बर्डघाट रामलीला में राम लक्ष्मण व सीता जी के पहनने वालें आभुषण मुकुट। जागरण
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। बर्डघाट रामलीला कमेटी 163 वर्षों से बर्डघाट मैदान में हर वर्ष रामलीला आयोजित कर रही है। लगभग 70 साल पहले कलाकारों के वस्त्राभूषण बनवाए गए थे, जो आज भी थाती की तरह संजोकर रखे गए हैं। कपड़े पर सोने-चांदी के तारों से मुकुटों व कवचों की बुनाई की गई है। मोती व मूंगा की मालाएं तथा हनुमानजी का पीतल का गदा भी उसी समय की है, जो दर्शकों के आकर्षण का केंद्र है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
भगवान राम, रावण वध के बाद व राज्याभिषेक के समय यही आभूषण धारण करते हैं। उनके साथ ही लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, सीता, रावण व हनुमान जी परंपरागत वस्त्राभूषण पहनते हैं। वस्त्र तबसे तीन बार बदले जा चुके हैं, लेकिन आभूषण वही हैं। आभूषणों में बाजूबंद, कंगन, युद्ध के समय पहने जाने वाले सुरक्षा कवच व मुखौटे हैं।
रावण का 10 मुख वाला मुखौटा सोने-चांदी के तारों से बुना गया है। हनुमान जी व सुग्रीव का मुखौटा अष्टधातु का है। मंचन करने वाले कलाकार अपना वस्त्राभूषण स्वयं लेकर आते हैं, रामलीला के दौरान उन्हीं का उपयोग करते हैं। लेकिन रावण वध के बाद व राज्याभिषेक के समय समिति द्वारा बनवाया गया मुकुट पहनाया जाता है। राम का मुकुट सबसे अलग और आकर्षक है। उसमें नीलम व माणिक्य पत्थर का उपयोग किया गया है।
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बर्डघाट रामलीला।
मुकुट, कवच व कुंडल काफी पुराने हो गए हैं। मरम्मत कराने का कई बार प्रयास किया गया, लेकिन अब इनके लिए कुशल कारीगर नहीं मिल रहे हैं। इसलिए उन्हें उसी रूप में संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है।
-गणेश वर्मा, अध्यक्ष रामलीला समिति बर्डघाट
सभी आभूषण पूरी तरह संरक्षित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। रामलीला के दौरान दो बार इन्हें निकाला जाता है। रावण वध के बाद व राज्यभिषेक के दौरान भगवान राम व अन्य पात्र यही आभूषण पहनते हैं।
-हरिद्वार वर्मा, महामंत्री रामलीला समिति बर्डघाट
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