अतरी में टिकट से पहले ही एनडीए में संग्राम, महागठबंधन टकटकी लगाए बैठा
सुभाष कुमार, गयाजी। बिहार की राजनीति में गहमा-गहमी बढ़ गई है और गयाजी जिले की अतरी विधानसभा सीट इस बार एनडीए के लिए सबसे बड़ा रणभूमि बनकर उभर रही है। नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही यहां टिकट को लेकर एनडीए के भीतर घमासान मच गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जेडीयू, बीजेपी, हम और लोजपा (रामविलास) चारों दल अपनी-अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं, जिससे भीतरघात और बगावत के संकेत भी मिलने लगे हैं। 2020 में अतरी सीट महागठबंधन के खाते में रही थी और राजद के अजय यादव ने जीत दर्ज की थी।
इस बार भी वे चुनावी समर में उतरने की तैयारी में हैं। वहीं एनडीए इस सीट को हर हाल में पाना चाहता है, मगर सहयोगी दलों में आपसी खींचतान ने समीकरण उलझा दिए हैं।
हम बनाम लोजपा: सीधी टक्कर में तेज हुआ संघर्ष
इस बार सबसे तीखा संघर्ष हम पार्टी और लोजपा (रामविलास) के बीच है। 2020 में लोजपा ने अलग राह पकड़कर अरविंद कुमार सिंह को मैदान में उतारा था और तीसरे स्थान पर रही थी। पार्टी का दावा है कि चिराग फैक्टर के कारण तब उन्हें वोट मिले और अब एनडीए के तहत बेहतर प्रदर्शन तय है। अरविंद कुमार सिंह पुनः सक्रिय हैं।
वहीं, हम पार्टी के नेताओं का कहना है कि अतरी का सामाजिक समीकरण उनके पक्ष में बैठता है। हम पार्टी के संरक्षक सह केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की सक्रियता और महादलित-पिछड़ा वोट बैंक के आधार पर पार्टी इस सीट को अपना स्वाभाविक अधिकार बता रही है।
पार्टी के युवा नेता रोमित कुमार पंचायतों में लगातार जनसंपर्क चला रहे हैं। जो सांसद प्रतिनिधि भी हैं, उन्हें संगठन से हरी झंडी मिल चुकी है और वे गांव-गांव बैठकें, जनसंपर्क अभियान और सभा कर रहे हैं।
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जेडीयू का दावा पुराना, दावेदार नए, भाजपा की चुप्पी:
2020 में जदयू की मनोरमा देवी रनरअप रही थीं। इससे पूर्व में अतरी से जदयू के कृष्णानंद यादव विधायक भी रह चुके हैं। यही आधार बनाकर जदयू सीट को अपना नैतिक हक बता रही है। इस बार पार्टी में कई चेहरे कतार में हैं। पूर्व विधायक कृष्णानंद यादव, पूर्व विधान पार्षद संजीव श्याम सिंह, जिला परिषद उपाध्यक्ष शीतल यादव और अजय कुशवाहा जैसे नेता खुलकर दावेदारी पेश कर चुके हैं।
स्थानीय सांगठनिक पकड़ और लगातार सक्रियता को जेडीयू अपनी सबसे बड़ी पूंजी मान रही है। वहीं, भाजपा अभी खुलकर मैदान में नहीं आई है, लेकिन संकेत यह हैं कि पार्टी स्थानीय चेहरा उतारने का मन बना रही है।
जातीय गणित और बूथवार आकलन के सहारे अंदरखाने से तैयारी शुरू हो चुकी है। जिले के वरिष्ठ नेता इसे रणनीतिक चुप्पी बता रहे हैं, जिससे अन्य सहयोगी दलों की चाल समझी जा सके और स्थिति चरम पर पहुंचने पर विकल्प रखा जा सके।
महागठबंधन का समीकरण स्थिर, पर नजरें पैनी:
अतरी सीट फिलहाल राजद विधायक अजय यादव के पास है। कुछ इलाकों में उनकी पकड़ कायम है। महागठबंधन इस बात से वाकिफ है कि एनडीए में कलह बढ़ा तो फायदा उन्हें स्वतः मिलेगा। राजद कार्यकर्ता चुपचाप जमीनी संपर्क मजबूत करने में जुटे हैं, ताकि एनडीए की देरी का लाभ लिया जा सके। वहीं, महागठबंधन की ओर से क्षेत्र में लगातार जनसंपर्क कर लोगों को अपनी ओर करने में लगे हुए हैं।
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