अरवल का परवल भोजपुर, औरंगाबाद और पटना तक पहुंचा, किसानों को कम लागत में बड़ा मुनाफा

deltin33 2025-11-8 20:37:31 views 1242
  

परवल की खेती आर्थिक समृद्धि का नया रास्ता



जागरण संवाददाता, अरवल(जहानाबाद)। जिले में परवल की खेती आर्थिक समृद्धि का नया रास्ता बना रही है। सोन नदी के बालू वाले क्षेत्रों में उपजने वाला परवल स्वाद, गुणवत्ता और बाजार में मांग के लिए जाना जाता है। जिले में लगभग 200 एकड़ क्षेत्र में परवल की खेती होती है, जिसमें परासी, रामपुर वैना, पिपरा बांग्ला और ओझा बीघा के किसान सबसे अधिक सक्रिय हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  

किसानों का कहना है कि परवल की खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देती है। रामपुर वैना के किसान संजय कुमार, मुन्ना चौधरी, बाल्मीकि वर्मा और मनोज सिंह के अनुसार, एक बीघा परवल की खेती में लगभग 15 से 20 हजार रुपये की लागत आती है, जबकि मुनाफा 80 हजार से डेढ़ लाख रुपये तक होता है। इस प्रकार कम निवेश में उच्च उत्पादन और बेहतर आर्थिक लाभ सुनिश्चित होता है।

  

सोन नदी के बालू पर उगने वाला परवल अन्य जगह के परवल की तुलना में पतला, लंबा और फूल लगा हुआ होता है, जिससे इसका स्वाद अत्यंत अच्छा होता है। यही कारण है कि भोजपुर, औरंगाबाद और पटना के व्यापारी अरवल के परवल की ओर विशेष रुचि दिखा रहे हैं। परवल की रोपाई अक्टूबर में होती है और दिसम्बर के अंतिम सप्ताह या जनवरी से फलन शुरू होकर बरसात तक चलता है।

  

किसानों ने बताया कि अरवल में परवल के साथ ही हजारों एकड़ में ककड़ी, खीरा, नेनुआ, भिंडी, लौकी, करेला जैसी अन्य सब्जियों की खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है। इन सब्जियों की खेती से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है और पलायन रुक गया है।

  

हालांकि, जिले में सरकारी मंडी न होने के कारण किसान अपने उत्पाद का उचित मूल्य नहीं पा पा रहे हैं। बिचौलियों के कारण मेहनत करने वाले किसानों को कम लाभ मिलता है। किसानों की मांग है कि जिले में सरकारी मंडी बनाई जाए, ताकि सब्जी और परवल उत्पादक किसानों को उचित मूल्य और आर्थिक उन्नति मिल सके।

  

अरवल के परवल की इस खेती ने न सिर्फ किसानों की आय बढ़ाई है, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार भी सृजित किया है। कम लागत, अच्छा उत्पादन और स्वादिष्ट उपज के कारण यह जिले की प्रमुख आर्थिक गतिविधियों में शुमार हो चुका है।

अरवल। जिले में परवल की खेती आर्थिक समृद्धि का नया रास्ता बना रही है। सोन नदी के बालू वाले क्षेत्रों में उपजने वाला परवल स्वाद, गुणवत्ता और बाजार में मांग के लिए जाना जाता है। जिले में लगभग 200 एकड़ क्षेत्र में परवल की खेती होती है, जिसमें परासी, रामपुर वैना, पिपरा बांग्ला और ओझा बीघा के किसान सबसे अधिक सक्रिय हैं।
किसानों का कहना है कि परवल की खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देती है। रामपुर वैना के किसान संजय कुमार, मुन्ना चौधरी, बाल्मीकि वर्मा और मनोज सिंह के अनुसार, एक बीघा परवल की खेती में लगभग 15 से 20 हजार रुपये की लागत आती है, जबकि मुनाफा 80 हजार से डेढ़ लाख रुपये तक होता है। इस प्रकार कम निवेश में उच्च उत्पादन और बेहतर आर्थिक लाभ सुनिश्चित होता है।
सोन नदी के बालू पर उगने वाला परवल अन्य जगह के परवल की तुलना में पतला, लंबा और फूल लगा हुआ होता है, जिससे इसका स्वाद अत्यंत अच्छा होता है। यही कारण है कि भोजपुर, औरंगाबाद और पटना के व्यापारी अरवल के परवल की ओर विशेष रुचि दिखा रहे हैं। परवल की रोपाई अक्टूबर में होती है और दिसम्बर के अंतिम सप्ताह या जनवरी से फलन शुरू होकर बरसात तक चलता है।
किसानों ने बताया कि अरवल में परवल के साथ ही हजारों एकड़ में ककड़ी, खीरा, नेनुआ, भिंडी, लौकी, करेला जैसी अन्य सब्जियों की खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है। इन सब्जियों की खेती से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है और पलायन रुक गया है।
हालांकि, जिले में सरकारी मंडी न होने के कारण किसान अपने उत्पाद का उचित मूल्य नहीं पा पा रहे हैं। बिचौलियों के कारण मेहनत करने वाले किसानों को कम लाभ मिलता है। किसानों की मांग है कि जिले में सरकारी मंडी बनाई जाए, ताकि सब्जी और परवल उत्पादक किसानों को उचित मूल्य और आर्थिक उन्नति मिल सके।
अरवल के परवल की इस खेती ने न सिर्फ किसानों की आय बढ़ाई है, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार भी सृजित किया है। कम लागत, अच्छा उत्पादन और स्वादिष्ट उपज के कारण यह जिले की प्रमुख आर्थिक गतिविधियों में शुमार हो चुका है।
like (0)
deltin33administrator

Post a reply

loginto write comments

Previous / Next

Previous threads: gamble attorney Next threads: fishing impossible
deltin33

He hasn't introduced himself yet.

1210K

Threads

0

Posts

3810K

Credits

administrator

Credits
388010

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com