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राष्ट्रीय वाद नीति नहीं लाएगी सरकार, अदालती मामलों में कमी लाने के उपायों को लेकर निर्देश जारी_deltin51

cy520520 2025-9-29 05:36:36 views 1034

  राष्ट्रीय वाद नीति नहीं लाएगी केंद्र सरकार





डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सरकार ने वर्षों से विचाराधीन राष्ट्रीय वाद नीति लाने की योजना को समाप्त करने का निर्णय लिया है। इसके बजाय उसने केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों को अदालती मामलों में कमी लाने के उपायों को लेकर निर्देश जारी किए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सबसे बड़ा मुकदमेबाज होने का ठप्पा हटाने के लिए केंद्र सरकार उन मामलों की संख्या में कमी लाने के लिए एक व्यापक नीति पर काम कर रही है, जिनमें वह, उसके विभाग या सार्वजनिक उपक्रम पक्षकार हैं।



हालांकि काफी सोच-विचार के बाद केंद्रीय विधि मंत्रालय ने अंतत: राष्ट्रीय वाद नीति लाने की योजना को रद कर दिया है। इस कदम के पीछे यह धारणा है कि सरकार मुकदमों पर अंकुश लगाने की कोई नीति नहीं बना सकती, क्योंकि वह आम लोगों को मुकदमे दायर करने से नहीं रोक सकती।
\“जो चीज सार्वभौमिक रूप से लागू न हो, उसे \“नीति\“ नहीं कहा जा सकता\“

विधि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा- \“ नीति शब्द का इस्तेमाल तब नहीं किया जा सकता, जब यह केवल सरकार, उसके मंत्रालयों और विभागों पर लागू हो और निजी मुकदमों पर न लागू हो।\“ उन्होंने कहा कि जो चीज सार्वभौमिक रूप से लागू न हो, उसे \“नीति\“ नहीं कहा जा सकता। सरकारी मुकदमों की संख्या में कमी लाना एक बहुत ही आंतरिक मुद्दा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि \“निर्देश\“ शब्द का उपयोग इसलिए किया गया है क्योंकि इसमें \“बल का भाव\“ है, जबकि \“दिशा-निर्देश\“ सामान्य प्रकृति के होते हैं।

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सार्वजनिक भलाई और बेहतर प्रशासन को बढ़ावा देना उद्देश्य

अधिकारी के मुताबिक, नीति नहीं लाने का एक अन्य प्रमुख कारण यह था कि इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी की आवश्यकता होती। उन्होंने कहा कि इसी तरह भविष्य में इसमें किसी भी बदलाव के लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी की जरूरत पड़ती।

अप्रैल में जारी निर्देश के अनुसार, विभिन्न निर्णयों और कार्यों का उद्देश्य सार्वजनिक भलाई और बेहतर प्रशासन को बढ़ावा देना है। इसमें कहा गया है कि मंत्रालय की ओर से प्रस्तावित प्रमुख उपाय में अदालतों में अनुचित अपीलों की संख्या को न्यूनतम करना तथा अधिसूचनाओं और आदेशों में निहित विसंगतियों को दूर करना (जो अदालती मामलों का कारण बनते हैं) शामिल है।



कानून मंत्रालय ने फरवरी में राज्यसभा को बताया था कि केंद्र सरकार अदालतों में लंबित लगभग सात लाख मामलों में पक्षकार है, जिनमें से अकेले वित्त मंत्रालय लगभग दो लाख मामलों में वादी है।

(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

यह भी पढ़ें- देशभर के अदालतों में जजों के 5597 पद खाली, कानून मंत्री ने राज्यसभा में दी जानकारी

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