लता मंगेशकर आर्काइव में संरक्षित स्वर कोकिला का संपूर्ण जीवन-वृत। जागरण
राजेंद्र शर्मा, जागरण, मेरठ। अपने सुरों के जादू से करोड़ों श्रोताओं मंत्र मुग्ध कर देने वाली वालीं महान गायिका स्व. लता मंगेशकर का रविवार को जन्म दिवस है। संगीत के चाहने वाले करोड़ों श्रोता आज उन्हें अपने-अपने तरीके से याद कर रहे हैं। उनका कोई ना कोई अमर गीत श्रोताओं के जीवन से जुड़ा हुआ है, जिसे वे गुनगुनाते भी हैं। भले ही वह आज दुनिया में नहीं है, लेकिन हर कोई श्रोता उनका स्मरण कर रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वर्ष-1966 में आयी फिल्म ममता में महान गायिका व भारत रत्न से सम्मानित स्वर कोकिला स्व. लता मंगेशकर का गाया अमर गीत रहें ना रहें हम महका करेंगे, बन के कली बन के सबा बाग ए वफ़ा में...आज उनके बारे में भी चरितार्थ हो रहा है। भले ही वे अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके हजारों गीतों की महक करोड़ों श्रोताओं के बीच यूं ही फैली हुई हैं। उनके जाने के बाद भी उनसे जुड़ी तमाम स्वर्णिम स्मृतियों को क्रांतिधरा में भी संजोकर रखा हुआ है। यह भी केवल एक दो नहीं, उनकी जन्मकुंडली से लेकर जीवन की संघर्ष गाथा और सात से अधिक दशक तक की संगीत यात्रा के सफर को अनूठा संग्रहालय बहुमूल्य खजाने के रूप में रखा हुआ। ताकि आने वाली पीढ़ियां उनके बारे में जान सकें, पढ़ सकें और उनको खूब सुन भी सके।
गौरव ने क्रांतिधरा से जोड़ा स्वर सम्राज्ञी का रिश्ता
क्रांतिधरा निवासी गौरव शर्मा ने अपने अनूठे संग्रहालय के माध्यम से ही स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर का क्रांतिधरा से रिश्ता मजबूती से जोड़ दिया है। लता मंगेशकर आर्काइव के संस्थापक गौरव शर्मा ने महान गायिका व भारत रत्न से सम्मानित स्व. लता मंगेशकर के जन्म से लेकर उनकी संगीत यात्रा के स्वर्णिम सफर से जुड़ी हजारों वस्तुओं का अनूठा संग्रह किया हुआ है।
उन्होंने फूलबाग कालोनी स्थित अपने घर पर ही लता मंगेशकर से जुड़ी वस्तुओं का बहुमूल्य संग्रहालय बनाया हुआ है। इस संग्रहालय में 15 सौ वीसीडी हिंदी, मराठी, बंगाली, पंजाबी व भोजपुरी में है। इन वीसीडी में उनके गाए हुए गीत हैं। पांच सौ वीसीआर कैसेट हैं। वहीं, सौ आडियो कैसेट भी संग्रह कर रखे हुए हैं। यह भी हिंदी, मराठी, बंगाली व भोजपुरी समेत अन्य भाषाओं में हैं। इसके अलावा देश और दुनिया के समाचार पत्रों व मैगजीन में प्रकाशित हजारों आलेख का भी संग्रह करके रखा हुआ है
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उज्बेकिस्तान तक में हैं लता की गायिकी को पसंद करने वाले
महान गायिका लता के गीतों को पसंद करने वाले देश ही नहीं विदेशों तक में रह रहे हैं। कभी सोवियत संघ का भाग रहे उज्बेकिस्तान में भी हैं। गौरव बताते हैं कि संग्रहालय के लिए उज्बेकिस्तान से उनके बारे में छपे आर्टिकल संग्रहालय के लिए भेजे गए हैं। इसी तरह नीदरलैंड में भी प्रकाशित हुए तमाम आर्टिकल भेजे हैं, ताकि वे भी इस अनूठे संग्रहालय का हिस्सा बन सके। इस संग्रहालय में लता पर लिखी करीब सात सौ से अधिक पुस्तकें हैं, जबकि 22 सौ मैगजीन उपलब्ध है। यही नहीं, करीब 20 हजार से अधिक लेख विभिन्न भाषाओं में है।
छह स्कूलों में बनी हैं लता वाटिकाएं
जिले के छह प्राथमिक विद्यालयों में महान गायिका की स्मृतियों को संजोए रखने के लिए लता वाटिकाएं संचालित की जा रही हैं। इनमें प्राथमिक विद्यालय रजपुरा, सिसौली नंबर एक, भगवानपुर नंबर एक मऊखास नंबर एक, प्राथमिक विद्यालय कूढी खरखौदा और उच्च प्राथमिक विद्यालय आलमपुर हैं। जहां उनके बारे में लिखे गए आलेख एवं अन्य पत्र-पत्रिकाएं उपलब्ध हैं। छात्र-छात्राओं के साथ उनके अभिभावक भी इन स्कूलों में आकर पत्र-पत्रिकाओं में पढ़ते हैं। वहीं, बच्चों के जन्म दिवस पर पौधा लगाते हैं। गौरव का कहना है कि जल्दी ही कुछ और स्कूलों में लता वाटिकाओं का संचालन करने के लिए पहल की गई है।
लता की संघर्ष यात्रा से अवसाद से मुक्ति की पहल
गौरव ने महान गायिका लता मंगेशकर की संघर्ष यात्रा के माध्यम से अब अवसाद से मुक्ति की पहल भी शुरू की है।अवसाद में आए युवाओं व अन्य लोगों को संग्रहालय में आमंत्रित कर उनकी संघर्ष भरी यात्रा के बारे में बताया जाता है। उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है। फिर उनके गीतों को सुनाया जाता है। उनका दावा है कि यह प्रयास रंग ला रहा है। युवा अवसाद से बाहर निकल रहे हैं।
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