वर्ल्ड रेबीज डे : कुत्ता, बिल्ली, बंदर काटे तो घबराएं नहीं, चिकित्सक को तत्काल दिखाएं।
वरुण यादव, गोंडा। कुत्ता, बिल्ली, बंदर या सियार काट ले तो घबराएं नहीं बल्कि, तत्काल चिकित्सक को दिखाएं। समय से उपचार व जागरूकता से जान बचाई जा सकती है। सरकारी आंकड़ाें पर गौर करें तो शहर से लेकर गांव तक आठ माह में 45 हजार से अधिक लोगों को एंटी रेबीज लगाई गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सबसे ज्यादा लोग कुत्तों के काटने से घायल हुए हैं। इस वर्ष भी वर्ल्ड रेबीज डे एक खास थीम पर मनाया जाएगा, जिसके तहत सभी को मिलकर इस बीमारी के रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक करना है।
10 नगर निकाय हैं जिले में -
05 हजार आवारा कुत्तों की अनुमानित संख्या - 45 हजार से अधिक लोगों को आठ माह में लगे एंटी रेबीज
दो माह में कितने लोगों को किस जानवर ने काटा
जानवर-अगस्त-सितंबर
कुत्ता-581-400
पालतू कुत्ता-135-100
बंदर-119-120
बिल्ली-108-155
सियार-48-100
(नोट : यह आंकड़े एक अगस्त से 26 सितंबर 2025 तक के हैं।)
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कुत्ते के काटने पर क्या करना चाहिए - घबराएं नहीं। शांत होकर घाव को चेक करें। देखें कि घाव कितना गहरा है और खून कितना बह रहा है। अगर घाव गहरा है और खून तेजी से बह रहा है, तो उसे रोकना जरूरी है। घाव को कम से कम 15 मिनट तक बहते हुए ठंडे पानी और साबुन से अच्छी तरह धोएं।
घाव को रगड़ें नहीं, बल्कि हल्के हाथों से बहते पानी के नीचे धोएं। इससे लार और गंदगी निकल जाएगी और इन्फेक्शन का खतरा कम होगा। घाव धोने के बाद, एक साफ कपड़े या पट्टी (गेज) से हल्का दबाव डालकर खून बहना बंद करें। एक स्टरलाइज पट्टी या साफ कपड़े से घाव को ढक दें।
इससे बाहरी कीटाणुओं से बचाव होगा। कुत्ते के काटने के बाद डाक्टर से सलाह लेना हमेशा जरूरी है, भले ही घाव छोटा ही क्यों न हो। इन बातों का रखें खास ध्यान - रेबीज का खतरा : रेबीज एक जानलेवा वायरल बीमारी है जो कुत्ते की लार के जरिए फैलती है।
अगर कुत्ते के रेबीज से इन्फेक्शन होने का शक है तो डाक्टर तुरंत रेबीज का इंजेक्शन लगाएंगे। इसमें देरी जानलेवा हो सकती है।
टिटनेस का खतरा
गहरे घावों में टिटनेस के बैक्टीरिया के फैलने का खतरा रहता है। डाक्टर से टिटनेस का इंजेक्शन लगवाने की सलाह लें।
कुत्ते पर नजर रखें
अगर कुत्ता पालतू और पहचान का है, तो उस पर 10-15 दिनों तक नजर रखें। अगर उसमें कोई अजीब व्यवहार (जैसे पानी से डरना, ज्यादा लार आना, आक्रामक होना) दिखे या वह मर जाए, तो तुरंत डाक्टर को सूचित करें। इससे रेबीज का पता लगाने में मदद मिलती है।
घाव को न चाटें
बच्चों को समझाएं कि घाव को बिल्कुल न चाटें और न ही उसे छुएं। घरेलू नुस्खों से बचें : घाव पर हल्दी, मिट्टी, या कोई भी अन्य चीज न लगाएं। इससे इन्फेक्शन बढ़ सकता है।
कुत्ते की रिपोर्ट करें
अगर कुत्ता आवारा और आक्रामक है, तो उसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को दें, जिससे दूसरे लोगों को उससे खतरा न हो।
क्या है वर्ल्ड रेबीज डे का इतिहास
वर्ल्ड रेबीज डे की शुरुआत वर्ष 2007 में लायन हार्ट्स फाउंडेशन और सेंटर्स फार डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की साझेदारी में हुई थी। इस दिन को मनाने के लिए 28 सितंबर की तारीख को इसलिए चुना गया क्योंकि यह महान वैज्ञानिक लुई पाश्चर की पुण्यतिथि है।
लुई पाश्चर ने ही रेबीज की पहली वैक्सीन विकसित की थी, जिसने लाखों लोगों की जान बचाई। यह दिन उनके योगदान को याद करने और रेबीज के बारे में जागरूकता फैलाने का एक माध्यम है।
कुत्ता, बिल्ली, बंदर या सियार के काटने पर घबराएं नहीं। नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर चिकित्सक से सलाह लें और एंटी रेबीज लगवाएं।
- डा. रश्मि वर्मा, सीएमओ गोंडा
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