शहर के अधिकांश हिस्सों में प्रदूषण का स्तर \“खराब\“ से \“बहुत खराब\“ श्रेणी में रहा।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। रेस्पायरर लिविंग साइंसेज द्वारा एटलस एक्यू प्लेटफॉर्म के जरिये केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) एवं गूगल एयरव्यू प्लस के आंकड़े एकीकृत कर किए गए माह भर के हाइपरलोकल विश्लेषण से राजधानी के प्रदूषण से जुड़ी नई बातें सामने आई हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसके मुताबिक दिल्ली ने अक्टूबर 2025 के दौरान 31 में से 23 दिनों पर राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों का उल्लंघन किया, जब शहर के अधिकांश हिस्सों में प्रदूषण का स्तर \“खराब\“ से \“बहुत खराब\“ श्रेणी में रहा।
इस विश्लेषण में तीन बाई तीन किमी के मानचित्र ग्रिड का उपयोग किया गया, ताकि उन प्रदूषण हॉटस्पॉट की पहचान की जा सके जो वर्तमान निगरानी नेटवर्क में शामिल नहीं हैं। निष्कर्षों से एक स्पष्ट पैटर्न सामने आया, जिसके अनुसार जहांगीरपुरी, रोहिणी व शाहदरा सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्र रहे, जबकि मंगोलपुरी औद्योगिक क्षेत्र और मदनपुर खादर इसके बाद के स्थानों पर रहे।
20 और 21 अक्टूबर के बीच प्रदूषण का स्तर अपने चरम पर रहा, जब पीएम 2.5 की सांद्रता 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक दर्ज की गई, जो शांत मौसम और त्योहारी उत्सर्जन के दौरान उच्च प्रदूषण का संकेत देती है।
दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में पाए गए अंतर से यह भी स्पष्ट हुआ कि जहांगीरपुरी (144.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर), रोहिणी (142 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर), शाहदरा (134.8 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर), मंगोलपुरी औद्योगिक क्षेत्र (123.8 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) और मदनपुर खादर (120.3 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) शहर के पांच सबसे प्रदूषित क्षेत्र रहे।
इन सभी स्थानों पर पीएम 2.5 का स्तर राष्ट्रीय सुरक्षित सीमा से दो गुना से अधिक पाया गया, जो औद्योगिक और आवासीय क्षेत्रों में तीव्र प्रदूषण के स्थानीय प्रभाव को दर्शाता है।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और सीपीसीबी ने भी इन निष्कर्षों की पुष्टि की, जिसमें जहांगीरपुरी–बवाना–वज़ीरपुर कॉरिडोर को शहर का सबसे प्रदूषित औद्योगिक क्लस्टर बताया गया। इन क्षेत्रों में औसत पीएम 2.5 सांद्रता 140 से 146 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के बीच रही, जो राष्ट्रीय मानक से दो गुना अधिक है। आनंद विहार (134.4 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) और विवेक विहार (133.7 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) इसके बाद प्रमुख प्रदूषित क्षेत्र रहे।
इसके विपरीत, द्वारका, श्री अरविंदो मार्ग और लोधी रोड जैसे क्षेत्रों में हवा अपेक्षाकृत स्वच्छ रही, जहां वायु गुणवत्ता \“\“संतोषजनक\“\“ श्रेणी के करीब रही। उत्तर और उत्तर-पूर्वी दिल्ली के ये औद्योगिक और परिवहन-प्रधान क्षेत्र लंबे समय से प्रदूषण हॉटस्पॉट बने हुए हैं। छोटे उद्योगों की उच्च घनत्व, वाहनों की भीड़भाड़ और शांत मौसम के कारण इन इलाकों में वायु गुणवत्ता लगातार खराब बनी रहती है।
विश्लेषण में सुझाव दिया गया है कि अनकवर क्षेत्रों में सतत वायु गुणवत्ता निगरानी का विस्तार किया जाए, नागरिक और निजी सेंसर डेटा को सरकारी प्रणालियों के साथ एकीकृत किया जाए और उत्तर-पश्चिम दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों में धूल और उत्सर्जन को कम करने के उपायों को प्राथमिकता दी जाए।
रेस्पायरर लिविंग साइंसेज़ के संस्थापक एवं सीईओ रोनक सुतारिया कहते हैं, “दिल्ली की वायु प्रदूषण की कहानी अब सिर्फ शहर के केंद्र तक सीमित नहीं है। हाइपरलोकल मैपिंग से पता चलता है कि औद्योगिक क्षेत्रों और आवासीय इलाकों में एक ही वायु मंडल साझा हो रहा है। इस चुनौती का समाधान तभी संभव है जब नगर और राज्य स्तर पर समन्वित योजना बनाई जाए।”
दिल्ली के पांच सबसे प्रदूषित क्षेत्र
स्थान और औसत PM2.5 (माइक्रोग्राम/घन मीटर)
स्थान औसत PM2.5
जहांगीरपुरी
144.1
रोहिणी
142.0
शाहदरा
134.8
औद्योगिक क्षेत्र मंगोलपुरी
123.8
मदनपुर खादर
120.3
(हाइपरलोकल मानिटरिंग, अक्टूबर 2025, माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर में) |