67 करोड़ रुपये में बिकी वी.एस. गायतोंडे की पेंटिंग
नई दिल्ली। साल 1924 में जन्मे फेमस आर्टिस्ट वी.एस. गायतोंडे ने सन 1970 में एक पेंटिंग बनाई थी, जिसे अब नीलामी में 67.08 करोड़ रुपये में बेचा गया है। इसके साथ ही ये पेंटिंग नीलामी में बिकने वाली भारत की दूसरी सबसे महंगी पेंटिंग (Second Most Expensive Painting in India) बन गयी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
गायतोंडे का ये आर्टवर्क अनुमान से लगभग तीन गुना अधिक कीमत पर नीलाम हुआ। कैनवास पर बना यह ऑयल आर्टवर्क शनिवार को दिल्ली में सैफ्रनआर्ट की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित लाइव ईवनिंग सेल में नीलाम हुआ।
67 करोड़ में क्या-क्या मिल जाएगा
ये सिम्पल सी दिखने वाली पेंटिंग 67.08 करोड़ रुपये में बिकी है। 67 करोड़ में आप 150 मर्सिडीज कारें खरीद सकते हैं। भारत में मर्सिडीज का शुरुआत प्राइस 44.5 लाख रुपये है।
किसकी है सबसे महंगी पेंटिंग
फेमस चित्रकार एम.एफ. हुसैन की 1950 के दशक की उनकी सबसे खास और साइजेबल आर्टवर्क में से एक, अनटाइटल्ड (ग्राम यात्रा) एक नीलामी में ₹118 करोड़ से ज्यादा में बिकी थी। इसके साथ ही वो आधुनिक भारतीय कला में सबसे महंगी पेंटिंग बन गयी थी। आर्ट कलेक्टर और समाजसेवी किरण नादर (अरबपति शिव नादर की पत्नी) ने इस पेंटिंग को खरीदा था।patna-city-politics,Patna News,Patna Latest News,Patna News in Hindi,Patna Samachar,Bihar news, Patna news, Ashok Choudhary corruption, Prashant Kishor allegations, Bihar politics scandal, Benami property case, Defamation notice, Tender commission allegations, Shambhavi Choudhary, Political controversy Bihar, Court summons Kishor, Illegal assets Choudhary,Bihar news
355.77 करोड़ रुपये में बिकी 85 पेंटिंग
नई दिल्ली में शनिवार को आयोजित हुई ऑक्शन में 85 पेंटिंग 355.77 करोड़ रुपये में बिकीं। एफ एन सूजा की \“सिक्स जेंटलमैन ऑफ आवर टाइम्स, 1955\“ (छह का सेट) नीलामी में 20.40 करोड़ रुपये में बिकी। नलिनी मालानी की नर्सरी टेल्स (2008) 3.60 करोड़ रुपये में बिकी, जो इसके अनुमानित मूल्य से पाँच गुना ज्यादा कीमत रही।
यह किसी भी नीलामी में मालानी की किसी पेंटिंग के लिए हासिल की गई सबसे ज्यादा कीमत भी रही।
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56.40 करोड़ रुपये की पेंटिंग
तैयब मेहता की ट्रस्ड बुल (1956) 56.40 करोड़ रुपये में बिकी, जो इसके अनुमानित मूल्य से आठ गुना ज्यादा रही। इसी तरह जहाँगीर सबावाला की द एंकराइट (1983) 16.80 करोड़ रुपये में बिकी। ज्योति भट्ट द्वारा कैनवास पर स्याही और रंग से बनाया गया 1956 का एक स्व-चित्र 50.40 लाख रुपये में बिका।
भारत में कितना बड़ा है आर्ट मार्केट
सैफ्रनआर्ट के सीईओ और को-फाउंडर दिनेश वजीरानी ने कहा कि भारतीय आर्ट मार्केट और भी ऊँचाइयों को छुएगा। उन्होंने कहा कि “किसी देश की जीडीपी का 0.1 प्रतिशत आर्ट मार्केट होता है। उदाहरण के लिए, अमेरिका में जीडीपी 33 ट्रिलियन डॉलर है और आर्ट मार्केट 30 बिलियन डॉलर का है, चीन में जीडीपी 19 ट्रिलियन डॉलर है, तो आर्ट मार्केट 19-20 बिलियन डॉलर का है। पर भारत में, हमारी अर्थव्यवस्था चार ट्रिलियन डॉलर की है और आर्ट मार्केट केवल 400 मिलियन डॉलर का है; इसे चार बिलियन डॉलर होना चाहिए। इसलिए मेरा मानना है कि अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है।“
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