हाई कोर्ट ने दुष्कर्म मामले में वायु सेना अधिकारी की 10 वर्ष की सजा पर लगाई रोक
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने वर्ष 2021 में अपनी महिला सहकर्मी के साथ रेप करने के मामले में भारतीय वायु सेना के एक अधिकारी की 10 वर्ष की जेल की सजा पर रोक लगा दी और पांच-पांच लाख रुपये के दो जमानती देने पर उसे जमानत दे दी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सजा काटने का गंभीर खतरा
हाई कोर्ट ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) के मार्च 2024 के आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें अधिकारी की सजा पर रोक लगाने से इन्कार किया गया था। कोर्ट ने एएफटी से अधिकारी की अपील पर जल्द सुनवाई करने और जल्द से जल्द फैसला सुनाने को कहा। न्यायमूर्ति सी हरि शंकर और ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने कहा कि अधिकारी ने अपील 2023 में दायर की थी और जल्द निपट जाने की संभावना नहीं लगती है, इसलिए अपील का फैसला आने तक हिरासत में रहने के दौरान सजा का एक बड़ा हिस्सा या पूरी सजा काटने का वास्तविक और गंभीर खतरा है।
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जमानत देने से इन्कार कर दिया
यह अपील वर्ष 2023 से लंबित है। इस मामले में, याचिकाकर्ता का कोई आपराधिक रिकाॅर्ड नहीं है और वह 10 वर्ष की सजा में से चार वर्ष की सजा पहले ही काट चुका है। वायु सेना अधिकारी ने मार्च 2024 में एएफटी के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें ट्रिब्यूनल ने 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा को निलंबित करने और अपील लंबित रहने तक उसे जमानत देने से इन्कार कर दिया था।
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पीड़िता ने दवा के साथ शराब पी!
मामले के तथ्यों के अनुसार, याचिकाकर्ता 2021 में कोयम्बटूर के वायु सेना प्रशासनिक कालेज में तैनात था और उस समय वह एक कोर्स कर रहा था, जब यह घटना हुई। सितंबर 2021 में, मेस में एक पार्टी हुई, जिसमें याचिकाकर्ता, पीड़िता और अन्य कोर्स के साथी शामिल थे। उस शाम पीड़िता को चोट लग गई थी और उसे कुछ दवाएं दी गई थीं। अभियोजन का दावा था कि पीड़िता ने दवा के साथ शराब पी ली, जिससे वह बेहोश हो गई। क्योंकि वह ठीक नहीं थी, दो कोर्स के साथी उसे उसके कमरे में वापस ले गए। उसी रात पीड़िता के साथ यौन उत्पीड़न हुआ, लेकिन बेहोशी की हालत में होने के कारण वह घटना याद नहीं रख सकी।
बयान के आधार पर भी दोषी ठहराया
याचिकाकर्ता अधिकारी ने दावा किया कि ये घटना आपसी सहमति से हुई थी और वीडियो में कबूलनामा जबरन और पीड़िता महिला की इज्जत बचाने के लिए किया गया था। हाई कोर्ट ने कहा कि वह यह जानता है कि पीड़िता के अकेले बयान के आधार पर भी दोषी ठहराया जा सकता है, लेकिन इस मामले में पीड़िता को घटना की कोई जानकारी नहीं है। उसकी जानकारी मुख्य रूप से एक अभियोजन गवाह द्वारा रिकार्ड किए गए वीडियो कबूलनामे और दूसरे गवाह के बयानों से मिली। दोनों अभियोजन गवाह भी भारतीय वायु सेना अधिकारी थे।
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