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DNA के खोजकर्ता जेम्स वॉटसन का निधन, 1962 में मिला था नोबेल पुरस्कार

Chikheang 2025-11-8 15:45:36 views 842

  

(फाइल फोटो- रॉयटर्स)



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। डीएनए खोजकर्ता नोबेल पुरस्कार विजेता जेम्स वॉटसन का 97 वर्ष की आयु में निधन हो गया। जेम्स वॉटसन ने 1953 में डीएनए की ट्विस्टेड-लैडर संरचना (डबल हेलिक्स) की खोज की थी। इसी खोज के बाद से चिकित्सा, अपराध जांच, जीनोलॉजी और नैतिकता के क्षेत्र में नई क्रांति आई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

दरअसल, जेम्स वॉटसन ने 1953 में ब्रिटिश वैज्ञानिक फ्रांसिस क्रिक के साथ मिलकर डीएनए की डबल हेलिक्स संरचना की पहचान की थी। जो 20वीं सदी की सबसे बड़ी वैज्ञानिक खोजों में से एक है। यह ऐतिहासिक खोज विज्ञान की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक थी। हालांकि, नस्ल और लिंग पर उनके विवादित बयानों ने उनको भारी नुकसान पहुंचाया। जिसके चलते वैज्ञानिक समुदाय ने उनसे दूरी बना ली।
1962 में मिला था नोबेल पुरस्कार

जेम्स वाटसन को 1962 में फ्रांसिस क्रिक और मौरिस विल्किंस के साथ नोबेल पुरस्कार मिला था, क्योंकि उन्होंने यह खोज की थी कि डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड या डीएनए एक डबल हेलिक्स है, जिसमें दो स्ट्रैंड होते हैं जो एक दूसरे के चारों ओर कुंडलित होकर एक लंबी, धीरे-धीरे मुड़ने वाली सीढ़ी जैसा आकार बनाते हैं। यह खोज विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि थी। इससे तुरंत पता चल गया कि आनुवंशिक जानकारी कैसे संग्रहीत होती है और कोशिकाएँ विभाजित होने पर अपने डीएनए की प्रतिलिपि कैसे बनाती हैं।

शिकागो में जन्मे जेम्स वॉटसन की यह उपलब्धि, जो उस समय मिली जब वे मात्र 24 वर्ष के थे, उन्हें विज्ञान की दुनिया में दशकों तक एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बना दिया। लेकिन अपने जीवन अंतिम में विवादित टिप्पणियों के कारण उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। उनकी आपत्तिजनक टिप्पणियों में यह भी था कि अश्वेत लोग श्वेत लोगों से कम बुद्धिमान होते हैं।

वॉटसन ने एक बार कहा था, “फ्रांसिस क्रिक और मैंने सदी की सबसे बड़ी खोज की, यह बात बिल्कुल स्पष्ट थी।“ बाद में उन्होंने लिखा: “विज्ञान और समाज पर डबल हेलिक्स के विस्फोटक प्रभाव का हम पहले से अंदाजा नहीं लगा सकते थे।“
वाटसन के ये बयान पड़े थे भारी

2007 में, जब वो पहले कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की कैवेंडिश लैब में काम कर चुके थे, उन्होंने लंदन की संडे टाइम्स मैगजीन से कहा कि वो “अफ्रीका के भविष्य को लेकर निराश” हैं, क्योंकि “हमारी सारी नीतियां यह मानकर बनी हैं कि अफ्रीकी लोगों की बुद्धि हमारे जैसी ही है — जबकि सभी टेस्ट कुछ और बताते हैं.” इस बयान के बाद उन्हें न्यूयॉर्क की कोल्ड स्प्रिंग हार्बर लैब में चांसलर के पद से हटा दिया गया था।

2019 में उन्होंने फिर से ऐसा ही बयान दिया — जब उन्होंने कहा कि नस्ल और आप कितने बुद्धिमान है इस के बीच संबंध है — तो लैब ने उनसे सभी उपाधियां छीन लीं, जैसे चांसलर एमेरिटस, प्रोफेसर एमेरिटस और मानद ट्रस्टी।

लैब ने कहा कि डॉ. वॉटसन के बयान गलत हैं और विज्ञान उनका समर्थन नहीं करता। डीएनए की खोज 1869 में हुई थी, लेकिन तब वैज्ञानिक इसकी संरचना नहीं जानते थे।

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