deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

दिल्ली पर हमला: विस्फोट की मार से शरीर के ऊपरी हिस्सों के उड़े चीथड़े, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ खुलासा

cy520520 2025-11-13 05:06:23 views 201

  

प्रतीकात्मक तस्वीर।



अनूप कुमार सिंह, नई दिल्ली। लाल किले के निकट हुए विस्फोट की तीव्रता (ब्लास्ट वेव) इतनी अधिक थी कि कई मृतकों-घायलों के कान के पर्दे, फेफड़े और आंत फट गए। मौलाना आजाद मेडिकल काॅलेज में मृतकों के हुए पोस्टमार्टम में शामिल फोरेंसिक विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लास्ट वेव से हवा में फैली तीव्र तरंगों का असर मुख्यतः शरीर के ऊपरी हिस्से सिर, चेहरे, छाती और कंधों पर हुआ है। इसकी अपेक्षा पैरों या निचले अंगों में गंभीर चोटें कम पाई गई हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इससे यह संकेत मिलता है कि विस्फोटक ऊंचाई या व्यक्ति के समानांतर सक्रिय हुआ था। इस तरह की चोटें आमतौर पर तब होती हैं जब विस्फोटक जमीन पर नहीं बल्कि किसी सतह या वस्तु पर इस प्रकार रखा जाता है कि ब्लास्ट वेव सीधे ऊपरी धड़ की दिशा में जाता है।

चिकित्सक बताते हैं कि लाल किला ब्लास्ट वेव से हवा में फैली तीव्र तरंगों ने कान, फेफड़ों और पेट के भीतर भारी दबाव पैदा किया, जिससे प्रभावितों के आंतरिक अंग फट गए, उनकी मौत तक हो गई। उन्होंने बताया कि यह लक्षण केवल उच्च तीव्रता वाले विस्फोटों में ही देखे जाते हैं। पोस्टमार्टम के दौरान कुछ शवों में ‘क्राॅस इंजरी पैटर्न’ भी पाया गया, यानी धमाके की लहर से लोग आस-पास की दीवारों या कठोर सतहों से टकरा गए।

यह भी पढ़ें- दिल्ली ब्लास्ट में लाल किला की दीवार ने बचा ली पुलिस चौकी, वरना धमाके की जद में आते कई पुलिसकर्मी  

इससे सिर की हड्डियों में फ्रैक्चर, चेहरे पर गहरी चोटें और शरीर के ऊपरी शरीर पर बहु-स्थानिक घाव बने। फोरेंसिक विशेषज्ञों के अनुसार यह पैटर्न दर्शाता है कि विस्फोट उनके बेहद नजदीक हुआ और ब्लास्ट वेव अत्यंत शक्तिशाली थी।

फोरेंसिक विशेषज्ञों को पोस्टमार्टम के समय शव परीक्षण के दौरान न तो कपड़ों पर और न ही शरीर पर किसी पारंपरिक विस्फोटक जैसे आरडीएक्स या टीएनटी के ट्रेस मिले। धात्विक टुकड़े, स्प्लिंटर या पारंपरिक बारूद के अवशेष भी नहीं मिले।

इससे यह संभावना बन रही है कि विस्फोट में कोई संशोधित या नया विस्फोटक पदार्थ इस्तेमाल किया गया था। इसे लेकर फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में रासायनिक विश्लेषण जारी है, जहां विस्फोटक के घटकों और संरचना की पहचान की जा रही है।

सूत्रों के अनुसार, विस्फोट की दिशा, ब्लास्ट वेव की तीव्रता और चोटों की प्रकृति यह संकेत देती है कि डिवाइस अत्यंत निकट से सक्रिय किया गया था। उनका मानना है कि ब्लास्ट वेव की यह प्रकृति किसी अत्याधुनिक या विशेष रूप से संशोधित विस्फोटक की ओर इशारा करती है।

इससे यह भी संभावना बनती है कि इसमें पारंपरिक टाइमर या ट्रिगर के बजाय इलेक्ट्राॅनिक या रिमोट एक्टिवेशन प्रणाली का उपयोग किया गया हो।

यह भी पढ़ें- दिल्ली पर हमला: धमाके वाली कार के पीछे चल रहे बाइक सवार दो दोस्तों की एक साथ हुई मौत
like (0)
cy520520Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

cy520520

He hasn't introduced himself yet.

310K

Threads

0

Posts

1010K

Credits

Forum Veteran

Credits
100100