deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

2001 के भूकंप में क्षतिग्रस्त हो गया था लखपत गुरुद्वारा, सीएम बनने पर मोदी ने कराया था पुनर्निर्माण

Chikheang 2025-11-6 02:37:56 views 116

  

कच्छ के लखपत गुरुद्वारे में कभी रुके थे गुरु नानक देवजी। (फाइल फोटो)



नई दिल्ली, आइएएनएस। गुजरात के उत्तर-पश्चिमी छोर पर कच्छ के रण के नजदीक कम जाना-पहचाना ऐतिहासिक शहर है लखपत। कभी संपन्न बंदरगाह रहा यह शहर लगभग दो शताब्दियों तक वीरान रहा। लेकिन फिर यह सिख श्रद्धालुओं को आकर्षित करने लगा क्योंकि माना जाता है कि गुरु नानक देव जी अपनी यात्राओं के दौरान यहां रुके थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इस स्थान पर बने गुरुद्वारे को बाद में लखपत गुरुद्वारा साहिब के नाम से जाना जाने लगा। यहां गुरु नानक देव जी की कुछ पवित्र वस्तुएं संरक्षित हैं। 2001 में गुजरात में आए भूकंप में इस गुरुद्वारे को काफी क्षति हुई थी। गुरु नानक जयंती के अवसर पर मोदी आर्काइव ने कच्छ के इतिहास के इस अध्याय को साझा किया कि कैसे गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में उनके प्रयासों से लखपत एक प्रतिष्ठित सिख तीर्थस्थल के रूप में फिर से प्रसिद्ध हुआ।
जब 2001 के भूकंप में गुरुद्वारा को पहुंची थी क्षति

गुजरात में 2001 में आए भूकंप के समय नरेन्द्र मोदी मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि कच्छ में एक स्वयंसेवक के रूप में कार्यरत थे। वह इस गुरुद्वारे को हुई क्षति से बेहद दुखी थे। बाद में उस स्मृति को साझा करते हुए मोदी ने कहा कि कच्छ के लखपत में एक गुरुद्वारा है जहां गुरु नानक देव जी रुके थे। 2001 के भूकंप ने इसे बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया था। इसने मुझे काफी व्यथित किया। मैं उस समय एक स्वयंसेवक के रूप में काम कर रहा था। नौ महीने बाद जब मैं मुख्यमंत्री बना, तो मैंने सबसे पहले गुरुद्वारे का पुनर्निर्माण कराने का संकल्प लिया, ठीक वैसा ही जैसा वह पहले था।

उन्होंने कहा कि सवाल यह था कि इसे पूरी मौलिकता के साथ कैसे पुनस्र्थापित किया जाए। हमने उसी तरह की मिट्टी और निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया। राजस्थान से कुशल कारीगरों को बुलाया गया और संरचना को उसके मूल स्वरूप में ही पुनर्निर्मित किया गया।
लखपत गुरुद्वारा साहिब को मिला यूनेस्को से पुरस्कार

इस सावधानीपूर्वक जीर्णोद्धार को वैश्विक मान्यता मिली। 2004 में लखपत गुरुद्वारा साहिब को विरासत संरक्षण में उत्कृष्टता के लिए यूनेस्को एशिया-प्रशांत विरासत संरक्षण पुरस्कार मिला, जो उस सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत के प्रति श्रद्धांजलि है जिसका वह प्रतिनिधित्व करता है। आज पुनर्निर्मित गुरुद्वारा न सिर्फ गुरु नानक देव जी के प्रति भक्ति का प्रतीक है, बल्कि एकता, समावेशिता और सद्भाव का संदेश भी देता है।
like (0)
ChikheangForum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

Chikheang

He hasn't introduced himself yet.

210K

Threads

0

Posts

710K

Credits

Forum Veteran

Credits
74140