दिल्ली में अवैध रूप से मलबा डालने वालों पर अब सीसीटीवी कैमरों से नजर रखी जाएगी।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में अवैध रूप से मलबा डालने वाले लोगों और वाहन मालिकों की पहचान के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएँगे। एमसीडी के अनुरोध पर, दिल्ली लोक निर्माण विभाग इन जगहों पर यह काम करेगा। ये कैमरे पीडब्ल्यूडी और एमसीडी के कंट्रोल रूम से जुड़े होंगे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
फुटेज के आधार पर मलबा डालने वाले वाहनों की पहचान की जाएगी। इससे संबंधित वाहन मालिकों और नागरिकों को पकड़कर जुर्माना लगाया जा सकेगा। एमसीडी ने दिल्ली सरकार को ऐसे 524 स्थानों की जानकारी दी है।
दरअसल, दिल्ली में वर्तमान में केवल 106 स्थान ही मलबा डालने के लिए निर्धारित हैं। नागरिकों को इन स्थानों पर 20 मीट्रिक टन तक मलबा डालने की अनुमति है। एमसीडी इस मलबे को इकट्ठा करके अपने निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट निपटान एवं पुनर्चक्रण संयंत्रों में भेजती है।
हालाँकि, यदि मलबा 20 मीट्रिक टन से अधिक हो जाता है, तो नागरिकों को इसे सीधे निर्माण एवं विध्वंस संयंत्रों में भेजने की अनुमति है, लेकिन मलबा माफिया इसे कहीं और फेंक देते हैं, जिससे परिवहन लागत बचती है। यही कारण है कि सड़कों के किनारे छोड़े गए मलबे से धूल उड़ती है। इससे वायु प्रदूषण होता है।
एमसीडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार के साथ एक उच्च-स्तरीय अंतर-विभागीय बैठक में चर्चा हुई। उन्होंने कहा, “हमने उन 524 स्थानों की सूची सौंपी है जहाँ मलबा डाला जाता है।“ उन्होंने आगे कहा, “चूँकि बार-बार चेतावनी देने वाले संकेत और संकेतक लगाने के बावजूद इस पर रोक नहीं लग पाई है, इसलिए हमने मलबा डालने वालों को पकड़ने के लिए सीसीटीवी निगरानी का इस्तेमाल करने का फैसला किया है।
लोक निर्माण विभाग सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए ज़िम्मेदार है और जल्द ही इन स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएँगे। इन सीसीटीवी कैमरों के ज़रिए अवैध रूप से मलबा डालते पाए जाने वाले नागरिकों या वाहनों की पहचान पुलिस की मदद से की जाएगी।
एनजीटी के नियमों का उल्लंघन करने पर पाँच हज़ार से पाँच लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। गौरतलब है कि दिल्ली में प्रतिदिन 6,000 मीट्रिक टन निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट उत्पन्न होता है, लेकिन चार अपशिष्ट निपटान संयंत्रों की क्षमता केवल 5,000 मीट्रिक टन प्रतिदिन है। इस मलबे का उपयोग इंटरलॉकिंग टाइलें और अन्य सामग्री बनाने में किया जाता है।“ |