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हैंडलूम नगरी में जगी नई उम्मीदें , युवाओं के लिए बने रोजगार के अवसर

Chikheang 2025-11-6 21:37:12 views 533

  



जितेंद्र पंडित, पिलखुवा (हापुड़)। स्वदेशी अभियान की नीतियों ने पिलखुवा के हैंडलूम उद्योग को नई दिशा दी है। हापुड़ शहर में लगभग 200 प्रिंटिंग इकाइयां और 550 छोटे उद्योग संचालित हैं, जो 20 हजार से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान कर रहे हैं। पारंपरिक बुनकरों और कारीगरों को अब प्रशिक्षण, उपकरण की सहायता दी जा रही है। इससे उनके उत्पादों की गुणवत्ता और बाजार पहुंच दोनों में तेजी से सुधार हुआ है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सरकार की इस पहल से न केवल उत्पादन बढ़ा है बल्कि आधुनिक डिज़ाइन और तकनीक के प्रयोग से हैंडलूम उत्पादों को नई पहचान मिली है। पिलखुवा की प्रिंटेड साड़ी, चादर और शॉल अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग पा रही हैं।
इसमें स्वदेशी अभियान से कारीगरों की आमदनी बढ़ी है और उद्योग की स्थिरता मजबूत हुई है।

इस पहल से युवाओं के लिए भी रोजगार के नए अवसर बने हैं। यही प्रयास जारी रहे तो पिलखुवा आने वाले वर्षों में देश का प्रमुख हैंडलूम केंद्र बन जाएगा। कारीगरों की मेहनत, तकनीकी सहयोग और सरकारी योजनाओं का संयुक्त असर अब स्पष्ट दिखने लगा है।

कारीगर अब आधुनिक डिज़ाइन और तकनीक के साथ उत्पादन कर रहे हैं, जिससे गुणवत्ता बढ़ी है। बाजार में हमारे उत्पादों की पहचान बनी है और बिक्री में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। - सुनील कुमार, व्यापारी

स्वदेशी अभियान से छोटे उद्योगों को बड़ा सहारा मिला है। सरकार की मदद से अब उत्पादन लागत घटी है, ग्राहकों का भरोसा बढ़ा है और रोजगार के नए रास्ते खुले हैं। - सचिन कंसल, व्यापारी

ऑनलाइन बाजार में पिलखुवा के उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। युवाओं के जुड़ने से डिज़ाइन आधुनिक हुए हैं और ब्रांड की पहचान पूरे देश में बन रही है। - अनिल कुमार, व्यापारी

कारीगर अब आत्मनिर्भर बन रहे हैं। प्रशिक्षण और प्रचार सहायता से उत्पाद विदेशों तक पहुंच रहे हैं। स्वदेशी पहल ने परंपरा को आधुनिकता से जोड़ने का मजबूत माध्यम दिया है। - अशोक सिंघल, व्यापारी
स्वदेशी अभियान से हैंडलूम उद्योग को नया प्रोत्साहन

  • कारीगरों और फैक्ट्रियों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
  • उत्पाद अब ऑनलाइन और शहरी बाजार में प्रमोट होंगे।

उद्योगों की स्थिति

  • क्षेत्र में लगभग 200 प्रिंटिंग इकाइयां और 700 छोटे-छोटे फैक्ट्रियां।
  • प्रत्यक्ष रूप से 20,000 से अधिक लोग रोजगार पाते हैं।
  • औसत वार्षिक कारोबार लगभग 100 करोड़ रुपए।
  • स्वदेशी अभियान के तहत उत्पादों को शहरी युवा और ऑनलाइन बाजार में प्रमोट किया जाएगा।
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