एटीसी की वजह से हजारों फ्लाइट्स हुईं लेट।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गुरुवार देर रात हवाई यातायात नियंत्रण (एटीसी) प्रणाली में तकनीकी खराबी के कारण एक हजार से ज्यादा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें लेट हो गईं। इससे देश के सबसे व्यस्त हवाई अड्डे पर अफरा-तफरी मच गई। हवाई अड्डे पर सभी एयरलाइनों का परिचालन प्रभावित हुआ है और अधिकारी समस्या का समाधान करने के लिए काम कर रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सूत्रों ने बताया कि एयरलाइनों ने कम-से-कम 20 उड़ानें रद कर दी हैं। एटीसी और चालक दल के बीच संवाद टूटने की वजह से कई विमान हवा में ही चक्कर काटते रहे। उड़ान भरने को तैयार विमानों की कतार लग गई। नतीजतन भोपाल, चंडीगढ़ और अहमदाबाद आदि स्थानों पर भी विमान सेवाएं प्रभावित हुईं। इससे आइजीआई सहित देशभर के यात्री परेशान होते रहे।
कैसे हुई समस्या की शुरुआत?
समस्या एयर ट्रैफिक कंट्रोल के एएमएसएस (आटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम) में गड़बड़ी से शुरू हुई। एएमएसएस हवाई यातायात को नियंत्रित करने का केंद्रीय तंत्र है, जो उड़ानों के प्लान, मौसम की जानकारी और रूट को मैनेज करता है। एएमएसएस में गड़बड़ी के कारण आटोमैटिक फ्लाइट प्लान ट्रांसमिशन रुक गया और कंट्रोलर्स को मैनुअल रूप से हर डिटेल की एंट्री करनी पड़ी।
एएमएसएस में खराबी गुरुवार रात से ही सामने आने लगी। तकनीकी टीम ने इसे तत्काल ठीक करने का काम शुरू कर दिया, लेकिन सुबह के समय सारी कोशिश धरी की धरी रह गई और यह पूरी तरह ठप पड़ गया।
सुबह के बाद एयरलाइनों ने जारी की एडवाइजरी
गुरुवार देर रात शुरू हुई गड़बड़ी को एयरलाइनों ने उतनी गंभीरता से नहीं लिया। लेकिन सुबह जब बे एरिया में प्रस्थान से जुड़ी उड़ानों की कतार लगनी शुरू हुई, तो तमाम एयरलाइनें सक्रिय हो गईं। इसके बाद एडवाइजरी जारी करने का सिलसिला शुरू हो गया।
इंडिगो, एअर इंडिया, स्पाइसजेट सहित तमाम एयरलाइनों ने यात्रियों को एडवाइजरी जारी कर स्टेटस चेक करने की सलाह दी। बाद में एयरपोर्ट अथारिटी ऑफ इंडिया भी सक्रिय हुआ और उसने अपने एक्स हैंडल पर एएमएसएस में आई गड़बड़ी को साफ्टवेयर ग्लिच कहा और बताया कि इसे ठीक करने में टीम जुटी है।
क्या होता है एटीसी?
एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम विमान सुरक्षा और संचालन के प्रबंधन के लिए एडवांस डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करता है।
ये सिस्टम रडार डेटा, संचार और स्वचालन को संयोजित करता है, जिससे कि सुचारू और सुरक्षित हवाई क्षेत्र प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके।
इसके लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (Air Traffic Controller) तैनात रहते हैं, जो विमान और जमीन के बीच मानवीय कड़ी का काम करते हैं।
ये रियल टाइम के रडार डेटा की निगरानी करते हैं, मंजूरी देते हैं और पायलटों के साथ लगातार संवाद करते हैं।
इनकी भूमिका केवल निरीक्षण तक ही सीमित नहीं है। कंट्रोलर्स ट्रैफिक के पैटर्न, मौसम संबंधी अपडेट और संभावित खतरों का विश्लेषण करके तुरंत निर्णय लेते हैं। चौबीसों घंटे काम करते हुए ये लोग समय क्षेत्र या मौसम की स्थिति की परवाह किए बिना निरंतर कवरेज सुनिश्चित करते हैं।
एटीसी ही है जो लगातार पायलटों के संपर्क में रहता है और इसका उद्देश्य दो विमानों के बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखना है। ATC का काम पायलटों को जरूरी जानकारी और उनकी मदद करना भी है।
एटीसी सिस्टम में आई समस्या से हवाई अड्डे के सेंट्रल एयर ट्रैफिक कंट्रोल प्रभावित होता है। एटीसी की ऑटोमेटिक मैसेज स्विच सिस्टम (AMSS) में गड़बड़ी आने से फ्लाइट्स को सही से सिग्नल नहीं मिल पाते। यही सिस्टम विमान को शेड्यूल करने के लिए जानकारी देता है।
यानि कि विमान को कब लैंड करना है कि और कब टेक-ऑफ होगा, इसी से निर्धारित किया जाता है। इस सिस्टम में आई खराबी की वजह से एयरलाइनों को टाइम टेबल और उड़ानों का प्रबंधन करने में कठिनाई होती है।
एटीसी सिस्टम कैसे करता है काम?
पर्दे के पीछे एटीसी सिस्टम रडार फीड, फ्लाइट्स प्लान, ट्रांसपोंडर और वेदर सेंसरों से भारी मात्रा में डेटा इकट्ठा करता है और उसको प्रोसेस करता है। यह सतत धारा आकाश का सजीव मानचित्र बनाने में मदद करता है। इसको और अच्छे से समझते हैं-
- कोई भी उड़ान निर्धारित होने से पहले उसका रूट और टाइम टेबल एयर ट्रैफिक कंट्रोल को भेजा जाता है।
- फिर फ्लाइट को टेकऑफ से पहले रनवे और दिशा की परमिशन दी जाती है।
- इसके बाद एटीसी फिर विमान की मूवमेंट संभालता है और उसके टेक ऑफ लैंडिंग की मंजूरी देता है।
- हवा में उड़ान के बाद एटीसी ही दिशा और ऊंचाई को मॉनिटर करता है।
- क्रूज स्पीड पर रडार और रेडियो से नजर रखी जाती है और इस तरह से दो विमानों के बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखी जाती है।
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