पक्षी विहार और राष्ट्रीय चंबल सेंक्चुरी हैं। सीईसी ने राजमार्गों, एक्सप्रेसवे और पर्यटक स्थलों पर साइनेज लगाने को कहा है, जिससे कि पर्यटकों को उचित जानकारी मिल सके।
नीरी ने की थी एक घंटे में छह हजार पर्यटकों की सिफारिश
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ताजमहल को पर्यटकों की भीड़ से हो रहे नुकसान से बचाने के लिए एएसआइ ने राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी शोध संस्थान (नीरी) से स्मारक की कैरिंग कैपेसिटी का अध्ययन कराया था। नीरी ने वर्ष 2015 के अंत में अपनी रिपोर्ट एएसआइ को सौंपी थी।
इसमें ताजमहल में एक घंटे में अधिकतम छह हजार पर्यटकों को प्रवेश देने और उन्हें अधिकतम डेढ़ घंटे तक स्मारक में रुकने की अनुमति देने का सुझाव दिया गया था। स्मारक के अंदर नौ हजार से अधिक पर्यटकों की संख्या किसी भी स्थिति में नहीं होने देने की बात कही थी।
स्मारक में मौजूद पर्यटकों की संख्या बताने को गेट पर डिस्प्ले बोर्ड लगाने को कहा था। एएसआइ ने 10 दिसंबर, 2018 को मुख्य मकबरे पर 200 रुपये का अतिरिक्त प्रवेश शुल्क लागू किया था। पर्यटकों के स्मारक में रुकने का अधिकतम समय तीन घंटे निर्धारित किया गया था।
यह है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने पर्यटन विभाग की शिल्पग्राम में मल्टीलवेल पार्किंग के निर्माण को 11 पेड़ काटने की अनुमति मांगने से संबंधित याचिका में आठ दिसंबर, 2017 को विजन डाक्यूमेंट तैयार करने का आदेश किया था। स्कूल आफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर द्वारा तैयार विजन डाक्यूमेंट का फाइनल ड्राफ्ट सुप्रीम कोर्ट में 21 फरवरी, 2019 को जमा किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 24 अगस्त, 2024 को सीईसी को विजन डाक्यूमेंट का परीक्षण कर रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा था। छह नवंबर को सीईसी के सदस्य चंद्रप्रकाश गोयल ने कमिश्नरी सभागार में संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की थी। |