दूध व डेयरी उत्पादों में मिलावट पर पंजाब सरकार ने हाई कोर्ट में दिया जवाब
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। दूध व डेयरी उत्पादों में मिलावट के खिलाफ एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार की ओर से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, ने एक जवाब दायर कर एक स्टेटस रिपोर्ट पेश की।
पंजाब सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 2 जनवरी 2019 से 31 दिसंबर 2024 तक राज्य में कुल 2,191 मामलों का निपटारा हुआ। इनमें से लगभग 95 प्रतिशत मामलों में दंड लगाया गया और कुल 3,04,75,720 की राशि जुर्माने के रूप में वसूली गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जिला-वार आंकड़ों के अनुसार, अमृतसर (206), गुरदासपुर (208), संगरूर (160), और फतेहगढ़ साहिब (144) जैसे जिलों में सबसे अधिक मामले दर्ज हुए। इसके अलावा लुधियाना (95), पटियाला (104), होशियारपुर (108), और बठिंडा (90) में भी उल्लेखनीय संख्या में मामले सामने आए। वहीं, श्री मुक्तसर साहिब (30) और नवांशहर (48) में अपेक्षाकृत कम मामले दर्ज हुए।
दूध, कच्चे उत्पाद, आइसक्रीम में हो रही मिलावट
सरकार ने माना कि मिलावट सिर्फ दूध और कच्चे उत्पादों में ही नहीं बल्कि पनीर, दही, खोया, मक्खन, मिठाई (रसगुल्ला, बर्फी, मिल्क केक आदि), देसी घी, आइसक्रीम, नमकीन, बिस्कुट, हल्दी पाउडर, मिर्च पाउडर, गुलाब शरबत और खाद्य तेलों तक में पाई गई है।
इससे खाद्य विषाक्तता, एलर्जी और लंबे समय तक चलने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ता है।पंजाब सरकार के इस जवाब पर याचिकाकर्ता एडवोकेट सुनैना ने कोर्ट को गंभीर खामियों की ओर ध्यान भी दिलाया।
उनका कहना है कि पांच वर्षों में 2,191 मामले दर्ज होना अपने आप में बड़ा सवाल है कि रोकथाम की व्यवस्था कितनी कमजोर है। केवल दो लोगों पर अभियोजन चलाना इस बात का सबूत है कि जवाबदेही नहीं तय की जा रही।
कुछ रिपोर्ट का हवाला देकर कोर्ट को बताया गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में प्रतिदिन बिकने वाले 64 करोड़ लीटर दूध में से 50 करोड़ लीटर दूध नकली या मिलावटी होता है।भारत के 70 प्रतिशत से अधिक दुग्ध उत्पाद राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मानकों पर सही नहीं उतरे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत के दुग्ध उत्पादों की जांच नहीं की गई तो 2025 तक 87 प्रतिशत भारतीय घातक बीमारियां कैंसर आदि का शिकार हो सकते हैं। विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 89.2 प्रतिशत दुग्ध उत्पादों में किसी न किसी तरह की मिलावट पाई है।
अगर आंकड़ों को देखें तो देश में 14 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है जबकि खपत 65 करोड़ लीटर है। उत्पादन और खपत के बीच अंतर से साफ है कि मांग मिलावटी दूध और दुग्ध उत्पादों से पूरी की जा रही है।
याची ने हाई कोर्ट से अपील की कि राज्य सरकार को को निर्देश जारी कर दूध और दुग्ध उत्पादों की नियमित जांच सुनिश्चित की जाए और आम लोगों को जागरूक किया जाए कि वह कैसे मिलावट दुग्ध उत्पादों की जांच कर सकते हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी
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