बरझाई घाट पर हरियाली की इबारत लिख रहीं महिलाएं (फोटो सोर्स- जेएनएन)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रकृति को जब स्त्री का स्पर्श मिले तो उसका स्वरूप तो निखरता ही है, समाज को भी प्रेरणा मिलती है। जिला मुख्यालय से करीब 65 किमी दूर बागली कस्बे के समीप स्थित बरझाई घाट पर हरियाली की नई इबारत चार गांवों की करीब 300 महिलाएं लिख रही हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
घाट के जंगल में गर्मी के दौरान बार-बार आग लगने से झुलसकर नष्ट हो रहे पेड़-पौधों की जगह हरियाली बढ़ाने, घाट से लगे खेतों में कटाव से कम हो रही मिट्टी की ताकत को बचाने के लिए तीन साल पहले शुरू की गई यह पहल अब अभियान का रूप ले चुकी है।
हर साल वर्षाकाल में महिलाएं, बच्चे उत्सव के रूप में पौधारोपण व बीज रोपण करने के लिए ढोल-ढमाके साथ भजन, लोक गीत गाते हुए घाट पर पहुंचते हैं। तीन साल में एक लाख से अधिक बीजों व पौधों का रोपण किया गया है, इनकी सफलता की दर 20-25 प्रतिशत के आसपास है।
असफलता से नहीं मानी हार
समाज प्रगति सहयोग संस्था द्वारा छोटे स्वरूप में आरंभ की गई पहल देखते ही देखते अभियान बनी और पौधारोपण से बरझाई घाट हरीतिमा में आच्छादित हुआ। मृदा की प्रकृति भी बदली और कटाव रुका। पहले साल करीब 20 हजार बीज डाले गए लेकिन इसमें से अधिकांश पौधे बड़े नहीं हो पाए क्योंकि घाट का जो क्षेत्र चुना था वहां मवेशियों की सक्रियता अधिक थी।
इनके विचरण से बीज दब गए, जो बीज उगे उन पौधों को मवेशी चर गए। इसके बाद भी महिलाओं ने हार नहीं मानी, वन विभाग के सहयोग से यहां मवेशी प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया गया। घाट के बड़ी पुलिया व पीपलकुंड्या क्षेत्र को पौधारोपण, बीज रोपण के लिए चुना गया है।gurgaon-local,,Gurugram sanitation issues,Diwali cleanliness Gurugram,Municipal corporation negligence,Waste management Gurugram,Annual budget sanitation,Bandhwari garbage mountain,Door-to-door waste collection,Waste segregation issues,Sanitation agencies Gurugram,Gurugram Diwali cleanliness,Haryana news
साथी हाथ बढ़ाना...
सालखेतिया गांव की सुनीता भुसारिया ने बताया कि पौधों को तैयार करने के लिए पांजरिया, बरझाई, सोबल्यापुरा, सालखेतिया गांव की महिलाएं मिलकर साथ में काम कर रही हैं। घाट में पेड़ कम होने से आसपास के खेतों में मिट्टी का कटाव अधिक होता है, जिससे उपजाऊ क्षमता पर असर पड़ता है। अधिक पौधे लगाए जाएंगे तो कटाव कम होगा और मिट्टी उपजाऊ बनी रहेगी।
तार फेंसिंग हो तो ज्यादा तैयार होंगे पौधे
अभियान से जुड़ीं सोबल्यापुरा की सरपंच अन्नुबाई परिहार का कहना है कि कुछ सालों से बरझाई घाट में आग लगने की घटनाएं हो रही हैं, इससे पेड़-पौधों की संख्या में कमी आई है। पौधे व बीज रोपकर घाट की हरियाली बनाए रखने का प्रयास गांव की महिलाएं मिलकर कर रही हैं। मवेशी चराने वालों को जागरूक किया जाता है। वन विभाग की ओर से यदि पौधा व बीज रोपण वाली जगह तार फेंसिंग करवा दी जाए तो अधिक पौधे तैयार हो सकेंगे।
पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों की रुचि और बढ़े इसलिए पिछले साल से पूर्वजों की स्मृति में पौधारोपण हो रहा हे। बड़े होने वाले कुछ पौधों को बचाने के लिए आसपास लकड़ी गाड़कर महिलाओं द्वारा सुरक्षित किया जा रहा है। घाट हरा-भरा करने के साथ ही वानरों की गांवों व सड़कों में बढ़ती सक्रियता कम करने के लिए घाट में फलदार प्रजातियों के पौधे रोपने में विशेष ध्यान दिया जा रहा है- पिंकी ब्रह्मचौधरी, संस्थापक सदस्य समाज प्रगति सहयोग संस्था
जिस क्षेत्र में अधिक पेड़-पौधे होते हैं, वहां पर कार्बन डाईआक्साइड की सांद्रता कम हो जाती है। कार्बन डाईआक्साइड ही तापमान बढ़ने के लिए जिम्मेदार रहता है। ऐसे में उस क्षेत्र में एक से दो डिग्री तापमान अन्य क्षेत्रों की तुलना में कम हो जाता है- डॉ. संजय बरोनिया, सह प्राध्यापक वनस्पति शास्त्र, लीड केपी कालेज देवास
तेज वर्षा के दौरान कटाव होने से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता पर असर पड़ता है। घाट के आसपास, ऊंची जगह पर सघन पौधारोपण से कटाव को काफी हद तक रोका जा सका है। इसके अलावा जैविक खाद के उपयोग, चौड़ी जड़ वाली फसलें जैसे ज्वार व मक्का आदि लगाकर भी कटाव से होने वाले नुकसान से बचाव किया जा सकता है- डॉ. आरपी शर्मा, प्रधान वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र देवास
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