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गीताप्रेस की धार्मिक पुस्तकों के दाम बढ़ने वाले हैं? GST 12% से 18% होने के बाद प्रबंधन ने लिया ये फैसला_deltin51

deltin33 2025-9-28 14:06:00 views 977

  गीताप्रेस की पुस्तकों की हो सकती है मूल्य वृद्धि।





गजाधर द्विवेदी, गोरखपुर। कागज पर जीएसटी की दर 12 से बढ़कर 18 प्रतिशत होने के बाद गीताप्रेस पर पुस्तकों का मूल्य बढ़ाने की विवशता बढ़ती जा रही है। अक्टूबर के पहले सप्ताह में बुलाई गई ट्रस्ट की बोर्ड बैठक में इस पर निर्णय लिया जाएगा। प्रबंधन के अनुसार पेपर कंपनियों ने पिछले माह कागज का दाम चार प्रतिशत बढ़ा दिया था।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



अब जीएसटी की दर छह प्रतिशत बढ़ने से कागज की खरीद में 10 प्रतिशत की लागत बढ़ जाएगी। गीताप्रेस हर महीने लगभग 600 टन कागज की खपत कर प्रतिदिन छोटी-बड़ी पुस्तकों की 70 हजार प्रतियां प्रकाशित करता है। 15 भाषाओं में 1850 तरह की पुस्तकें प्रकाशित करने वाले गीताप्रेस से प्रतिवर्ष लगभग 135 करोड़ रुपये मूल्य की पुस्तकें बिकती हैं।  

महंगा कागज खरीदकर पुरानी दर पर पुस्तकें देने पर प्रेस पर बड़ा आर्थिक बोझ पड़ सकता है। कोविड काल के बाद कागज के मूल्य में अचानक 30 से 20 प्रतिशत तक की वृद्धि हो गई थी। इसलिए अंतिम बार लगभग चार साल पहले गीताप्रेस को पुस्तकों का मूल्य बढ़ाना पड़ा था।  



हालांकि, इसके बाद भी प्रेस लागत से कम मूल्य पर पाठकों को पुस्तकें उपलब्ध कराने के उद्देश्य पर कायम है। कागज के मूल्य में चार प्रतिशत बढ़ोतरी व छह प्रतिशत जीएसटी बढ़ने पर गीताप्रेस पर कितना अतिरिक्त बोझ बढ़ा है, यदि पुस्तकों की कीमत नहीं बढ़ाई गई तो गीताप्रेस को कितना घाटा उठाना पड़ सकता है, इसका आकलन अक्टूबर के पहले सप्ताह में किया जाएगा।  

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गीताप्रेस पुस्तकों को लागत मूल्य से कम में उपलब्ध कराने के लिए जाना जाता है। प्रेस की स्थापना ही इसलिए हुई थी कि आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति तक भी धार्मिक पुस्तकें पहुंचाई जा सकें। इसलिए इस प्रेस से प्रकाशित पुस्तकों का मूल्य काफी कम होता है, ताकि ये लोगों को आकर्षित कर सकें।  

इससे गीताप्रेस को होने वाला घाटा, गोविंद भवन ट्रस्ट की अन्य संस्थाओं की आय से पूरा किया जाता है, जिसमें मुख्य रूप से हरिद्वार में आयुर्वेदिक दवाओं की फैक्ट्री व गीताप्रेस भवन के बाहरी हिस्से में दुकानें हैं। गीताप्रेस भी गोविंद भवन ट्रस्ट का ही एक प्रकल्प है।  



दो माह में अचानक पेपर के मूल्य में हुई 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी ने प्रेस प्रबंधन को पुस्तकों के मूल्य पर पुनर्विचार करने के लिए विवश किया है। एक तरफ पाठकों को सस्ते मूल्य में पुस्तकें उपलब्ध कराने का लक्ष्य है तो दूसरी तरफ पुस्तकों के प्रकाशन की निरंतरता बनी रहे, इसकी महती जिम्मेदारी भी है।  


पिछले महीने कंपनियों ने कागज की कीमत चार प्रतिशत बढ़ा दी। इस माह से जीएसटी में छह प्रतिशत की वृद्धि हो गई। जो कागज हम सौ रुपये में खरीद रहे थे, वही अब 110 रुपये में खरीदना पड़ेगा। अक्टूबर के पहले सप्ताह में पुस्तकों के मूल्य के संबंध में निर्णय लिया जा सकता है।  



-डा. लालमणि तिवारी, प्रबंधक गीताप्रेस  


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