राष्ट्रपति ने कहा कि तपस्या, सरलता और कर्तव्यनिष्ठा को अपने जीवन का आधार बनाएं विद्यार्थी
हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय में सोमवार को आयोजित द्वितीय दीक्षांत समारोह में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय के स्नातक, परास्नातक एवं शोधार्थियों को उपाधियाँ और स्वर्ण पदक प्रदान किए। माननीया राष्ट्रपति महोदया से पदक प्राप्त करने वाले भाग्यशाली विद्यार्थियों में साध्वी देवपूजा जी, देवेन्द्र सिंह (स्वामी इन्द्रदेव), मानसी (साध्वी देववाणी), अजय कुमार (स्वामी आर्षदेव), रीता कुमारी (साध्वी देवसुधा), शालू भदौरिया (साध्वी देवशीला), अंशिका, प्रीति पाठक, पूर्वा तथा मैत्रेई रहे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि इस दीक्षांत समारोह में 64 प्रतिशत स्वर्ण पदक छात्राओं ने प्राप्त किए हैं। उन्होंने कहा कि हमारी यही बेटियां भारत का गौरव बढ़ा रही हैं और विकसित भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। उन्होंने कहा कि आज समय आ गया है कि देश की 140 करोड़ जनता की आशाओं को साकार करने में महिलाओं की भूमिका निर्णायक हो। यदि बेटियां पीछे रह जाएंगी तो विकसित भारत का सपना अधूरा रह जाएगा। उन्होंने कहा कि हरिद्वार का यह पावन क्षेत्र दर्शन का द्वार है और पतंजलि विश्वविद्यालय की यह भूमि देवी सरस्वती की आराधना से सुशोभित है।
राष्ट्रपति ने कहा कि योग, आयुर्वेद और अध्यात्म के क्षेत्र में पतंजलि ने जो कार्य किया है, वह महर्षि पतंजलि की परंपरा को आगे बढ़ाने का महान प्रयास है। राष्ट्रपति ने कहा कि इस विश्वविद्यालय में शिक्षा के साथ संस्कार, विज्ञान के साथ आध्यात्म और ज्ञान के साथ व्यवहार का अद्भुत समन्वय है, जो ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना को साकार करता है। इस अवसर पर उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे तपस्या, सरलता और कर्तव्यनिष्ठा को अपने जीवन का आधार बनाएं और भागीरथी की तरह कठिन परिश्रम कर समाज और राष्ट्र के उत्थान में योगदान दें। उन्होंने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय ने व्यक्ति निर्माण के माध्यम से राष्ट्र निर्माण का मार्ग अपनाया है। राष्ट्रपति ने इस विश्वास के साथ अपना उद्बोधन समाप्त किया कि पतंजलि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय से आदर्श जीवन निर्माण में सहायक होंगे और पूरे विश्व में योग, प्राणायाम और भारतीय जीवनदर्शन का प्रसार कर भारत को पुनः विश्व गुरु बनाएंगे।
विशिष्ट अतिथि एवं उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय ने योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में जो योगदान दिया है, वह अभूतपूर्व है। उन्होंने कहा कि योग और आयुर्वेद के माध्यम से पतंजलि ने स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नई क्रांति ला दी है। उन्होंने कहा कि यह देखकर प्रसन्नता होती है कि आज के युवा प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा, योग, आयुर्वेद और अध्यात्म को अपनाने के लिए उत्सुक हैं। राज्यपाल ने कहा कि विद्यार्थी तभी सफल माने जाएंगे जब उनका ज्ञान और शिक्षा समाज के कल्याण में प्रयुक्त होगी। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति और परंपरा आज भी सबसे प्रासंगिक है और आने वाले समय में यही विद्यार्थी विकसित भारत के निर्माण में अपना अमूल्य योगदान देंगे।
इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय का यह आयोजन पूरे प्रदेश के लिए गौरव का विषय है। उन्होंने स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार नई शिक्षा नीति को लागू कर उत्तराखंड को शोध, नवाचार और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने विश्वास जताया कि सर्वश्रेष्ठ उत्तराखंड के निर्माण के इस संकल्प में पतंजलि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगऋषि स्वामी रामदेव ने कहा कि माननीया राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आगमन से पूरा पतंजलि परिवार गौरवान्वित है। उन्होंने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी केवल शिक्षा नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की भावना से ओतप्रोत होकर आगे बढ़ रहे हैं। स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय का हर विद्यार्थी ‘जॉब सीकर’नहीं बल्कि ‘जॉब क्रिएटर’ है। यहां शिक्षा का आधार किसी जाति या धर्म पर नहीं बल्कि सनातन सिद्धांतों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय का उद्देश्य केवल शिक्षित नागरिक नहीं, बल्कि चरित्रवान, आत्मनिर्भर और नैतिक समाज का निर्माण करना है।
कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और विशिष्ट अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को सफलतापूर्वक लागू किया है। यह नीति शिक्षा को रोजगारपरक, बहुविषयक और मूल्य-आधारित बनाने का लक्ष्य रखती है। उन्होंने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) से 3.48 ग्रेड पॉइंट के साथ A+ ग्रेड प्राप्त किया है, जो इस संस्थान की उच्च गुणवत्ता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में शुल्कमुक्त शिक्षा प्रणाली और मेधावी विद्यार्थियों के लिए विशेष छूट दी जाती है। आचार्य बालकृष्ण ने यह भी बताया कि पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ने योग, आयुर्वेद और समग्र स्वास्थ्य विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय वैज्ञानिक योगदान दिया है, जिसके लिए उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय खेल, संस्कृति और अनुसंधान के क्षेत्र में भी निरंतर प्रगति कर रहा है। आचार्य जी ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय को हम विश्व के श्रेष्ठतम विश्वविद्यालयों की श्रेणी में लेकर जायेंगे।
उन्होंने बताया कि पतंजलि विश्वविद्यालय की विशिष्टता यह है कि यहाँ पारंपरिक शास्त्रों के स्मरण को प्रोत्साहित और पुरस्कृत किया जाता है। उन्होंने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय नियमित शिक्षा पद्धति के साथ-साथ ऑनलाइन एवं दूरस्थ माध्यम से भी शिक्षा प्रदान कर रहा है, जिससे देश-विदेश के विद्यार्थी अध्ययन कर सकते हैं।
इस अवसर पर राज्यपाल गुरमीत सिंह द्वारा “फ्लोरा ऑफ राष्ट्रपति भवन” और “मेडिसिनल प्लांट ऑफ राष्ट्रपति भवन” पुस्तकों का विमोचन किया गया, जिनकी प्रथम प्रतिलिपि राष्ट्रपति को भेंट की गई। दीक्षांत समारोह में कुल 1424 विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदान की गईं, जिनमें 54 स्वर्ण पदक विजेता, 62 शोधार्थी (पीएच.डी.), 3 डीलिट उपाधिधारी, 744 स्नातक और 615 परास्नातक विद्यार्थी शामिल रहे।
कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय तथा पतंजलि योगपीठ परिवार से सम्बद्ध सभी वरिष्ठ सदस्य, अधिकारीगण, प्राध्यापकगण, विद्यार्थी व संन्यासी भाई-बहन उपस्थित रहे। |