राज्य ब्यूरो, लखनऊ। बरेली, मेरठ, कानपुर, अलीगढ़ के बाद अब राजधानी लखनऊ सहित नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद व सहारनपुर में भी शनिवार से बिजली की मौजूदा व्यवस्था में बदलाव कर वर्टिकल व्यवस्था लागू हो जाएगी।
पावर कारपोरेशन प्रबंधन का दावा है कि ग्रेटर नोएडा, आगरा, दिल्ली, मुम्बई, अहमदाबाद की तरह वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग व्यवस्था के लागू होने पर बिजली उपभोक्ताओं की तमाम दिक्कतें दूर होंगी और उन्हें बेहतर सेवाएं मिलेंगी।
हालांकि, राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद से लेकर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति तक वर्टिकल व्यवस्था के विरोध में हैं। संगठनों का मानना है कि प्रबंधन निजीकरण के लिए वर्टिकल व्यवस्था लागू कर रहा है।
इस बीच उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में वर्टिकल व्यवस्था के विरोध में अर्जेंट लोक महत्व संबंधी प्रस्ताव दाखिल कर तत्काल इस पर रोक लगाने की मांग की है। परिषद का कहना है कि आयोग की अनुमति के बिना लागू की जा रही वर्टिकल व्यवस्था पर बिजली कंपनियों से स्पष्टीकरण मांगा जाए और उपभोक्ता परामर्श की नियामक प्रक्रिया पूरी होने तक किसी भी नए क्षेत्र में वर्टिकल व्यवस्था न लागू किया जाए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने गुरुवार को आयोग में प्रस्ताव दाखिल कर कहा कि पूर्व में लागू की गई यह व्यवस्था कई शहरों में फेल हो चुकी है। संवेदनशीलता को देखते हुए लखनऊ और नोएडा की मौजूदा व्यवस्था में बदलाव करना उचित नहीं है।
संघर्ष समिति का कहना है कि कारपोरेशन प्रबंधन ने स्वीकार कर लिया है कि जिन शहरों में बिजली का निजीकरण हो चुका है, उन शहरों की तरह बिजली व्यवस्था बनाने के लिए वर्टिकल व्यवस्था लागू की जा रही है।
प्रबंधन बताए कि अगर ग्रेटर नोएडा की बिजली व्यवस्था अच्छी है तो वह संबंधित निजी कंपनी का लाइसेंस निरस्त कराने के लिए मुकदमा क्यों लड़ रहा है? यह भी बताए कि निजीकरण के बाद संबंधित शहरों में बिजली की दरें क्या है? क्या मुबई में घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली दरें 17 रुपये प्रति यूनिट नहीं हैं?
प्रबंधन ने कहा भ्रम फैला रहे कुछ संगठन
कारपोरेशन प्रबंधन का कहना है कि वर्टिकल व्यवस्था के बारे में कुछ संगठनों के नेता गलत तथ्य से भ्रम फैला रहे हैं। वर्टिकल व्यवस्था से उपभोक्ता सेवा में सुधार, बेहतर बिजली आपूर्ति और पारदर्शिता को बढ़ाकर ग्रेटर नोएडा, आगरा, दिल्ली, अहमदाबाद, मुंबई, तथा सूरत की तरह बनाना है।
वर्टिकल व्यवस्था में न कोई पद खत्म होगा और न ही इसका निजीकरण से कोई संबंध है। वर्टिकल व्यवस्था सिर्फ मध्यांचल व पश्चिमांचल डिस्काम के शहरों में लागू की जा रही है। पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्काम में पहले से ही निजीकरण की प्रक्रिया चल रही है।
पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष डा. आशीष कुमार गोयल का कहना है कि वर्टिकल व्यवस्था में अधिकारियों एवं कर्मचारियों को उनकी मर्जी के बगैर शामिल नहीं किया जाएगा। अगर कोई अधिकारी-कर्मचारी इस व्यवस्था में काम करने का इच्छुक नहीं होगा तो उसे ऐसे क्षेत्रों के रिक्त पदों पर तैनात कर दिया जाएगा जो वर्टिकल व्यवस्था के तहत नहीं आते हैं।
प्रत्येक काम के लिए अलग होगी टीम
पावर कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा लागू की जा रही वर्टिकल व्यवस्था में किसी भी क्षेत्र की विद्युत वितरण, बिलिंग व बिल कलेक्शन, नए कनेक्शन देने, मेंटनेंस आदि के काम के लिए अलग-अलग अभियंताओं की टीमें होंगी। अभी किसी भी डिवीजन में एक अधिशासी अभियंता के जिम्मे ही सारे काम होते हैं जिससे वह सभी काम पर पूरा ध्यान नहीं दे पाते।
ऐसे में उपभोक्ताओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वर्टिकल व्यवस्था में अलग-अलग अधिशासी अभियंता के नेतृत्व में टीमें होंगी। सभी टीमें सिर्फ वही काम करेंगी जो उनके लिए पहले से तय होगा। इस व्यवस्था में एक अधिशासी अभियंता कई डिवीजन का काम देखेंगे। |