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Guruji Credit Card: गुरुजी क्रेडिट कार्ड पर आया बड़ा अपडेट, बैंकों को मिली 15 दिसंबर की डेडलाइन

cy520520 2025-11-13 02:07:14 views 557
  



राज्य ब्यूरो, रांची। वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने गुरुजी क्रेडिट कार्ड के लंबित आवेदनों पर कड़ी नाराजगी जताई है। बुधवार को राज्य स्तरीय बैकर्स समिति (एसएलबीसी) की 93वीं त्रैमासिक बैठक में उन्होंने इसे लेकर बैंकों को फटकार लगाई। उन्होंने लंबित पड़े 1400 आवेदनों को हर हाल में 15 दिसंबर तक निपटाने का आदेश दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

बैठक में वित्तमंत्री ने राज्य में बैंकिंग सुविधाओं के विस्तार और गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना की प्रगति की विस्तृत समीक्षा की। वित्तमंत्री ने यह भी कहा कि बैंक वंचित वर्गों और युवाओं को रोजगार के लिए ऋण उपलब्ध कराने में तत्परता बरतें।

बैठक में वित्त विभाग के अधिकारी समेत भारतीय रिजर्व बैंक, नाबार्ड, राज्य के सभी अग्रणी बैंक एवं राज्य के 24 जिलों के अग्रणी जिला प्रबंधक भी शामिल हुए।

वित्तमंत्री राधाकृष्ण किशोर ने अपने संबोधन में कहा कि राज्य के आर्थिक विकास में बैंकिंग क्षेत्र की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। राज्य में ऋण जमा अनुपात में निरंतर सुधार वित्तीय प्रणाली पर जनता का भरोसा परिलक्षित करता है। सुनिश्चित करना होगा कि यह प्रगति समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।

मंत्री ने बताया कि पिछले तिमाही ऋण जमा अनुपात 51.32% से बढ़कर 52.48% हुआ है, जो धीमा लेकिन सकारात्मक संकेत है। सरकार की प्राथमिकता समावेशी वित्तीय विकास को सुदृढ़ करना है, जिसके अंतर्गत बैंक ग्रामीण वंचित तबकों, लघु उद्यमियों, कृषकों एवं स्वरोजगार से जुड़े युवाओं को ऋण उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है।
सामाजिक सुरक्षा क्षेत्र में खराब प्रदर्शन में करें सुधार, आय बढ़ाने में बनें मददगार

वित्त मंत्री ने बैठक में 19 बैंकों का सामाजिक सुरक्षा क्षेत्र में खराब प्रदर्शन, देवघर, पश्चिम सिंहभूम, रांची सहित 6 जिलों का डीसीसी/डीएलबीसी बैठक नहीं होने, कुछ बैंकों द्वारा एसएलबीसी को समय पर आंकड़े उपलब्ध नहीं कराने, इंडसइंड बैंक का एनपीए लगभग 11 गुना बढ़ने, एफआइएनओ बैंक का इंएक्टिव बैंकिंग कॉरस्पोंडेंस कम नहीं होने पर नाराजगी जाहिर की एवं इसमें त्वरित सुधार एवं क्रियान्वयन पर बल दिया। उन्होंने कहा कि योजनाबद्ध एवं समग्र प्रयास से इसमें कम समय में सुधार संभव है।

वित्त मंत्री ने पूछा कि प्रति एक लाख जनसंख्या पर कितनी बैंक शाखाएं होनी चाहिए तो राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के अधिकारियों ने जानकारी दी कि देश में औसतन प्रति एक लाख जनसंख्या पर 17 बैंक शाखाएं हैं, जबकि झारखंड में यह संख्या मात्र 10 है। यह भी बताया गया कि पिछले बैठक से अबतक केवल 13 नई बैंक शाखाएं खोली गई हैं।

इस पर वित्तमंत्री ने असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि इस निमित वार्षिक योजना बनाकर शाखा विस्तार की गति में तेजी लाएं। वित्तमंत्री ने कहा कि बैंकर्स के ऊपर आर्थिक आय के साधन बढ़ाने की पूरी संभावना है। वर्तमान में राज्य की प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष आय 1,05,274 है, जबकि गिरिडीह, पलामू, चतरा, गढ़वा, दुमका, साहेबगंज आदि जिलों में यह मात्र 50-60 हजार के बीच है। प्रतिव्यक्ति आय को बढ़ाने में बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
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