search

देहरादून के बड़े हिस्से में कमजोरी के संकेत, नजरअंदाज करना पड़ेगा भारी_deltin51

LHC0088 2025-9-28 18:36:26 views 1200
  तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण





सुमन सेमवाल, देहरादून। राजधानी दून की हालिया आपदा में दूनघाटी में अतिवृष्टि से जिस तरह चौतरफा भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं, उसने बेतहाशा किए जा रहे निर्माण और उनकी सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। खासकर मसूरी के निचले क्षेत्रों की घाटियों में किए जा रहे निर्माण खतरे की जद में हैं। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि यह चिंता भूविज्ञानियों की है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के साथ ही एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग का अध्ययन बताता है कि मालदेवता से लेकर बिधौली तक का क्षेत्र अधिक संवेदनशील हैं। इस एक मुख्य कारण एक करोड़ साल पुराना वह फाल्ट है, जो आज तक भी सक्रिय है। यह है में बाउंड्री थ्रस्ट (एमबीटी)।



एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के प्रमुख प्रो. एमपीएस बिष्ट के अनुसार इस फाल्ट की सक्रियता से करोड़ों साल पुरानी चट्टानें महज 25 हजार साल पुराने दून के अवसादों के ऊपर चढ़ रही हैं। सामान्य स्थिति में पुरानी चट्टानों को नीचे होना चाहिए, लेकिन फाल्ट जोन में हलचल से ऐसा हो रहा है।

इससे यह पूरा भूभाग अस्थिर भी माना जा सकता है। ऐसे में मालदेवता क्षेत्र से लेकर बिधौली तक भवन निर्माण को लेकर विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। ऐसे क्षेत्रों में अधिक ढालदार भूभाग पर निर्माण की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और भवनों की ऊंचाई को भी नियंत्रित किए जाने की आवश्यकता है।





बादल फटने से पहले हुई थी गर्जना, चूना पत्थर है कारण

15 सितंबर की मध्य रात्रि को जब सहस्रधारा और कार्लीगाड़ क्षेत्र में बादल फटने की घटना सामने आई थी, तब जोरदार ढंग से गर्जना के साथ बिजली गिरी थी। वरिष्ठ भूविज्ञानी प्रो. एमपीएस बिष्ट के अनुसार इसका कारण भी मसूरी क्षेत्र की निचली पहाड़ियों की संवेदनशीलता में छिपा है।

जिन चूना पत्थरों की संवेदनशीलता के कारण पूरे क्षेत्र में खनन बंद किया गया था, उन्हीं के कारण बिजली गिरने की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। उनका कहना है कि चूना पत्थर के पहाड़ वातावरण में अयोनाइजेशन की प्रक्रिया के माध्यम से आकाशीय बिजली को आकर्षित करते हैं।

agra-city-crime,Agra News,Agra Latest News,Agra News in Hindi,Agra Samachar,news,Agra News,Agra Latest News,Agra News in Hindi,Agra Samachar,Courier company theft,Raqabganj police,Theft accused arrested,Agra crime news,Pitambara Express Service,Money recovery Agra,Uttar Pradesh news   



वातावरण की ऋणात्मक ऊर्जा व चूना पत्थरों की धनात्मक ऊर्जा बिजली का कारण

वरिष्ठ विज्ञानी प्रो. एमपीएस बिष्ट के मुताबिक वातावरण में 78 प्रतिशत नाइट्रोजन है और 21 प्रतिशत आक्सीजन। वातावरण में नाइट्रोजन (एन2) एटम्स के रूप में होता है। वर्षा के साथ आक्सीजन जब नाइट्रोजन के संपर्क में आती है तो यह उसके एटम्स को तोड़ देता है।

यह भी पढ़ें- Uttarakhand Disaster: पहाड़ की 398 सड़कों पर हरे हैं जख्म, अधूरी मरम्मत की कसक



इसके बाद नाइट्रेट (N2ओ) बनता है, जिससे बड़े स्तर पर ऋणात्मक ऊर्जा निकलती है और जब यह ऊर्जा धनात्मक आयन के संपर्क में आती है तो अर्थिंग होती है। जहां भी अर्थिंग पैदा होगी, बिजली वहीं सर्वाधिक गिरेगी। चूना पत्थर व सिलिका जैसे पहाड़ भी अपने विशिष्ट रासायनिक गुणों के कारण बड़े स्तर पर धनात्मक ऊर्जा पैदा करते हैं। यही कारण है कि आयोनाइजेशन की इस प्रक्रिया में ऐसे क्षेत्रों में बिजली गिरने की घटनाएं सर्वाधिक होती हैं।





नुकसान का कारण बनती है बिजली, समाधान भी है

यूसैक निदेशक के मुताबिक बिजली गिरने की घटनाओं के चलते चट्टानें चटकने लगती हैं। भारी वर्षा व बदल फटने की घटनाओं के बीच यह नुकसान को बढ़ा देती हैं। हालांकि, आज के दौर में उन्नत प्रकृति के तड़िचालक (लाइटनिंग कंडक्टर) के माध्यम से बिजली से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है



like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments
LHC0088

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1410K

Credits

Forum Veteran

Credits
141524

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com